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पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए मनोवैज्ञानिक पहुंच महत्वपूर्णः डॉ जितेन्द्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्लीः पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालाय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने‘बहुपक्षवाद तथा भारत के पूर्वोत्तर को जोड़ने का युगः अवसर और चुनौतियां’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। यह संगोष्ठी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय तथा विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) तथा एशियन कंफ्लूएंस (दिव्य जीवन फाउंडेशन की इकाई), शिलांग, मेघालय द्वारा 19 और 20 मार्च, 2018 को संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

      डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उद्घाटन भाषण में कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के पास जो क्षमताएं हैं, उनका दोहन नहीं किया गया है और यह क्षेत्र प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए मनोवैज्ञानिक पहुंच भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना शारीरिक पहुंच। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा फास्ट ट्रैक पर बल देने के परिणाम स्वरूप विमान, रेल और सड़क संपर्क में काफी सुधार हुआ है और इससे उद्यमियों के सामने पहले आने वाली बाधाएं अवश्य दूर होंगी। उन्होंने कहा कि सरकारी की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति पर बल देना क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए उत्पादन की नई संभावनाओं को तलाशने का बड़ा अवसर है।

      उन्होंने कहा कि अरूणाचल प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए ईटानगर में दूसरा भारतीय फिल्म और प्रशिक्षण संस्थान (एफटीआईआई) स्थापित किया जाएगा। पहला संस्थान महाराष्ट्र के पुणे में है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए क्षेत्र आधारित सड़क विकास योजना ‘पूर्वोत्तर सड़क विकास योजना’ (एनईआरएसडीएस) को वैसी सड़कों के रखरखाव, निर्माण और उन्नयन के लिए है, जो दो राज्यों के बीच सड़कों को जोड़ने वाली होने के कारण उपेक्षित रह गईं, ‘बिना स्वामित्व वाली’ रहीं और उन्हें ‘अनाथ सड़कें’ कहा जाने लगा।

      डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्रों के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है। इस संबंध में उन्होंने जापान सरकार के साथ सहयोग का उदाहरण दिया, जिसके अंतर्गत जापान सरकार क्षेत्र में भारी निवेश करेगी। सिंगापुर ने भी असम में कौशल केन्द्र स्थापित करने की पेशकश की है।

      इस अवसर पर विश्व मामलों की भारतीय परिषद के महानिदेशक श्री नलीन सूरी तथा एशियन कंफ्लूएंस के निदेश श्री सब्यसाची दत्त उपस्थित थे।

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