35 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

मंत्रिमंडल ने वर्तमान यूरिया सब्सिडी योजना को 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी जारी रखने की मंजूरी दी

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कुल 1,64,935 करोड़ रुपये के अनुमानित व्‍यय से यूरि‍या पर सब्सिडी योजना को 2019-20 तक जारी रखने तथा इसकी अदायगी से संबधित उर्वरक विभाग के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से 2020 तक यूरिया की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।

विवरण :

यूरिया सब्सिडी 1 अप्रैल, 2017 से प्रभावी उर्वरक विभाग की केन्‍द्रीय योजना का हिस्‍सा है जिसका बजटीय सहायता से सरकार पूरी तरह से वित्‍तीय प्रबन्‍ध करती है। यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहने से यूरिया उत्‍पादकों को समय पर सब्सिडी का भुगतान तथा किसानों को समय पर यूरिया की उपलब्‍धता सुनिश्चित हो सकेगी। यूरिया सब्सिडी में आयातित यूरिया सब्सिडी भी शामिल है, जो देश में यूरिया की निर्धारित मांग और उत्‍पादन के बीच की खाई को पाटने के लिए आयात को सुधारने की तरफ संचालित है। इसमें देश में यूरिया को लाने-ले जाने के लिए माल भाड़ा सब्सिडी भी शामिल है।

यह किसान हित से जुड़ी सरकारी नीतियों का है विस्‍तार है। इससे पहले 2015 में 100 प्रतिशत नीम लेपित यूरिया के इस्‍तेमाल को अनिवार्य बनाया गया था। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग की ओर से कराए गए अध्‍ययन में नीम लेपित यूरिया के निम्‍नलिखित फायदे पाए गए:

   i.     मृदा की उर्वरता में वृद्धि

   ii.     फसलों के संरक्षण के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले रसायनों की लागत में कमी

   iii.     कीटों और रोगों के खतरों में कमी

   iv.     धान की उपज में 5.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी

   v.     गन्‍ने की उपज में 17.5 प्रतिशत की वृद्धि

   vi.     मकई की उपज में 7.14 प्रतिशत की वृद्धि‍

   vii.     सोयाबीन की उपज में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि

   viii.     तुअर दाल की उपज में 16.88 प्रतिशत की वृद्धि

नीप लेपित यूरिया का एक सकारात्‍मक प्रभाव यह भी रहा है कि इससे सब्सिडी वाले यूरिया के गैर कृषि वाले कामों में इस्‍तेमाल पर रोक लगी है। नीम लेपित यूरिया के बड़े फायदों को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अब इसे 45 किलोग्राम के बैग में उपलब्‍ध कराने की योजना बनायी है। इससे किसानों के लिए उर्वरकों की लागत में काफी कमी आएगी।

सरकार ने स्‍वेदशी स्‍तर पर यूरिया के उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए 2015 में नयी यूरिया नीति अधिसूचित की थी। जिसका उद्देश्‍य यूरिया उत्‍पादन में बिजली की लागत घटाना तथा सरकार पर यूरिया सब्‍सिडी के बोझ को कम करना है। इस नीति‍ की वजह से देश में 2015- 16 के दौरान रिकार्ड 245 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्‍पादन हुआ। इस अवधि में बिना किसी क्षमता विस्‍तार के 20 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्‍त यूरिया का उत्‍पाद हुआ।

इन प्रयासों से किसानों को किफायती दरों पर सहजता के साथ यूरिया की उपलब्‍धता सुनिश्चित की गयी है। आज के मंत्रिमंडल के फैसले ने किसानों के कल्‍याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता एक बार फिर से व्‍यक्‍त की है।

पृष्‍ठभूमि :

रसायन और उर्वरकों ने खाद्यान्‍न उत्‍पादन में देश को आत्‍मनिर्भर बनाने में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह भारतीय कृषि के विकास के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी उपलब्‍ध कराते हैं। निरन्‍तर कृषि विकास और संतुलित पोषक प्रयोगों के लिए यूरिया वैधानिक नियंत्रित मूल्‍य पर किसानों को उपलब्‍ध कराया जाता है जिसका मूल्‍य इस समय 5360/- रुपये प्रति मीट्रिक टन (नीम कोटिंग के लिए केन्‍द्रीय / राज्‍य कर और अन्‍य शुल्‍कों को हटाकर) है। खेत पर पहुंचाए गए उर्वरक के मूल्‍य और किसान द्वारा भुगतान किए गए अधिकतम खुदरा मूल्‍य के बीच का अन्‍तर सरकार द्वारा उर्वरक निर्माताओं/आयातकों को दी जाने वाली सब्सिडी के रूप में दिया जाता है। इस समय 31 यूरिया निर्माण इकाईयां हैं जिनमें से 28 यूरिया इकाईयां प्राकृतिक गैस (रसोई गैस/एलएनजी/सीबीएम का इस्‍तेमाल कर रही हैं) और शेष तीन यूरिया इकाईयां नाप्‍था का इस्‍तेमाल फीडस्‍टॉक/ईंधन के रूप में कर रही हैं।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More