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भारत और चीन ने व्‍यापार असंतुलन समाप्‍त करने की रूपरेखा तैयार करने पर सहमति जताई

देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: आर्थिक संबंधों, व्यापार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर गठित चीन-भारत संयुक्‍त समूह का 11वां सत्र 26 मार्च, 2018 को आयोजित किया गया। इस सत्र की सह-अध्‍यक्षता केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु और चीन के वाणिज्‍य मंत्री श्री झोंग शैन ने की।

दोनों मंत्रियों ने संतुलित एवं सतत द्विपक्षीय व्‍यापार को बढ़ावा देने के प्रति अपनी कटिबद्धता दोहराते हुए सितंबर 2014 में चीन और भारत के बीच हस्‍ताक्षरित ‘आर्थिक एवं व्‍यापार सहयोग के लिए पंचवर्षीय विकास कार्यक्रम’ में चिन्हित पहलों को और आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।

चीनी पक्ष ने लंबे समय से कायम व्‍यापार असंतुलन के बारे में भारत द्वारा व्‍यक्‍त की गई चिंताओं के साथ-साथ भारतीय उत्‍पादों एवं सेवाओं की बाजार पहुंच के लिए किए गए अनुरोध को भी ध्‍यान से सुना और क्रमिक जेईजी के साथ-साथ चीन और भारत के बीच हस्‍ताक्षरित ‘आर्थिक एवं व्‍यापार सहयोग के लिए पंचवर्षीय विकास कार्यक्रम’ में उल्‍लि‍खित व्‍यापक फ्रेमवर्क के जरिए इन चिंताओं को दूर करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।

चीनी पक्ष ने गैर बासमती चावल, रेपसीड भोजन, सोया भोजन, अनार एवं अनार छिल्का, भिंडी, केला और अन्‍य फलों एवं सब्जियों से संबंधित भारतीय कृषि उत्‍पादों के साथ-साथ मांस की बाजार पहुंच के प्रावधान में तेजी लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

दोनों पक्षों ने फार्मास्‍यूटिकल्‍स के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्‍यापार को बढ़ावा देने के लक्ष्‍य के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जिसमें चीन के बाजारों को भारतीय फार्मा उत्‍पादों के निर्यात से जुड़े मसलों को सुलझाना भी शामिल है।

इन दोनों ही मंत्रियों ने संतुलित एवं सतत ढंग से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार बढ़ाने के लिए विभिन्‍न कार्य बिन्‍दुओं एवं समय सीमा के साथ एक मध्‍यमकालिक एवं दीर्घकालिक रूपरेखा (रोडमैप) तैयार करने पर सहमति जताई क्‍योंकि ये दोनों ही देश दुनिया की सबसे बड़ी उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं जहां विश्‍व की 35 फीसदी आबादी रहती है और जो विश्‍व के सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान करते हैं। हालांकि, इन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार कुल वैश्विक व्‍यापार के 1 प्रतिशत से भी कम है।

दोनों पक्षों ने अपने साझा हितों को बनाए रखने के लिए विश्‍व व्‍यापार संगठन (डब्‍ल्‍यूटीओ) के साथ-साथ अन्‍य बहुपक्षीय एवं क्षेत्रीय फ्रेमवर्क के अंतर्गत भी आपस में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इसके साथ ही दोनों पक्षों ने नियम आधारित बहुपक्षीय वैश्विक व्‍यापार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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