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ट्रांजिशन क्रेडिट के बारे में स्पष्टीकरण

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नई दिल्ली: मीडिया में जीएसटी-पूर्व अवधि के दौरान केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर के संबंध में करदाताओं द्वारा दावा किये गये 65,000 करोड़ रुपये के क्रेडिट के बारे में व्‍यापक अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ लोगों की यह धारणा है कि ट्रांजिशन संक्रमणकालीन क्रेडिट के रूप में दावा की गई 65,000 करोड़ रुपये की राशि के कारण इस महीने सरकार की आय में गिरावट आई है।

सबसे पहले 65,000 करोड़ रुपये के इस क्रेडिट का करदाताओं द्वारा ट्रान्‍स-1 फार्म में अपने बकाया क्रेडिट के रूप में दावा किया गया है। इसका यह अर्थ नहीं है कि उन्‍होंने जुलाई, 2017 के लिए अपनी आउटपुट टेक्‍स देनदारी के भुगतान के लिए इस पूरे क्रेडिट का उपयोग कर लिया है।

यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि यह अटकल सच्‍चाई से दूर है। दूसरे यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि जीएसटी के लिए अगस्‍त, 2017 में 95,000 करोड़ रुपये की राशि प्राप्‍त हुई थी, जो क्रेडिट का लाभ लेने के अलावा वास्‍तव में नकद भुगतान की गई राशि है।

तीसरे दावा की गई ट्रांजिशन क्रेडिट राशि अविश्‍वसनीय रूप से बहुत अधिक नहीं है, क्‍योंकि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 30 जून, 2017 को केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर के मद में 1.27 लाख करोड़ रुपये की क्रेडिट राशि शेष जमा राशि के रूप में पड़ा था। इसमें केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क के साथ-साथ सेवा कर की राशि भी शामिल है। वास्‍तव में इनमें से कुछ क्रेडिट जीएसटी शासन के तहत मान्‍य नहीं है। उदाहरण के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 17 (5) के तहत क्रेडिट या जीएसटी की परिभाषा में शामिल नहीं किये गये क्रेडिट मान्‍य नहीं हैं। इसके अलावा ट्रान्‍स-1 फार्म में दावा किये गये कुछ क्रेडिट भी मान्‍य नहीं हैं, जो न्‍यायालय के विचाराधीन हैं, इसलिए करदाताओं के लिए अपने खातों में जोड़ना या उपयोग करना संभव नहीं है। इसी दृष्टिकोण से सीबीईसी कुछ मामलों में ट्रान्‍स-1 फार्म में करदाताओं द्वारा दावा किये गये ट्रांजिशन क्रेडिटों की जांच पड़ताल कर रहा है।

यह संभव है कि कुछ करदाताओं ने मान्‍य क्रेडिट से संबंधित ट्रान्‍स-1 फार्म को दाखिल करने में गलती की होगीं। इसलिए जीएसटी परिषद द्वारा ट्रान्‍स-1 फार्म में संशोधन की सुविधा देने का निर्णय लिया गया है। यह सुविधा अक्‍टूबर 2017 के मध्‍य तक उपलब्‍ध रहेगी और करदाताओं से अनुरोध है कि वे अपने ट्रान्‍स-1 फार्म को 31 अक्‍टूबर, 2017 से पहले संशोधित कर लें, ताकि वे स्‍वयं भी अपनी गलती को दूर कर सकें।

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