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मंत्रिमंडल ने लखनऊ, चेन्नई एवं गुवाहाटी हवाई अड्डों के अवसंरचना के उन्नयन एवं विस्तार को मंजूरी दी

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की समिति ने लखनऊ, चेन्नई एवं गुवाहाटी हवाई अड्डों पर समेकित टर्मिनलों के उन्नयन एवं विस्तार को क्रमश: 2467 करोड़ रुपये, 1383 करोड़ रुपये एवं 12432 करोड़ रुपये की लागत से अपनी मंजूरी दे दी।

विव‍रण : तीनों परियोजनाओं की विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं :

लखनऊ हवाई अड्डा : नए समेकित टर्मिनल के निर्माण में 16292 वर्ग मीटर के साथ वर्तमान टर्मिनल भवन के साथ 88,000 वर्ग मीटर का एक क्षेत्र होगा और इसकी वार्षिक क्षमता 2.6 मिलियन अंतरराष्‍ट्रीय एवं 11 मिलियन घरेलू यात्री ट्रैफिक को संचालित करने की होगी। नया टर्मिनल भवन 2030-31 तक यात्रियों की वृद्धि की आवश्‍यकता की पूर्ति करेगा।

चेन्नई हवाई अड्डा : 197000 वर्ग मीटर की माप के वर्तमान प्रस्‍ताव समेत, प्रस्‍तावित टर्मिनल भवन का कुल निर्मित क्षेत्र 35 एमपीपीए  संचालित करने की वार्षिक क्षमता के साथ 336000 वर्ग मीटर होगा। नए टर्मिनल भवन में गृह-4 स्टार रेटिंग अर्जित करने के उद्देश्य से हरित भवन की विशेषताएं शामिल होंगी। यह भवन वर्ष 2026-27 तक की यात्रियों की वृद्धि की आवश्यकता की पूर्ति करेगा।

      गुवाहाटी हवाई अड्डाः नए टर्मिनल भवन में 9 एमपीपीए की संयुक्त वार्षिक क्षमता (पुराने तथा नए टर्मिनलों) को संचालित करने के लिए 102500 वर्ग मीटर का क्षेत्र होगा। यह भवन वर्ष 2026-27 तक की यात्रियों की वृद्धि की आवश्यकता की पूर्ति करेगा। यह ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पर जोर के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश एवं पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा।

      पृष्ठभूमिः

      भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास वाहक के रूप में इसकी भूमिका को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार ने आम बजट 2018-19 में अवसंरचना क्षेत्र पर अधिक जोर दिया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए, भारत सरकार राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (एनसीएपी) लेकर आई है, जो हमारे देश के सभी क्षेत्रों को मजबूत वायु संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक शुरूआती कदम होगा। इस नीति में पारिस्थितिक प्रणाली के सृजन की भी परिकल्पना की गई है जो लोगों को क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस), जिसका सटीक नाम उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) रखा गया है, के जरिए किफायती लागत पर सरलता के साथ जोड़ने के द्वारा देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

      देश ने पिछले तीन वर्षों के दौरान 18 से 20 प्रतिशत के दायरे में अभूतपूर्व विकास दर हासिल की है। आईएटीए ट्रैफिंग अध्ययन के अनुसार वर्तमान में भारत सातवें स्थान पर है और इसके 2023-24 तक ब्रिटेन, जापान, स्पेन एवं जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान तक पहुंच जाने की उम्मीद है। भारत के घरेलू उड्डयन क्षेत्र में वृद्धि की वर्तमान दर दुनिया भर में सर्वोच्च है।

बढ़ती मांग की पूर्ति करने के लिए भारत सरकार ने एनएबीएच निर्माण (भारत के लिए अगली पीढ़ी के हवाई अड्डे) की एक नई पहल आरंभ की है जिसमें प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं को अगले 10 से 15 वर्षों में एक बिलियन उड़ानों को संचालित करने के लिए बेहतर हवाई अड्डा क्षमता उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है।

हवाई अड्डा क्षमता उन्नयन एवं विस्तार के लिए नए ग्रीन फील्ड हवाई अड्डों का विकास एवं वर्तमान ब्राउन फील्ड हवाई अड्डों का विस्तार दोनों की आवश्यकता है जिसका वित्त पोषण भारत के निजी क्षेत्र एवं भारतीय विमानन पत्तन प्राधिकरण दोनों द्वारा अपने बैलेंस सीट का लाभ उठाते हुए किया जाएगा। भारतीय विमानन पत्तन प्राधिकरण अगले 4 से 5 वर्षों में 20178 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के साथ चेन्नई, गुवाहाटी, लखनऊ, अगरतला, पटना, श्रीनगर, पुणे, त्रिची, विजयवाड़ा, पोर्ट ब्लेयर, जयपुर, मेंगलौर, देहरादून, जबलपुर, कोल्हापुर, गोवा, रुपसी, लेह, कालीकट, इम्फाल, वाराणसी एवं भुवनेश्वर जैसे एएआई हवाई अड्डों पर अतिरिक्त क्षमता का सृजन करने के द्वारा बढ़ती उड्डयन मांग की पूर्ति करने के लिए अवसंरचना के विकास की योजनाओँ को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में है।

एएआई ने पहले ही अगरतला, कालीकट, पोर्ट ब्लेयर में अत्याधुनिक समेकित टर्मिनलों के निर्माण की दिशा में कार्यों को अवॉर्ड कर दिया है और चेन्नई, लखनऊ एवं गुवाहाटी हवाई अड्डों पर क्रमशः 2467 करोड़ रुपये, 1383 करोड़ रुपये एवं 1232 करोड़ रुपये की लागत से उन्नयन एवं क्षमता के विस्तार के लिए कार्यों को तत्काल मंजूरी देने की प्रक्रिया में है। इसके साथ-साथ रन-वे के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार, नए एपरॉन-बे के निर्माण द्वारा एयरसाइड क्षमता के उन्नयन का कार्य आरंभ किया गया है जिससे कि एयर लाइन ऑपरेटरों की मांग की पूर्ति की जा सकें जिन्होंने अगले दस वर्षों में लगभग 900 वायुयानों के लिए पक्के ऑर्डर दिए हैं।

नवीन ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा नीति के तहत, कई बड़े शहरों में कई हवाई अड्डों का निर्माण किए जाने की उम्मीद है। भारत सरकार ने नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (जेवर), मोपा (गोवा), पुरंदर हवाई अड्डा (पुणे), भोगपुरम हवाई अड्डा (विशाखापत्तनम), धोलेरा हवाई अड्डा (अहमदाबाद), हीरासार हवाई अड्डा (राजकोट) के लिए अनुमोदन प्रदान कर दिया है। नए ग्रीन फील्ड हवाई अड्डों के विकास में 50,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय परिव्यय की उम्मीद की जाती है जिसे भारत सरकार द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। निजी क्षेत्र में भी दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद हवाई अड्डों के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपये की लागत से उन्नयन एवं विस्तार किए जाने की उम्मीद है।

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