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फसलों की कटाई के उपरान्त बचे हुए अपशिष्ट को जलाये जाने पर रोक के निर्देश

उत्तर प्रदेशकृषि संबंधित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण, जैव ऊर्जा उत्पादन पेट्रोलियम आधारित ईंधन की खपत को उत्तरोत्तर रूप से कम करने, अतिरिक्त रोजगार के अवसरों को सृजित करने तथा आर्गेनिक खेती हेतु आवश्यक इनपुट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी।

इस संबंध में नियोजन विभाग द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिया है। निर्देशों में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है। प्रदेश में गेहूँ तथा धान की फसलें प्रमुख रूप से होती है। दोनों ही फसलों की कटाई के पश्चात, जो ठूंठ/अवशेष बच जाते हैं, उनके निस्तारण की वर्तमान में कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को अनेक प्रकार के प्रोत्साहन दिये जा रहे है जिससे कृषि अवशेष के सुव्यवस्थित निस्तारण की समस्या न आये इसके बावजूद कृषि अवशेषों को किसानों द्वारा जलाया जाता है, जिससे जहाँ एक ओर वातावरण प्रदूषित होता है वहीं दूसरी ओर कृषि भूमि की गुणवत्ता भी दुष्प्रभावित होती है।

मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण वर्द्धमान कौशिक बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया तथा विक्रान्त कुमार तोंगड़ बनाम यूनियन आफ इण्डिया व अन्य में पारित आदेश में कृषि अपशिष्ट जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण के दृष्टिगत कृषि अपशिष्ट जलाने वाले किसानों से क्षेत्रफल के आधार पर जुर्माना राशि वसूलने के आदेश दिये गये है। साथ ही कृषि अपशिष्ट जलाये जाने से रोकने हेतु किसानों को रियायती दरों पर उपकरण/सुविधायें भी उपलब्ध कराने के आदेश दिये गये है। मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा यह भी निर्देश दिये गये है कि कृषि अपशिष्टों के वैकल्पिक प्रयोग हेतु भी सुविधायें विकसित की जाये। फसलों की कटाई के उपरान्त बचे हुए अपशिष्ट को जलाया जाना प्रतिषिद्ध किये जाने हेतु उ0प्र0 शासन द्वारा अधिसूचना जारी की गयी है।

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