देहरादून: प्रदेश के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण एवं ठोस, अपशिष्ट निवारण, श्रम, सेवायोजन, प्रशिक्षण, आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में विधान सभा सभाकक्ष में वन विभाग/उत्तराखण्ड वन विकास निगम तथा निगम के कर्मचारी संगठन की त्रिपक्षीय वार्ता सम्पन्न हुई।
वनमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये, कि प्रदेश के अधिकतम भू-भाग वन क्षेत्र की रक्षा करने वाले ग्रामीणों को हल-हकूक दिलाने के लिए वन विभाग, वन मंत्रालय भारत सरकार से वर्किंग प्लान समयबद्धता से स्वीकृत कराये, ताकि ग्रामीणों को उनका हल-हकूक मिलने के साथ वन निगम की आय में भी बढ़ोतरी हो। उन्होंने प्रत्येक सप्ताह वर्किंग प्लान की प्रगति की समीक्षा करने के निर्देश दिये, तथा पातन चक्र की बैठक नियमित कराने के निर्देश भी दिये, जिसमें गिरे पड़े एवं सूखे पेड़ों का चिन्हीकरण किया जाता है। उन्होंने इस कार्य को महत्वपूर्ण बताते हुए एक शीर्ष वन अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नामित करने के निर्देश सचिव वन को दिये, जो वर्किंग प्लान की स्वीकृति हेतु प्रदेश शासन केन्द्र सरकार से निरन्तर संवाद बनायेगा। उन्होंने वर्किंग प्लान के लिए निर्धारित मानक एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में एक पेड़ छोड़ने की शर्त में, कोमल काष्ठ की कम मूल्य की प्रजाति के पेड़ को शामिल करने के निर्देश दिये, जिससे वनों में उपलब्ध बहुमूल्य कीमत के इमारती गिरे पेड़ों/पातन चक्र में चिन्हित पेड़ों के कटान से, निगम को अधिकाधिक राजस्व की प्राप्ति हो। उन्होंने नदियों के बाढ़ नियंत्रण तथा लोगों को रेत एवं बजरी उचित मूल्य दिलाने के लिए भी नदियों का वैज्ञानिक चुगान की आवश्यकता पर बल देते हुए, एक नोडल अधिकारी नियुक्ति के निर्देश दिये, जो समय-समय पर से केन्द्र सरकार में प्रभावी पैरवी कर सके। उन्होंने चुगान खुलने की अवधि से पूर्व चुगान हेतु विस्तृत सर्वे कार्य समय पर पूरा करने के निर्देश दिये उनका कहना था, कि संभावित बाढ़ वाले नये स्थलों के चुगान के प्रस्ताव भी तैयार किए जायें।
वनमंत्री ने कहा कि वन अधिकारी अपनी उत्तरदायित्व को संवेदनशीलता से पूरा करें तभी उनके पद की सार्थकता सिद्ध होगी। उनका मानना था, कि, उत्तरदायित्व को सामान्य रूप से निभाने के कारण योजना का लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहँुच पाता है। उत्तराखण्ड विकास निगम के कर्मचारी संगठन के मांगों के सम्बन्ध में चर्चा के दौरान वन मंत्री ने कहा, कि मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि प्रत्येक विभाग के कर्मियांे के साथ लगातार संवाद किया जाय। जिससे कर्मियों एवं सरकार के मध्य संवादहीनता न रहेे। उन्होंने निगम के कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ दिलाने के लिए प्रस्ताव शासन में भेजने के निर्देश प्रबन्धक निदेशक को दिये तथा इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव से भी वार्ता की उत्तराखण्ड वन विकास निगम में सहायक वर्ग के कर्मचारियों को लेखा संवर्ग के पदों के भाॅति वेतनमान 4500-7000 को संशोधित कर वेतनमान 5000-8000 वर्तमान वेतन बैण्ड 9300-34800 ग्रेड वेतन 4600 जो शासन स्तर पर लम्बित है, स्वीकृत की मांग पर वनमंत्री ने प्रस्ताव पर परीक्षण करने के निर्देश दिये। सहायक लांैगिक अधिकारी के पद को विलुप्त करने के सम्बन्ध में पर वन मंत्री द्वारा दुबारा प्रस्ताव भेजने के निर्देश के दिये गये। फील्ड में कार्यरत टेक्निकल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी पदोन्नति का कोटा 45 प्रतिशत दिलाने की मांग पर वनमंत्री द्वारा फील्ड कर्मियों को भी आॅफिसियल स्टाॅफ की भाॅति पदोन्नति का कोटा 45 प्रतिशत दिये जाने के प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिये गये। एक अन्य मांग वन विकास निगम मंे क्षेत्रीय प्रबन्धकों के पदों पर पूर्व की भाॅति सीधे भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की तैनाती करनेे की मांग पर, वनमंत्री द्वारा निगम कार्यालय में रिक्त दो सामान्य प्रबन्धक एवं 3 क्षेत्रीय प्रबन्धक के रिक्त पदों पर भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति देने के निर्देश दिये गये।
बैठक में सचिव वन अरविन्द सिंह ह्यांकी, प्रबन्ध निदेशक वन निगम एस.टि.एस.लेपच्चा, प्रमुख वन संरक्षक दिग्विजय सिंह खाती, निदेशक कार्बेट टाइगर रिजर्व सुरेन्द्र मेहरा, संयुक्त सचिव वन, पर्यावरण आर0के0तोमर, मुख्य वन संरक्षक शिवालिक भुवनचन्द्र, उत्तराखण्ड वन विकास निगम कर्मचारी संगठन गढ़वाल क्षेत्र के अध्यक्ष जे0पी0बहुखण्डी तथा मंत्री रमेश घिल्डियाल सहित संगठन के पदाधिकारी मौजूद थे।