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श्री अनंत कुमार ने सम्मेलन को भारतीय मूल के लोगों की मिनी विश्व संसद, भारत के विकास में सहयोग के लिए प्रवासी भारतीय का आदर्श मंच बताया

देश-विदेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नेरन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि सैकड़ों वर्षों में अनेक लोगों ने भारत छोड़ा है, लेकिन उनके दिमाग और हृदय में भारत अपना स्थान बनाए हुए है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मूल के लोग भारत के स्थायी राजदूतों की तरह हैं और भारत की विकास में सहयोगी हैं। नीति अयोग द्वारा तैयार 2020 तक के लिए कार्य एजेंडा में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।

‘उभरता भारत-प्रवासी सांसदों की भूमिका’ पर दूसरे पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय रसायन और उर्वरक तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अनंत कुमार ने कहा कि उन्हें प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन में भाग लेने का सम्मान मिला है। उन्होंने सभी सांसदों का स्वागत किया।

 श्री अनंत कुमार ने प्रारंभ में इस महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक सम्मेलन की मेजबानी के लिए विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज को बधाई दी। विश्व के 20 से अधिक लोकतंत्रों के भारतीय मूल के सांसदों का यह सम्मेलन श्रेष्ठ संसदीय व्यवहारों को साझा करने तथा अपने अनुभवों से एक-दूसरे को समृद्ध बनाने के लिए है।

श्री अनंत कुमार ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत और भारतीय डायसपोरा को देशों के समुदाय में अधिक मान्यता और लोकप्रियता मिली है। यह प्रधानमंत्री के प्रत्येक देश की यात्रा में उमड़ने वाले विशाल जनसमूह से प्रकट होता है। इस तरह के सम्मेलन डायसपोरा में अपने संबंधों को मजबूत और विविध बनाने का अवसर प्रदान करता है।

विश्व के विभिन्न देशों में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की चर्चा करते हुए श्री अनंत कुमार ने कहा कि भारतीय मूल के लोग जिस देश में रह रहे हैं उस देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान करते रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इन देशों में हिन्दी, भोजपुरी जैसी भाषाएं , रामायण जैसी लोक कथा, भारतीय साहित्य और परंपरागत खान-पान न केवल जीवित हैं, बल्कि फल-फूल रहे हैं। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि इन देशों के प्रवासी भारतीय अपनी परंपराओं, मान्यताओं और रीति-रिवाज को संरक्षित रखने के लिए संकल्पबद्ध हैं। श्री अनंत कुमार ने कहा कि सभी प्रतिनिधि विस्तारित परिवार के सदस्य हैं तथा इतिहास, संवेदी लगाव, सांस्कृतिक संबंध और रिश्तों से बंधे हुए हैं।

श्री अनंत कुमार ने सम्मेलन को भारतीय मूल के लोगों की मिनी विश्व संसद बताया। उन्होंने मजबूत मंच की आधारशिला रखने के लिए विदेश मंत्री को बधाई दी। श्री अनंत कुमार ने कहा कि भारतीय मूल के लोगों ने अनेक देशों में ऊंचे राजनीतिक और शासन के पदों को प्राप्त किया है और राष्ट्राध्यक्ष भी बने हैं। यह 1.25 बिलियन भारतीयों के लिए गर्व और खुशी की बात है।

संसदीय कार्य मंत्री ने भारतीय मूल के लोगों को मातृभूमि भारत के विकास में सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि स्कील इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसी भारत सरकार की अग्रणी योजनाएं प्रवासी भारतीयों के लिए बड़ा अवसर प्रदान करती है।

इस सत्र में प्रतिष्ठित प्रवासी सांसदों ने अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि कैसे अभी तक शांति और सौहार्द के जरिए भारत में अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और पुरखों की मान्यताओं को अपनाए हुए हैं। सत्र को संबोधित करने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में लोकसभा के उपाध्यक्ष श्री एम. थम्बीदुरई तथा विदेश मंत्रालय के सचिव श्री डी.के मुले शामिल हैं।

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