37 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

महिलाओं की राजनीति में भूमिका क्या, क्यों, कैसे?

महिलाओं की राजनीति में भूमिका क्या, क्यों, कैसे
उत्तराखंड

देहरादून: उत्तर वैदिक काल से लेकर आज तक समाज में पुरूषों का ही एकाधिकार रहा है। यहां तक कि शासन और सत्ता को संचालित करने में भी अधिकतर पुरूष समाज ही हर क्षेत्र में अपना दखल रखता आया है। जबकि आधी दुनिया में महिलाओं की भागीदारी की अक्सर चर्चा होती रही है उक्त बात आज यहाँ विश्व संवाद केन्द्र द्वारा सुदर्शनकुंज, सुमननगर, धर्मपुर में विद्योत्तमा विचार मंच के बैनर तले आयोजित विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में ”महिलाओं की राजनीति में भूमिका क्या, क्यों, कैसे?“ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डी.ए.वी. पी.जी काॅलेज, देहरादून के प्राचार्य डाॅ॰ देवेन्द्र भसीन ने कही। उन्होने कहा कि आज पूरे विश्व में 1007 पुरूषों पर एक हजार महिलाएं हैं जो कि पूरी दुनियां में आधी आबादी के बराबर है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें पुरूषों के बराबर अधिकार प्राप्त नहीं हंै। डाॅ॰ देवेन्द्र भसीन ने कहा कि पुरूष समाज ने अपना एकाधिकार स्थापित करते हुए महिलाओं की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगाने का काम किया है। इसके लिए जरूरी है कि पुरूष समाज महिलाओं पर अपने एकाधिकार को छोड़कर उसको बराबर का दर्जा दें। उन्होंने कहा कि यदि हमें राजनीति में महिलाओं की भूमिका तय करनी है तो हमें उन्हंे सामाजिक समरसता का लाभ देना होगा। साथ ही पुरूष समाज को अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। इसमें दो राय नहीं कि आज बौद्धिक क्षेत्र में महिलाएं पुरूषों की अपेक्षा कहीं अधिक आगे हंै ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि इस आधी दुनिया को भी हम अधिकार सम्पन्न करें। महिलाओं को भी चाहिए कि वह जागरूक होने के साथ-साथ अपने अधिकारों के लिए तेजी से प्रयास करें।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती रजनी कुकरेती ने कहा कि आज सभी राजनीतिक दल राजनीति में महिलाओं की पचास प्रतिशत भागीदारी की बात कहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि पुरूष समाज उन्हें राजनीति में बढ़ने का अवसर प्रदान नहीं करता। उन्होंने कहा कि आज जितनी भी महिलाएं राजनीतिक, सामाजिक या अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ी है वह दुविधा की स्थिति में हैं। इसके लिए कहीं न कहीं उन्हें अपने परिवार का इस हेतु त्याग करना पड़ा है। कहीं न कहीं वह आज अधूरा जीवन जी रही हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि वर्तमान में जो व्यवस्था बनाई गई है वह पुरूषों से प्रभावित है। इस व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता है। कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो सीधे चूल्हे से जुड़ी महिलाओं को यदि राजनीति में आना है तो उन्हें पहले से ही इसके लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। श्रीमती कुकरेती ने कहा कि जहाँ पुरूषों द्वारा जन्म से ही महिलाओं को चुनौती दी जाती रही हो, तो उसे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।

इस अवसर पर विद्योत्तमा विचार मंच की अध्यक्ष डाॅ॰ रश्मि त्यागी रावत ने राजनीति में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक काल से ही महिलाओं की समाज में विशेष भूमिका रही है। जो समय काल और परिस्थितियों के अनुरूप बदलती रही है।
गोष्ठी के अन्त में मातृ शक्ति एवं उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए गोष्ठी की सहसंयोजक श्रीमती विनोद उनियाल ने कहा कि पुरूषों एवं स्त्रियों की भूमिका समाज में महत्वपूर्ण है और दोनों को एक-दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

गोष्ठी का संचालन श्रीमती नेहा गुप्ता ने किया। इस अवसर पर विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र मित्तल, निदेशक श्री विजय कुमार, संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री रामआशिष, गोष्ठी संयोजक श्रीमती रीता गोयल, श्रीमती ममता गोयल, श्रीमती शारदा त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं। इसके अलावा गोष्ठी में महानगर प्रचार प्रमुख श्री अभिषेक शाही, श्री रणजीत सिंह ज्याला, श्री सुख राम जोशी, श्री हिमान्शु अग्रवाल, श्री निशीथ सकलानी, श्री दिनेश उपमन्यु, श्री राजेन्द्र पन्त आदि अनेक लोग उपस्थित थे।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More