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विश्व आर्थिक मंच में डॉ.जितेन्द्र सिंह का संबोधन

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नई दिल्लीः केंद्रीय पूर्वोत्तर विकास(स्वतंत्र प्रभार),प्रधानमंत्री कार्यालय,कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अतंरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि विश्व आज विभिन्नता और विविधता की जगह एक-रूप मानकों के साथ  नए “वैश्विक रोडमैप” को खोज रहा है।श्री सिंह 23 जनवरी, 2018 को स्विटजरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच के अवसर पर “कमजोर शहरो से नवीनीकरण तक ”पर पैनल वार्ता में संबोधन रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों में स्थानीय परिदृश्य को दृष्टिगोचर बनाना संभव नहीं है, उदाहरण के लिए  स्विटजरलैंड की जनसंख्या केवल 8 मिलियन  है जो दिल्ली की जनसंख्या से भी कम है किन्तु सरकार और नागरिकों की प्रतिभागिता के साथ प्रगतिशील विश्व में अधिकतम समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। पैनल के अन्य सदस्यों में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरन और स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति श्री बेरसेट शामिल थे।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अन्य कारणों के अलावा विश्व में 239 से अधिक शहरों को,प्रदूषण,टकराव,आतंकवाद,बेरोजगारी और बिजली की कमी की वजह से “कमजोर”श्रेँणी में वर्गीकृत किया गया था। उन्होंने कहा शहरी क्षेत्रो में सुधार और जनसंख्या को बेहतर सुविधाएं देने की आवश्यकता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यो में कमजोर शहरों के अनुभव के बारे में पूछे जाने पर उन्होने बताया कि मोदी सरकार के गत साढे तीन साल के कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में स्थायित्व आया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा आतंकवाद और “कमजोरवाद” का विकास में कमी और असक्षम राजनीतिक नेतृत्व से पारस्परिक संबंध है। उन्होंने कहा भ्रष्टाचार न सिर्फ राज्य के नेतृत्व नुकसान पहुंचाता है बल्कि राजकोष में भी सेंध लगाता है। इसका बेहतर वातावरण के निर्माण में प्रयोग किया जा सकता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आगे कहा कि युवाओं में आकांक्षा की वृद्धि एक स्वागत योग्य  विकास है। सर्वाधिक आदर्श स्थितियों में भी बेहतर करने की आशा हमेशा बनी रहती है। कोई भी स्थिति स्थायी नहीं होती।

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