हैम्बर्ग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व की अन्य शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेता कल जब यहां दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होंगे तो आतंकवाद से मुकाबला, जलवायु परिवर्तन और विश्व व्यापार जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में होंगे।
सिक्किम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की किसी भी संभावित बैठक पर सभी की निगाहें टिकी होंगी।
परस्पर संबद्ध दुनिया को एक आकार देने की (शेपिंग एन इंटर-कनेक्टेड वर्ल्ड) थीम पर आधारित इस सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जब इसमें हिस्सा लेने वाले कई संभावित नेताओं के बीच के मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं। इनमें से अधिकतर मतभेद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जलवायु परिवर्तन और मुक्त व्यापार को लेकर सार्वजनिक मंचों पर दी गयी राय से संबंधित हैं।
इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रो समेत अन्य शीर्ष नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना है।
उन्नीस देशों और यूरोपीय संघ के संगठन को ग्रुप ऑफ 20 कहा जाता है। अर्जेटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनिशया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका इस समूह के सदस्य हैं।
हैम्बर्ग सम्मेलन की मेजबान और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की जन्मभूमि होने के साथ-साथ वामपंथी कट्टरपंथियों का सरकार विरोधी गढ़ भी है।
इस सम्मेलन से पहले कम-से-कम 30 प्रदर्शन होने की उम्मीद है, जिसमें पूंजीवाद विरोधी समूहों के सदस्यों समेत हजारों लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है। स्थानीय प्रशासन को इन प्रदर्शनों के शांतिपूर्ण रहने की उम्मीद है और समारोह स्थल की सुरक्षा के लिए करीब 15,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा करीब 4,000 कर्मी हवाईअड्डा और ट्रेनों की सुरक्षा पर नजर रखेंगे।