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‘‘महिलाओं का उत्पीड़न एवं विधिक समाधान’’ विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न

‘‘महिलाओं का उत्पीड़न एवं विधिक समाधान’’ विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: महिलाओं का उत्पीड़न एवं विधिक समाधान विषय पर अभियोजन विभाग द्वारा आज रेडियो मुख्यालय के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के भूतपूर्व न्यायमूर्ति श्री शैलेन्द्र सक्सेना की अध्यक्षता में किया गया।

इसमें प्रदेश के समस्त जनपदों के पाक्सो एक्ट से सम्बन्धित विशेष न्यायालयों में अभियोजन कार्य करने वाले जिला शासकीय अधिवक्ता (फौ0)/अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (फौ0) के साथ-साथ अभियोजन संवर्ग के समस्त परिक्षेत्रों के अपर निदेशक अभियोजन एवं जनपदों के प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन ने प्रतिभाग किया। अभियोजन विभाग की ओर से 14वें वित्त आयोग के अन्तर्गत अभियोजकों में दक्षता एवं कौशल विकास हेतु इसका आयोजन किया गया था।

अभियोजन की दृष्टि से अभियोजकों में दक्षता एवं कौशल विकसित करने पर बल देते हुए मुख्य अतिथि भूतपूर्व न्यायमूर्ति श्री शैलेन्द्र सक्सेना ने अपने सम्बोधन में कहा कि महिलाओ एवं बालकों के विरूद्व अपराध की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि मामले की विवेचना कुशल एवं दक्ष पुलिस अधिकारियों द्वारा तकनीकी दृष्टिकोण से जल्द से जल्द पूर्ण करायी जाये। उन्होने कहा कि पीडिता द्वारा दिये गये कथन व साक्ष्य को तकनीकी रूप में(इलेक्ट्रानिक) के रूप में रखा जाये और विचारण के दौरान आवश्यकता अनुरूप न्यायालय में प्रस्तुत किया जाये, जिससे गवाहों की पक्षद्रोहिता को रोका जा सकें। साथ ही साथ धारा 357 द0प्र0सं0 के अधीन क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु भी विस्तृत चर्चा की गई।

प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास श्रीमती रेणुका कुमार ने कहा कि अपराधिक न्याय तन्त्र में महिला एवं बालको के विरूद्व अपराधों के रोकथाम के लिये पुलिस, चिकित्सा, श्रम विभाग, अभियोजन, न्यायपालिका आदि सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है तभी अपेक्षानुसार परिणाम मिलेगें। उन्हांेने कहा कि पीडितों को अधिक से अधिक क्षतिपूर्ति दिलायी जाये के प्रयास किये जाये। पीडित क्षतिपूर्ति योजना, रानी लक्ष्मीबाई सहायता कोष, महिला एवं बाल कल्याण कोष के संबंध उन्होने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि अब तक एक हजार से अधिक पीडितो को क्षतिपूर्ति दिलायी जा चुकी है। उन्होने प्रतिभागियो से अपील की कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला से जो भी सीख कर जायें उसका निष्ठापूर्वक, ईमानदारी से मुकदमों के अभियोजन में उपयोग करें और साथ-साथ अपने साथियों को बतायें।

विगत वर्ष 2015-16 में कुल प्रदेश में 44 अपराधियों को मृत्युदण्ड व 9854 अपराधियों को 10 वर्ष या उससे अधिक की सजा दिलायी गयी है। इसके साथ ही 1808 अभियुक्तों को महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, दहेज हत्या व महिला उत्पीड़न के मामलों में अभियोजकों द्वारा सजा करायी गई जिसमें 132 मामलों में 146 अभियुक्त पाक्सों एक्ट से सम्बन्धित थे। साथ ही साथ 743 दुष्कर्मियों/बलात्कारियों को 10 वर्ष व आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित कराने में सफलता मिली और 872 से भी अधिक अभियुक्तों को महिला उत्पीड़न के अन्तर्गत सजा करा कर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की गई, जिसमें दहेज व दहेज हत्या के भी अभियुक्त हैं। महिलाओं के विरूद्ध जघन्य एवं क्रूरतम अपराध करने वाले 07 अपराधियों को मृत्यु दण्ड से दण्डित कराया गया।

श्री राजेश सिंह, संयुक्त विधि परामर्शी ने अपने सम्बोधन मे कहा कि पाक्सो एक्ट के मुकदमों के विचारण के दौरान अभियोजकों को विशेष सतर्कता बरतते हुये पीड़िता का जल्द से जल्द कैमरा प्रोसीडिं़ग के अन्तर्गत उसका बयान अंकित कराया जाये। मुकदमों में साक्ष्य के निर्वचन के साथ-साथ पाक्सो एक्ट के अन्तर्गत सदोष मानसिक स्थिति व इस अधिनियम के अन्तर्गत अन्य उपधारणाओं की ओर न्यायालय का ध्यान अवश्य आकर्षित करायें साथ ही साथ पास्कों अधिनियम के अधीन मामलों की विवेचना व विचारण की विस्तृत चर्चा करते हुए उत्पन्न होने वाली संभावित समस्याओं के निराकरण से भी अवगत कराया।

डा0 सूर्य कुमार, पुलिस महानिदेशक अभियोजन द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। उन्होने कहा कि हमारे समाज में महिलाओं को सम्मान और आदर की दृष्टि से देखा जाता है किन्तु कुछ असमाजिक तत्व ऐसे भी हैं जो महिलाओं के उत्पीड़न, बलात्कार, हत्या, दहेज उत्पीड़न आदि से सम्बन्धित अपराध करते रहते हैं। समाज में बालकों के विरूद्ध लैंगिक अपराध हो रहेे हैं जिनकी रोक थाम के प्रयास किये जा रहे है। उन्होने बताया कि वर्ष 2012 में बालकों के विरूद्ध लैंगिक अपराध की गम्भीरता को देखते हुये एक अधिनियम बनाया गया और इनके मुकदमों को त्वरित गति से निस्तारण के लिये विशेष न्यायालयों का भी गठन किया गया जिसमें मुकदमों के अभियोजन हेतु विशेष अभियोजकों की नियुक्ति भी की गई। कार्यशाला में ललित मुदगल, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी ने बलात्कार, दहेज हत्या व महिलाओं से सम्बन्धित अन्य अपराधों के मुकदमों में सजा कराने तरीके बताये।

कार्यशाला के समापन अवसर पर उत्कृष्ट एवं सराहनीय कार्य करने वाले सरकारी वकील कफील अहमद, शारिक इकबाल, नरेन्द्र कुमार सैनी, अनवारूल हसन, श्याम सिंह राजपूत, किशोर मिश्रा, श्रीमती वन्दना श्रीवास्तव, अनिल कुमार तोमर, कीर्ति पाल सिंह, कृष्ण कुमार पाण्डेय, दशरथ यादव, विनोद कुमार सिंह, धर्मवीर सिंह पुण्डीर, फेरन सिंह पाल, गोरख प्रसाद यादव, सुभद्र नाथ राय, रमेश सिंह, मुकेश बाबू के साथ-साथ ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी कुॅवर विक्रम सिंह तथा अभियोजन अधिकारी आशीष सिंह को भी प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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