नई दिल्लीः ‘‘निरंतर कचरा प्रबंधन’’ समय की मांग है, जिसमें पर्यावरण की दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से संतोषजनक और तकनीकी, आर्थिक दृष्टि से कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन शामिल है। कचरा प्रबंधन की मांग है सबसे पहले कचरे की उत्पत्ति को रोकना, दोबारा इस्तेमाल करना, पुनर्चक्रण, पुन: प्राप्त करना, शोधन और निपटारा। मूल उद्देश्य कचरे का अधिकतम दोबारा इस्तेमाल और पुनर्चक्रण होना चाहिए ताकि कचरे के निपटारे के लिए कम से कम जमीन की जरूरत हो और साथ ही साथ प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा को बचाया जा सके। केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने आज यहां एक राष्ट्रीय कार्यशाला में यह बात कही। इसका विषय था ‘‘पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए विसंरचना और निर्माण और तोड़ फोड़ के मलबे का इस्तेमाल और प्रक्रमण’’। इस कार्यशाला में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, बीएमटीपीसी के कार्यकारी निदेशक डॉ. शैलेश कुमार अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
अपने संबोधन में श्री पुरी ने कहा कि कचरा प्रबंधन की समस्या के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है तथा इसे एकत्र करने, इसका प्रक्रमण, पुनर्चक्रण की उचित प्रक्रिया अपनाने तथा देश के विभिन्न साझेदारों के बीच इमारती निर्माण में सी और डी कचरे का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आवास और बुनियादी ढांचे के संबंध में शहरों में बदलाव और सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, यह सच्चाई है कि हम परंपरागत इमारती सामग्री का इस्तेमाल जारी नहीं रख सकते जो सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है।
समस्या पर विशेष जोर देते हुए श्री पुरी ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि बिल्डिंग के मालिक, कचरा कर्षक और तोड़ फोड़ करने वाले ठेकेदार इस कचरे का गड्डों अथवा भूमिगत जल के रिचार्ज क्षेत्रों, कृषि योग्य भूमि और प्रमुख रिहायशी सम्पत्ति, और निचले इलाकों में गलत तरीके से और अवैध तरीके से निपटारा कर देते हैं। इससे नाले बंद हो जाते है जिससे सड़कों और निचले इलाकों में पानी फैलता है उन्होंने कहा कि जिस कचरे को दबा दिया जाता है वह अगम्य परत बना देता है जिससे फसलें उगाने में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है इसलिए सी और डी कचरे का उचित प्रबंधन आवश्यक है।
श्री पुरी ने बताया कि सूरत, मुम्बई, हैदराबाद और राजकोट नगर निगमों ने टेंडर निकाले गए हैं और वे सी और डी कचरा प्रक्रमण संयंत्र और अनेक अन्य प्रक्रमण संयंत्र लगाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।