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मकान मालिकों के लिए कानून

विधि

धारा 21 मकान मालिकों के अधिकारों की सुरक्षा की गरण्टी उस हालत में करती है जबकि कोई मालिक मकान अपने स्वयं के रहने के लिए या अपने कारोबार के लिए या अपने परिवार के लिए उस मकान को खाली करवा सकता है। अथवा कोई मालिक मकान उसे गिरवाकर नया बनवान चाहता है तो भी धारा 21 के अन्तर्गत उसे खाली करवा सकता है।

इस कानून के लागू होने के पश्चात् ऐसे मकान जिनमें किरायेदार रहता है कोई भी आदमी अपने रहने के लिए खरीद लें तो ऐसी हालत में यह मकान खाली करने के लिए मकान मालिक धारा 21 का प्रयोग नहीं कर सकता। यानि उसे मकान खाली करनवाने को कोई अधिकार नहीं रहता। यह प्रतिबंध उस समय तक ही लागू होता है जब तक उस मकान को बिके हुए तीन वर्ष पूरे नही होते तथा मकान मालिक द्वारा किरायेदार को 5 मास का मकान खाली करने का नोटिस न दिया गया हो। इसके अतिरिक्त बेदखली ऐसे मकान की हो जिसका किरायेदार हिस्से के समान अन्य प्रयोग में ला रहा हो।

ऐसी हालत में यदि बेदखली होने पर अधिक से अधिक दो वर्ष तक किराया मकान मालिक किरायेदार को हर्जाने के रूप में देगा यह हर्जाना अदालत में तय करेगी, परन्तु मकान मालिक किसी भवन को जिसमें किरायेदार कोई कारोबार करता हो, उसे रहने के लिए खाली नहीं करवा सकता।

इसी प्रकार निवासी प्रयोजन के लिए मकान मालिक के हक में नही होगा। मकान मालिक द्वारा उसके व उसके परिवार के किसी सदस्य के निवास की जरूरत के आधार पर दिये गये है। बेदखली के दावे के लिए इन बातों का खास ध्यान रखेगा-

  1. यदि मकान मालिक के पास उसके परिवार के सदस्यों की संख्या अधिक है और उनकी आय परिवार की आमदनी तथा उसकी सामाजिक स्थित को देखते हुए उसके पास पर्यप्त उपर्युक्त रहने की जगह नही है। तो उसकी जरूरत पर कठोरता से विचार किया जायेंगा।
  2. अगर किरायेदार को मकान देते समय मालिक मकान के बच्चे नाबालिग थे तथा बाद में किसी के बालिग होने पर शादी हो जाये और उसके बच्चे भी हो जाये तो इस हालत में उसकी जरूरत को देखते हुए भी उस पर विचार हो सकता है।
  3. यदि किरायेदार के भवन के आलवा उसके परिवार के सदस्यों की संख्या और उसकी अलग-अलग आय तथा उसकी सामाजिक हालत पर विचार करते हुए अन्य कोई स्थान हो तो इस हालत में मकान मालिक की आवश्यकता पर उदारता पर विचार किया जायेंगा।
  4. यदि किरायेदार की आवश्यता की पूर्ति किरायेदार के मकान के एक भाग में ही हो जाये और मालिक की पूर्ति किरायेदार के मकान के बाकी भाग से हो सकती हो तब अदालत ऐसे शेष भाग को मकान मालिक के पक्ष में अपना निर्णय दे सकती है।
  5. अगर अनेक किरायेदारों के अलग-अलग अध्यपन में किराये के मकानों का एक पूरा ब्लाक हो तो मकान मालिक अपनी निजी जरूरत के लिए उन्हें निकलना चाहता हो अदालत उस हालत में यह देखेगी कि क्या ऐसे किरायेदार को रहने के लिए दूसरा स्थान प्राप्त हो जायेगा।

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