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रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आईएनएस क्लिटन को नौसेना में शामिल किया

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देश-विदेश

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नौसेना डॉकयार्ड विशाखापट्नम में संपन्न एक भव्य समारोह में आईएनएस क्लिटन (पी 30), तीसरी एंटी-पनडुब्बी वारफेयर (एएसडब्लू), जिसे प्रोजेक्ट 28 (कमोर्टे क्लास) के तहत बनाया गया है, को राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा, वाइस एडमिरल एच सी एस बिष्ट, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी नौसेना कमांड रेयर एडमिरल वी के सक्सेना (सेवानिवृत), गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकता (जीआरएसई), कोलकता के सीएमडी कॉमोडोर एन बी कुंते (सेवानिवृत), पूर्व क्लिटन के पहले कमांडिंग ऑफिसर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस समारोह को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन नौसैनिक डिजाइन निदेशालय तथा गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकता द्वारा तैयार किए गए चार एएसडब्ल्यू कार्वेट्स के तीसरे नौसेना में शामिल होने के लिए चिह्नित किया गया है।

नौसेना जेटी में माननीय रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की आगवानी नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने की। इस समारोह के शुरू होने से पहले माननीय रश्रा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया गया और उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात कराया गया।

सभा का स्वागत करते हुए एडमिरल सुनील लंबा ने कहा कि यह भारतीय युद्धपोत की यात्रा में एक और मील का पत्थर है। भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण के सिद्धांत तथा सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के प्रति प्रतिबद्ध है। पिछले साल जो चार युद्धपोत भारतीय नौसना में शामिल किए गये थे वे सभी भारत में ही निर्मित हैं जो हमारे ‘मेक इन इंडिया’ संकल्प का बेहतर प्रमाण हैं। स्वदेशीकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के कारण ही हमने अपने इस दायरे को आगे बढ़ाया है और साथ ही युद्धपोत बनाने में भी हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने स्वदेशी सोनार जैसे अभय, हमसा-एनजी के साथ शस्त्र वरूणास्क्षत्र एवं ब्रह्मोस में भी काफी सफलता हासिल की है। एडमिरल ने कहा कि ये उपलब्धियां आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के भारतीय नौसेना के सक्रिय और एकीकृत दृष्टिकोण का एक सफल परिणाम है। इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर कमांडर नौशाद अली खान ने युद्धपोत के कमीशनिंग वारंट को पढ़ा। इसके बाद पहली बार इस नौसेना एनसाइन युद्धपोत पर राष्ट्रीय गान के साथ समारोह का समापन किया गया।

आईएनएस क्लिटन को भारतीय नौसेना में शामिल करने के अवसर पर माननीय रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने भारतीय नौसेना, जीआरएसई, अन्य भारतीय पीएसयू तथा छोटे एवं मध्यम उद्योगों जिसने भी इस युद्धपोत के निर्माण में सहयोग दिया, सबका आभार व्यक्त किया।उन्होंने जोर देते हुए कहा कि स्वदेशीकरण के माध्यम से नौसेना की आत्मनिर्भरता के प्रति यह कदम बेहद ही सराहनीय है और इसने भारतीय नौसेना को खरीदार से एक निर्माता के रूप में बदल दिया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नौसेना के बेड़े में आईएनएस क्लिटन को शामिल करना इस परिवर्तन की पुन: पुष्टि करता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने युद्धपोत निर्माण कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर तथा कम समय सीमा में और प्रतिस्पर्धी बना गुणवत्ता वाले युद्धपोतों के उत्पादन करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग के लिए राष्ट्र की रक्षा आवश्यकताओं और अपेक्षित वित्तपोषण की सराहना करती है तथा जो नौसेना के आधुनिकीकरण और विकास योजनाओं के लिए बेहद आवश्यक है। बाद में रक्षा मंत्री ने कमिशनिंग प्लेक का अनावरण किया और युद्धपोत को देश को समर्पित किया।

इसे एक बेहद प्रतिष्ठित अधिग्रहण मानते हुए, आईएनएस क्लिटन को भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना गया है। इस युद्धपोत की अवधारणा 10 अगस्त 2010 को रखी गई थी और 26 मार्च 2013 को इसकी शुरूआत की गई थी। इसके पहले समुद्री परीक्षण की शुरुआत 6 मई 2017 को हुई थी तथा आखिरकार 14 नवंबर 2017 को जीआरएसई द्वारा इसे भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था। यह युद्धपोत डीजल एंड डीजल (सीओडीएडी) के प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित है जिसमें 25 समुद्री मील से अधिक गति हासिल करने के लिए चार डीजल इंजन की व्यवस्था होती है और लगभग 3500 नौटिकल मील की सहनशक्ति क्षमता है।

परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध की स्थितियों में लड़ने में सक्षम इस युद्धपोत में 80 फीसदी से अधिक उपकरण और प्रणाली स्वदेशी निर्मित है। इसके साथ ही, पी -28 हथियार और संवेदी क्षमता मुख्य रूप से स्वदेशी है और यह इस क्षेत्र में देश की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करता है। आईएनएस क्लिटन पूरी तरह से मिश्रित सामग्री के अधोसंरचना के साथ पहला प्रमुख युद्धपोत है।

इस प्रमुख युद्धपोत पर पहली बार समग्र अधिरचना पर आधारित हथियार और सेंसर स्थापित किए गए हैं। आईएनएस क्लिटन पर लगाए गए समग्र अधिरचना ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर उन्नत इंजीनियरिंग सामग्रियों के उपयोग को वजन और स्थिरता मानकों में महत्वपूर्ण सुधार के साथ उपयोग किया है।

एएसडब्लू सक्षम हेलिकॉप्टर के अलावा हथियारों में भारी वजन टारपीडो, एएसडब्ल्यू रॉकेट, 76 एमएम कैलिबर मिडियम रेंज बंदूक और दो बहु-बैरल 30 एमएम बंदूकें शामिल हैं जो जिसमें क्लोज-इन-वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) के रूप में समर्पित अग्नि नियंत्रण प्रणाली है।
युद्धपोत का नाम पुराने आईएनएस क्लिटन (पी 79) एक पेट्या क्लास एएसडब्ल्यू युद्धपोत से लिया गया है जिसे 18 वर्ष की सेवा के बाद जून 1987 को बंद कर दिया गया था। लक्षद्वीप समूह के द्वीपों से संबंधित कोरल द्वीप के नाम पर इस युद्धपोत का नाम रखा गया जिसमें 15 अधिकारियों और 180 नाविकों की क्षमता है। 109 मीटर लंबा, 14 मीटर चौड़ा तथा 3300 टन के विस्थापन क्षमता के साथ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली एंटी पनडुब्बी युद्धपोतों में से इसे एक माना जा सकता है।

आईएनएस क्लिटन के शामिल होने से भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के एएसडब्ल्यू क्षमता में एक नया आयाम जोड़ देगा। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई बहुआयामी क्षमता को प्रतिबिंबित करती है।

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