38 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नई फसल बीमा योजनाओं से लाभ

नई फसल बीमा योजनाओं से लाभ
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा परिचालित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सभी प्रावधानों का यथासंभव सरलीकरण एवं किसानों के हितों के अनुरूप किया गया है | इसमें किसानों को जोखिमों से बचाने और अधिकतम आर्थिक सुरक्षा के प्रावधान किए गए हैं |

योजना का सरलीकरण

पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं की कमियों को सुधार कर शुरू की गयी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सभी प्रावधानों का यथासंभव सरलीकरण एवं किसानों के हिस्से का प्रीमियम कम कर दिया गया है | जिससे किसानों की समझ और फसल क्षेत्र व फसलों का कवरेज बढ़ा है |

प्रीमियम में कटौती

अब किसानों के हिस्से का प्रीमियम घटाकर सभी खाद्यान एवं तेलहन फसलों के लिए खरीफ में अधिकतम 2% तथा रबी के लिए अधिकतम 1.5% और वार्षि‍क बागवानी/वाणि‍ज्‍यि‍क फसल के लि‍ए अधिकतम प्रीमि‍यम दर 5% कर दिया गया है |

कवरेज में वृध्दि 

  • पिछले एक वर्ष 2016-17 में सकल कृषि योग्य फसलो क्षेत्र का 30% हिस्सा को कवर किया गया है | जबकि वर्ष 2015-16 तक कुल कवरेज मात्र 23 प्रतिशत था |
  • वर्ष 2016-17 के दौरान कुल 74 करोड़ किसानों को कवर किया गया है जिसमें गैर ऋणी किसानों की संख्या मात्र 1.35 करोड़ है | एक वर्ष में किसानों के कुल कवरेज में 0.89 करोड़ की वृध्दि हुई है जो पिछले वर्ष की तुलना में 18.32 प्रतिशत और गैर ऋणी किसानों के कवरेज में 123.50 प्रतिशत में वृध्दि प्रदर्शित करता है |
  • वर्ष 2016-17 के दौरान कुल बीमित क्षेत्र11 लाख हेक्टेयर को कवर किया गया है | एक वर्ष बीमित क्षेत्र के कुल कवरेज में 56.56 लाख हेक्टेयर की वृध्दि हुई है जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.78 प्रतिशत में वृध्दि प्रदर्शित करता है |
  • वर्ष 2016-17 के दो मौसमों में गैर ऋणी किसानों की कुल कवरेज में भागीदारीं 5% से बढकर 5 % हो गयी है |

बीमित राशि में युक्तिसंगत वृध्दि 

पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं के तहत वास्‍तविक प्रीमियम पर सीमांकन के कारण बीमित राशि को कम कर दिया जाता था जिससे किसानों को न तो अपेक्षित लाभ मिलता था और न ही फसल हानि की पूरी भरपाई हो पाती थी | लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को क्षति का अधिकतम लाभ दिलाने हेतु फसलों के लिए बीमित राशि को स्केल आफ फायनेंस (ऋणमान) के बराबर कर दिया गया है जिससे अब किसानों को सम्पूर्ण बीमित राशि के साथ पूरा दावा बिना कटौती के अतिशीघ्र समयबद्ध भुगतान हो रहा है और फसल हानि की पूरी भरपाई हो रही है |

  • वर्ष 2016-17 के दौरान किसानों के बीमित क्षेत्र के क्षतिपूर्ति आकलन लिए कुल बीमित राशि 20 करोड़ रूपए को कवर किया गया है और वर्ष वर्ष 2015-16 में कुल बीमित राशि में 114951.81 करोड़ रूपए थी इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में कुल बीमित राशि में 78.14 प्रतिशत में वृध्दि प्रदर्शित करता है |
  • प्रति हेक्टेअर बीमित राशि खरीफ २०१५ में २०४९८ रूपये से बढ़कर खरीफ २०१६ में ३४५७४ रूपये हो गयी और रबी २०१५ -१६ में ८७३३ रूपये से बढ़कर रबी २०१६-१७ में ३९३५८ रूपये हो गयी|

जोखिम कवरेज में वृध्दि

गैर निवार्य प्राकृतिक जोखिमों के कारण फसल बुवाई पूर्व के जोखिमों के साथ फसलोपरांत नुकसान तक बढाया गया है |साथ ही स्थानीय आपदाओं से क्षति का आकलन व्‍यक्‍तिगत खेत के आधार क्षति का आकलन कर किसनों को क्षतिपूर्ति दावों का भुगतान किया जाता है |

  • बुवाई पूर्व फसल क्षति का कवरेज : खराब मौसम के चलते बुवाई या रोपाई से वंचित होने पर वर्ष 2016-17 के दौरान तमिलनाडु में 61 करोड़ रूपए के बुवाई पूर्व फसल क्षति के दावों (बीमित राशि के 25 % तक) का भुगतान किया गया है |
  • मध्य मौसम में प्रतिकूलता के कारण तत्काल 25% अग्रिम राहत फसल के दौरान विपरीत मौसम यथा- बाढ़, सूखा अवधि, गंभीर सूखा और गैर मौसमी वर्षा के कारण वर्ष 2016-17 के दौरान उत्तर प्रदेश में 69 करोड़ रूपए, छत्तीसगढ़ में 11 करोड़ रूपए, महाराष्ट्र में 11.19 करोड़ रूपए और मध्य प्रदेश में 9.42 करोड़ रूपए के अग्रिम राहत दावों का भुगतान किया गया है |
  • स्थानीय आपदाओं का कवरेज : ओलावृष्‍टि, जलभराव, भू स्‍खलन जैसी स्थानीय आपदाओं के चलते वर्ष 2016-17 के दौरान आंध्रप्रदेश में 11 करोड़ रूपए, छत्तीसगढ़ में 0.09 करोड़ रूपए, हरियाणा में 4.04 करोड़ रूपए, महाराष्ट्र में 1.55 करोड़ रूपए, , राजस्थान में 0.32 करोड़ रूपए और उत्तर प्रदेश में 0.80 करोड़ रूपए के दावों का भुगतान अतिशीघ्र उपज आंकड़े फसल कटाई से पहले किया गया है |
  • फसलोपरांत नुकसान का कवरेज: वर्ष 2016-17 के दौरान आंध्रप्रदेश में 11 करोड़ रूपए, मणिपुर में 0.66 करोड़ रूपए और राजस्थान में 16.51 करोड़ रूपए के दावों का भुगतान किया गया है |

उन्नत तकनीक का प्रयोग

पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में उन्‍नत प्रौद्योगिकियों को न अपनाने के कारण बीमा दावों के निपटान में काफी विलम्‍ब होता था । नई योजना के तहत फसल कटाई के बाद एक माह के अन्दर राज्यों को सीसीई के आंकड़े बीमा कंपनियों को देने होते है और सीसीई के आंकड़े प्राप्त होने के ३ सप्ताह के भीतर बिमा कम्पनीयों को बिमा दावों का भुगतान करना होता है पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में फसलों का उपज आंकलन बिना तकनीक (manually) के परम्परागत तरीके से किया जाता था जिससे फसल कटाई प्रयोग )सीसीई) के आंकड़े मिलने में बहुत विलम्ब होता था | जिससे किसानों को दावों के भुगतान औसतन छह माह से एक साल तक का समय लगता था| इस विलंब को दूर करने और पारदर्शिता लाने के लिए फसल कटाई के आंकड़े अनिवार्य रूप से स्मार्टफोन प्रयोग कर सीसीई एप्प (CCE-agri) द्धारा फसल बीमा पोर्टल / सर्वर पर भेजने का प्रावधान किया गया है | जिसके चलते खरीफ 2016 फसल की कटाई नवम्बर से शुरू होकर दिसंबर में समाप्त होने के पश्चात दिसंबर के अंत से सीसीई के आंकड़े मिलने शुरू हो गए थे और जनवरी के अंत से बीमा दावों का भुगतान शुरू हो गए थे |

पहले मौसम में ही बिहार,तमिलनाडू, हरयाणा, कर्नाटक, ओडिशा ने पूर्णतया और गुजरात , झारखण्ड, पश्चिम बंगाल,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश ने आंशिक रूप से स्मार्ट फोन द्वारा उपज आंकड़ों को सीसीई एप्प (CCE-agri)  के माध्यम से प्रेषित किया है | खरीफ मौसम के कुछ क्षेत्रों में जहां उपज आंकड़ों के संबंध में राज्य एवं बीमा कंपनियों से विवाद है, को छोड़कर  शेष राज्यों में दावों की गणना की जा चुकी है |

  • योजना में अधिक पारदर्शिता व समयबध्द बीमा भुगतान को बढ़ावा देने के लिए किसानों सहित विभिन्न हितधारकों को एक साथ जोड़ने के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल संचालित किया गया है | जिसमे किसानों के पंजीकरण हेतु आनलाइन सुविधा भी उपलब्ध है |
  • योजना में बटाईदारों सहित अन्य सभी गैर ऋणी किसानों का कवरेज बढाने के लिए अनेक किसान हितैषी, प्रशासनिक प्रयास और अनेक संभव तकनिकी माध्यमों का प्रयोग किया गया है जैसे खरीफ २०१७ से किसानों के नामांकन /पंजीकरण हेतु जन सुविधा केन्द्रों(सी एस सी ) को भी शामिल किया गया है |
  • करीब १२ लाख किसानों ने फसल बीमा के लिए आनलाइन पंजीकरण किया है|
  • बीमा दावों का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कराने हेतु प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण(DBT) |
  • बीमा दावों के पारदर्शी और त्‍वरित निपटान के लिए उन्‍नत प्रौद्योगिकी का व्‍यापक प्रयोग : ड्रोन और दूर संवेदन आदि के प्रयोग का भी प्रावधान किया गया है|

बीमा दावा राशि

  • वर्ष 2016-17 (खरीफ 2016 एवं रबी 2016-17) जोकि खेती के अनुकूल वर्ष रहा है, के दौरान बीमा कम्‍पनियों को प्रीमियम राशि के रूप में रूपये93 करोड़ जारी किया गया जिसके विरुध्द किसानों को देय अनुमानित दावा राशि करीब रूपये 15100.68 करोड़ आकलित की गयी है | अभी तक बीमा कंपनियों द्वारा दावा राशि रूपये 9446.83 करोड़ अनुमोदित किया गया है एवं किसानों को राशि रूपये 6624.65 करोड़ का भुगतान किया गया है | जो प्रीमियम की तुलना में अनुमानित दावा राशी ६८% के करीब है | उल्लेखनीय है कि अभी खरीफ २०१६ मौसम के कुछ फसलों/क्षेत्रों एवं रबी २०१६-१७ के अधिकांश क्षेत्रों का बीमा दावा कि गणना अभी सम्बंधित बिमा कम्पनीयों द्वारा कि जानी है|
  • अगर हम वर्ष 2011-12 में लागू पूर्व की बीमा योजनाओं के आंकड़ों को देखें जो कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तरह बीमांकिक दरों पर आधारित थीजिसके तहत कृषि अनुकूल वर्ष 2011-12 में कुल29 करोड़ रूपये के प्रीमियम के विरुद्ध कुल दावों का भुगतान रू० 1357.60  करोड़ था जोकि कुल प्रीमियम का 63.70% था|
  • इसी प्रकार 2015-16 में कुल प्रीमियम रू० 92 करोड़ के प्रीमियम के विरुद्ध कुल दावों का भुगतान रू० 4115.40 करोड़ था जोकि कुल प्रीमियम का 133.75% था | क्योंकि उपरोक्त  वर्ष 2015-16 सुखाग्रस्त थे इस लिए दावों का भुगतान कुल प्रीमियम से ज्यादा था |

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More