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जूझने के जज़्बे ने बना दिया ‘लक्ष्मण राव’ को एक बेमिसाल साहित्यकार

देश-विदेश

नई दिल्ली: चाय बेचते-बेचते एक इंसान कब प्रधानमंत्री बन जाए, यह तो आपने देख ही लिया है। अब हम आपको एक और ऐसे चाय वाले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चाय पिलाने के साथ लेखन भी करते हैं। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे लक्ष्मण राव दिल्ली के आईटीओ की लाल बत्ती से चंद कदमों की दूरी पर बने हिंदी भवन के सामने चाय बेचते हैं। वह अपने हाथों से बनी चाय के साथ अपनी लिखी पुस्तकों की बिक्री भी करते हैं।62 साल के लक्ष्मण राव अभी तक 24 किताबें लिख चुके हैं, जिनमें 12 किताबें छप चुकी हैं और जून 2015 तक पांच और नई किताबें भी प्रकाशित करने वाले हैं। वह पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से सम्मानित भी हो चुके हैं। चाय बनाते-बनाते करीब 40 साल गुजार चुके लक्ष्मण राव की किताबें अब बुक फेयर में भी मिलने लगी हैं। हॉल नंबर 12 में एक छोटी सी स्टॉल पर उनकी किताबें मिल रही हैं।

लक्ष्मण राव से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह अपनी किताबें किसी बड़े प्रकाशन के जरिए नहीं, बल्कि खुद अपने नाम से प्रकाशित करते हैं। लक्ष्मण राव आईटीओ पर पटरी पर लगी चाय की दुकान के किनारें इन पुस्तकों को सेल करते हैं। वह अपनी लिखी किताबों की मदद से करीब 10 हजार रुपये प्रतिमाह कमा भी लेते हैं।

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