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भारतीय कृषि ने खादयान्न, फलों, सब्जियों, दूध और मछली उत्पादन में तेजी से प्रगति की है: श्री राधा मोहन सिंह

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याणा मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि भारतीय कृषि ने खाद्यान्न, फलों, सब्जियों, दूध और मछली उत्पादन में तेजी से प्रगति की है। कृषि मंत्री ने यह बात आज गुरुग्राम, हरियाणा में कृषि विभाग, हरियाणा द्वारा आयोजित शहरी क्षेत्र में कृषि से संबंधित राष्ट्रीय स्तर की दो दिवसीय कार्यशाला में कही। कृषि मंत्री ने आगे कहा कि देश में कृषि उत्पादन में हुए अभूतपूर्व विकास को पूरा विश्व एक मजबूत उदाहरण की तरह देख रहा है और हमसे सीख कर अपने यहां अपनाने की कोशिश कर रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान, मंत्रालय ने नवाचारी योजनाओं का विकास किया, आवश्यक धन उपलब्ध कराया तथा नीति निर्धारक निर्णय लिए जिनका कृषि में दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य हासिल करने के लिए मंत्रालय न केवल उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है बल्कि कृषि को लाभकारी बनाने हेतु उचित प्रसंस्करण तकनीकियों, यातायात, भण्डारण एवं बाजार के लिए ढांचों के विस्तार पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि शहरी कृषि में नगर के भीतर और उसके आस-पास  छोटे और बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादन कार्य करना है।

श्री सिंह ने कहा कि शहरी कृषि के जरिए शहरी आबादी के लिए खाद्य संसाधनों का विविधिकरण करके उसे जलवायु परिवर्तन के अनुकूल किया जा सकता है। गत वर्षों के दौरान तेजी से शहरीकरण होने के कारण इन क्षेत्रों में सब्जियां, फलों और फूलों की मांग निरंतर  बढ़ रही है। शहरी कृषि से महत्वपूर्ण स्थानीय खाद्यान्न उत्पादन केन्द्र वाली विविधकृत खाद्यान्न प्रणाली के विकास से मूल्य स्थिरिकरण में सहायता होगी। इससे परिवहन पर बोझ कम होगा, और ताजे उत्पादों के शीत भंडार गृहों वाली ग्रीन हाउस गैस को कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि हम ऐसी व्यवस्था का विकास कर रहे हैं जिसमें शहरों के भोजन की आपूर्ति 100 से 200 किलोमीटर की परिधि से हो सके। इसके दवारा रोजगार का आकर्षक विकल्प प्राप्त होने  से शहरी क्षेत्रों के निकट कृषि भूमि को शहरों और कस्बों में परिवर्तित होने से भी रोका जा सकेगा। सरकार खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से कृषि में गुणवत्ता को बढ़ावा दे रही है। 6 हजार करोड़ रुपये के आवटंन से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना की शुरूआत की गयी है।

श्री सिंह ने कहा कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन(एम आई डी एच) ने सब्जी बीज उत्पादन कार्य को सहायता देकर, संरक्षित कृषि, सब्जी, जैविक कृषि और सारगर्भित मंडी व्यवस्था करके उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने, फसलोपरांत प्रबंधन और सब्जी विपणन कार्य में सहायता की है।

कृषि मंत्री ने कहा कि शहरों के आस पास, गाय व भैंसों का पालन दूध के लिये सदियों से होता रहा है। कृषि मंत्रालय ने दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महत्ववूर्ण योजनाए लागू की हैं। उन्होनें बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन दिसंबर, 2014 में वैज्ञानिक और समेकित ढंग में विशेष रूप से स्वदेशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु प्रारंभ किया गया था। देशी गाय की उत्पादकता को दुगना करने हेतु इस मिशन के तहत 1,077 करोड़ रू. की 27 राज्यों में परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिसके द्वारा 41 देशी गाय की नस्ल तथा 13 महिषवंशी नस्ल का संवर्धन एवं विकास किया जा रहा है। गोकुल ग्राम योजना के तहत 12 राज्यों में 18 गोकुल ग्राम हेतु 173 करोड़ रू. स्वीकृत किये गए हैं। देशी नस्ल के पशुओं के समग्र एवं वैज्ञानिक तरीके से विकास और स्वदेशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए देश में प्रथम बार 50 करोड़ रूपये की लागत से 2 नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेन्टर,  आंध्र प्रदेश में,  मध्य प्रदेश में स्थापना की जा रही है। 10 करोड़ से 2 गोकुल ग्राम एक हिसार में और एक लाड़वा गौशाला, हरियाणा में स्थापित किया जा रहा है। श्वेत क्रांति को एक महत्वकांक्षी मिशन के तहत 10,881 करोड़ रूपये की डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डी.आई.डी.एफ.) योजना 3 वर्षों के दौरान क्रियान्वित करने की घोषणा कर दी गयी है।

श्री सिंह ने बताया कि मत्स्य विकास की अत्यधिक क्षमता देखते हुए, माननीय प्रधानमंत्री ने मात्स्यिकी क्षेत्र में एक क्रांति के रुप में “नीली क्रांति” घोषित की। नीली क्रांति, अपने बहुआयामी क्रियाकलापों के साथ जल कृषि, अंतर्देशीय और समुद्री मात्स्यिकी संसाधनों से मात्स्यिकी उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है। नीली क्रांति की छतरी के नीचे डीप सी फिसिंग नाम से एक नई योजना भी सरकार ने प्रारंभ की है।

कृषि मंत्री ने बताया कि मधुक्रांति पर भी मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। नेशनल बी बोर्ड को पिछले तीन साल में 205 फीसदी ज्यादा वित्तीय सहायता दी गई। मधुमक्खी कॉलोनियों की संख्या 20 लाख से बढ़कर 30 लाख हो गई। शहद उत्पादन में 20.54 फीसदी की वृद्धि है। राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन व शहद मिशन की केंद्र पोषित योजना भी तैयार की जा रही है।

श्री सिंह ने कहा कि परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के जरिए सरकार देश में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस स्कीम के तहत किसानों को जैविक खेती के लिए समूह बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। भारत सरकार सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास संबंधी सहायता उपलब्ध करा रही है।

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