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पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारी प्रयासों से सम्भव नहीं, इसे जन-आन्दोलन बनाना होगा: मुख्यमंत्री

पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारी प्रयासों से सम्भव नहीं, इसे जन-आन्दोलन बनाना होगा: मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारी प्रयासों से सम्भव नहीं है। इसे जन-आन्दोलन बनाना होगा तभी हम अपने जल स्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने में सफल हो सकते हैं। इसके साथ ही, रोपित किए गये वृक्षों की सतत् देख-रेख के लिए एक-एक व्यक्ति को दायित्व सौपना होगा तभी प्रदेश के वर्तमान 9 प्रतिशत वन आच्छादित क्षेत्रफल को बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत को किसी अन्य देश के तौर-तरीके आजमाने के बजाए अपनी ऋषि-परम्परा की तरफ देखना होगा, जहां विविध प्रकार के वृक्षों का सम्बन्ध ग्रहों एवं उपग्रहों से जोड़कर उनके महत्व को दर्शाया गया है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के लिए निर्धारित थीम ‘कनेक्टिंग पिपुल टू नेचर’ से राज्य सरकार की पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि 05 जून, 1972 को स्वीडन के स्टाॅकहोम नगर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण को लेकर चिन्ता प्रदर्शित करते हुए इस तिथि को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के रूप मंे मनाने का फैसला हुआ, जिससे विश्व समुदाय पर्यावरण को लेकर सतत् जागरूक एवं प्रयासरत रहे।
स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन के लिए प्रकृति के महत्व को रेखांकित करते हुए योगी जी ने कहा कि प्रकृति के करीब रहने वाला व्यक्ति स्वस्थ एवं लम्बा जीवन जीता है। लेकिन मानव ने आधुनिकता के चकाचैंध में पर्यावरण के महत्व को नकारते हुए स्वयं अपने लिए कठिनाइयों का आमंत्रण कर लिया और प्रकृति से दूर हो गया। चारों तरफ वनों एवं वृक्षों को काटकर कंकरीट के जंगल खड़े किये जा रहे हैं। प्राकृतिक जल स्रोतों में औद्योगिक कचरों के अलावा नगरों के सीवर एवं गन्दे पानी गिराये जा रहे हैं। शौच के लिए नदियों के किनारे जाने की परम्परा बना ली गयी है। इन सब कारणों से जहां वृक्षों की संख्या लगातार कम हो रही है, वहीं प्राकृतिक जल स्रोत दूषित हो रहे हैं, जिससे बीमारियां बढ़ रही हैं और मानव सभ्यता के समक्ष गम्भीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
इन समस्याओं के समाधान के लिए ऋषि परम्परा की तरफ मुड़ने का आह्वाहन करते हुए मुख्यमंत्री जी ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प के बयान के प्रत्युत्तर में प्रधानमंत्री जी के वक्तव्य का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने शालीनता से पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत सदियों से पर्यावरण की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रहा है। वेद एवं अन्य प्राचीन ग्रन्थ हमें पर्यावरण के साथ समन्वय स्थापित कर जीने की राह दिखाते हैं। इसलिए भारत जैसे देश को पर्यावरण की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए किसी अन्य व्यक्ति या संस्था से सीखने की जरूरत नहीं है। ग्लोबल वाॅर्मिंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम शीघ्र प्रकृति के साथ सन्तुलन बनाना नहीं सीखेंगे तो बहुत बड़े संकट में फंस जाएंगे।
योगी जी ने पंचवटी एवं नक्षत्रवाटिका की चर्चा करते हुए कहा कि पंचवटी में जहां पीपल, बरगद आदि पांच वृक्षों का उल्लेख किया गया है, वहीं नक्षत्रवाटिका में 27 वृक्षों का उल्लेख करते हुए उन्हें 27 नक्षत्रों के साथ जोड़ा गया है। यदि हम उन वृक्षों को रोपित करना शुरू कर दें तो पर्यावरण की समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा। क्योंकि इसमें कई ऐसे वृक्ष हैं, जो बड़ी संख्या में बरसात के पानी का संचयन करते हैं, मिट्टी की कटान को रोकते हैं। इसके साथ ही, वृक्ष कार्बन डाई-आॅक्साइड का शोधन कर आॅक्सीजन उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि सृष्टि में कोई वस्तु बेकार या अनुपयोगी नहीं है। यदि मानव इनसे जुड़कर रहना सीख ले तो पर्यावरण की जीवन्तता स्वतः कायम हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश में कम हो रहे वन आच्छादित क्षेत्र का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कई ऐसे प्राकृतिक वन हैं, जिनके किनारे-किनारे तो पर्याप्त वृक्ष दिखायी देते हैं, लेकिन बीच में वृक्षों की कटान बड़ी संख्या में की गयी है। इससे मिट्टी का क्षरण तेजी से हो रहा है। उन्होंने वनों के बीच जल संरक्षण के लिए चेक डैम बनाने पर बल देते हुए कहा कि उससे जहां वनों को हरा-भरा रखने में मदद मिलेगी, वहीं जलस्तर में भी सुधार होगा। वनों एवं जलस्रोतों के संरक्षण के लिए किसी विदेशी तकनीक की जरूरत नहीं है, बल्कि हम अपनी प्राचीन परम्परा को उपयोग में लाकर इनका बचाव कर सकते हैं।
योगी जी ने नदियों को बचाने के लिए सरकारी योजना के साथ-साथ जनजागरूकता पर बल देते हुए कहा कि हमारी लापरवाही की वजह से कई ऐसी नदियों का पानी दूषित हो गया, जिनका जल आज से 20 वर्ष पूर्व शुद्ध एवं मीठा था। उन्होंने वन विभाग को सुझाव दिया कि विभाग के विभिन्न कार्यालयों द्वारा जिन्हें वृक्ष काटने की इजाजत दी जाती है, उनसे प्रति वृक्ष 10-10 पौधों के रोपण के लिए भी कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 22 करोड़ जनसंख्या को वृक्षारोपण के महाअभियान में शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक नागरिक से कम से कम एक-एक वृक्ष लगाने का आह्वाहन करने पर 3 वर्ष में ही प्रदेश की 15 प्रतिशत भूमि वन आच्छादित हो जाएगी।
प्रदेश के 86 लाख किसानों के एक-एक लाख रुपये के फसली ऋण माफ करने के फैसले का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने यह कार्य समाज के सभी वर्गाें को सतत खुशहाल रखने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि इन किसानों को ऋणमाफी का पत्र देते समय उन्हें 10-10 पौधे उपलब्ध कराते हुए अपने-अपने खेतों में लगाने व सुरक्षित रखने का अनुरोध किया जाना चाहिए। इस कदम से एक साथ बड़ी संख्या में पौधों का रोपण हो जाएगा। उन्होंने वन विभाग को प्रत्येक स्तर पर जनसहयोग प्राप्त करने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि हमें प्रकृति को वेदों के आह्वाहन के अनुरूप बनाये रखना है तो पर्यावरण का संरक्षण तथा वृक्षा के जतन का प्रबन्धन करना होगा। उन्होंने भारतीय परम्परा के वृक्ष जैसे बरगद, पीपल, पाकड़, आम आदि रोपित करने का आग्रह करते हुए कहा कि इन वृक्षों में हमारे पर्यावरण को सुधारने की अपार क्षमता है।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर में पारिजात का पौधा रोपित किया और इस मौके पर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए लगायी गयी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने जैव विविधता से सम्बन्धित मानचित्र, वन विभाग की स्मारिका तथा वन विभाग के नागरिक अधिकार पत्र सिटिजन चार्टर का विमोचन भी किया। इसके साथ ही, जनता एवं विभाग के बीच संवाद के लिए ‘वन मित्र’ मोबाइल ऐप एवं टोल फ्री नम्बर-1926 का लोकार्पण भी किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री जी ने विद्यार्थियों एवं आम जनता में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न करने के लिए करायी गयी विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किये।
योगी जी ने चित्रकला/पोस्टर प्रतियोगिता के लिए नगरीय क्षेत्र में (कक्षा 9 से 12) सुश्री शुभांगीय पाण्डेय को प्रथम तथा सुश्री काजल यादव को द्वितीय एवं सुश्री कीर्ति राव को तृतीय पुरस्कार दिया, जबकि नगरीय क्षेत्र में ही (कक्षा 6 से 8) सुश्री अनीषा पाण्डेय को प्रथम, सुश्री मनीषा कुशवाहा को द्वितीय एवं सुश्री रिंकी यादव को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया। इसी क्रम में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र (कक्षा 6 से 12) की सुश्री प्राची सिंह को प्रथम, सुश्री रोशनी को द्वितीय तथा श्री प्रेम कुमार को तृतीय पुरस्कार दिया।
स्लोगन लेखन के लिए मुख्यमंत्री जी ने श्री रित्विक विशभ राज को प्रथम, श्री प्रवर सिंह को द्वितीय तथा सुश्री शुभांगी श्रीवास्तव को तृतीय पुरस्कार दिया। इसके अलावा, उन्होंने बेहतर कार्य करने वाली संयुक्त वन प्रबन्ध समितियों को भी पुरस्कृत किया। इनमें काशी वन्य जीव प्रभाग की समिति लहसनियाँ, ओबरा वन प्रभाग की नौटोलिया तथा पीलीभीत टाइगर रिजर्व की समिति मुस्तफाबाद को क्रमशः प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार दिया गया। साथ ही, 3 सर्वश्रेष्ठ स्वयं सहायता समूहों को भी पुरस्कृत किया गया। इसमें स्वयं सहायता लोधी को प्रथम, लक्ष्मी को द्वितीय तथा क्रान्तिवीर को तृतीय पुरस्कार दिया गया।
इस मौके पर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री दारा सिंह चैहान ने मुख्यमंत्री जी सहित अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए विस्तार से विभाग की योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को स्मृति चिन्ह के रूप में रुद्राक्ष का एक पौधा भी भेंट किया।
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, डाॅ० दिनेश शर्मा सहित अन्य मंत्रिगण, अधिकारी एवं प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए पर्यावरण प्रेमी मौजूद थे।

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