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कैबिनेट ने संयुक्‍त सचिव स्‍तर तथा इससे ऊपर के पदों के निर्माण, उन्‍मूलन तथा उन्‍नयन के साथ भारतीय खान ब्‍यूरो (आईबीएम) के पुर्नगठन को मंजूरी दी

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्‍त सचिव स्‍तर तथा इससे ऊपर के पदों के निर्माण, उन्‍मूलन तथा उन्‍नयन के साथ भारतीय खान ब्‍यूरो (आईबीएम) के पुर्नगठन को मंजूरी दे दी। भारतीय खान ब्‍यूरो के वर्तमान 1477 पदों को बनाये रखा गया है।

      पुनर्गठन से आईबीएम को खान क्षेत्र में नियमों को बदलने तथा सुधार करने में सहायता मिलेगी। इससे आईबीएम, खनिज नियमन तथा विकास में सुधार के लिए आईटी तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की सेवाएं अपनाने में सक्षम होगा। इसके अलावा संगठन के कार्य संचालन में इन पदों से निर्णय प्रक्रिया में तेजी आयेगी तथा उत्‍तरदायित्‍व में वृद्धि होगी।

प्रभाव :

      प्रस्‍ताव से खनिज क्षेत्र के तेजी से विकास में योगदान के लिए गंभीर उत्‍तरदायित्‍व वाले   तकनीकी कर्मियों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।

      इस प्रकार पूरे क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में उल्‍लेखनीय वृद्धि होगी। आईबीएम के बेहतर प्रदर्शन से खनन क्षेत्र को लाभ मिलेगा।

विवरण : 

      आईबीएम में संयुक्‍त सचिव स्‍तर के कुछ पदों के उन्‍नयन, निर्माण तथा उन्‍मूलन में शामिल हैं – 

ए.    स्‍तर 15 में मुख्‍य खान नियंत्रक के एक पद का निर्माण तथा स्‍तर 14 में खान नियंत्रक के 3 पदों का निर्माण। 

बी.    11 पदों का उन्‍नयन अर्थात महानियंत्रक के 1 पद का स्‍तर 15 से स्‍तर 16 में, मुख्‍य खान नियंत्रक तथा निदेशक (अयस्‍क ड्रेसिंग) के दो पदों का स्‍तर 14 से स्‍तर 15 में तथा 8 पदों का उन्नयन (खान नियंत्रक के 5 पद, मुख्‍य खनिज अर्थशास्‍त्री, अयस्‍क ड्रेसिंग अधिकारी तथा मुख्‍य खनन भू-विशेषज्ञ का एक-एक पद) स्‍तर 13 ए से स्‍तर 14 में, तथा

सी. उप महानिदेशक (सांख्यिकी) के 1 कैडर पद का उन्‍मूलन, भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारी के एक पद का उन्‍नमूलन (स्‍तर 14 के वेतनमान में)।

पृष्‍ठभूमि : 

भारत सरकार ने 1 मार्च, 1948 को केंद्रीय कार्य, खान तथा ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आईबीएम की स्‍थापना की थी। इसका प्रारंभिक उद्देश्‍य खनन क्षेत्र के लिए नीति निर्धारण और कानूनी प्रावधानों के निर्माण में एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करना था। इसके साथ ही आईबीएम खनिज संसाधनों के विकास और उपयोग के संदर्भ में केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों को सलाह प्रदान करता था। खनन क्षेत्र की बढ़ती आवश्‍यकताओं के अनुरूप आईबीएम की भूमिका और उत्‍तरदायित्‍व में बदलाव हुआ है। अब यह खनन क्षेत्र (कोयला, पेट्रोलियम तथा परमाणु खनिज के अलावा) में सुविधा प्रदाता तथा नियामक की भूमिका निभा रहा है।

राष्‍ट्रीय खनिज नीति (एनएमपी) 2008 के आलोक में खान मंत्रालय ने आईबीएम की भूमिका तथा कार्य की समीक्षा तथा पुर्नगठन विषय पर एक समिति का गठन किया। समिति ने 4 मई, 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसे मंत्रालय ने स्‍वीकार कर लिया।

खनिज क्षेत्र में सुविधा प्रदान करने तथा इसके नियमन के लिए खान मंत्रालय ने आईबीएम के माध्‍यम से कई पहलों की शुरूआत की है।

  1. सतत विकास फ्रेमवर्क (एसडीएफ) का कार्यान्‍वयन तथा खनन गतिविधि के वैज्ञानिक, पर्यावरण और समाजिक आयामों के संदर्भ में किये गये प्रयासों व पहलों के लिए खानों की स्‍टार रेटिंग।
  2. भास्‍कराचार्य इंस्‍टीटयूट ऑफ स्‍पेस एप्‍लीकेशन एंड ज्‍यो – इन्‍फोर्मेटिक (बीआईएसएजी) के सहयोग से खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) का विकास। इसके तहत सेटेलाइट से प्राप्‍त तस्‍वीरों के आधार पर मुख्‍य खनिज क्षेत्र के 500 मीटर के दायरे में अवैध खनन का पता लगाया जाता है।
  3. खनिज प्रसंस्‍करण में अनुसंधान व विकास पर विशेष जोर। इसमें निम्‍न स्‍तर के अयस्‍क के उन्‍नयन के लिए प्रक्रिया का विकास तथा खनिज क्षेत्र की गतिविधियों को कंप्‍यूटरकृत करने के लिए आईटी आधारित खनन प्रणाली का विकास आदि गतिविधियां शामिल हैं।

आईबीएम का पुर्नगठन आवश्‍यक था ताकि यह एक संगठन के रूप में अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वहन कर सके। नीति तथा कानूनों में बदलाव, आईबीएम की कार्यसूची में संशोधन तथा आईबीएम द्वारा प्रारंभ की गई नई गतिविधियों के कारण आईबीएम की भूमिका बदल गई है। खनिज रियायतों के आवंटन में बेहतर पारदर्शिता के लिए आईबीएम खनिज ब्‍लॉकों की नीलामी में राज्‍यों को सहायता प्रदान कर रहा है। आईबीएम, राज्‍यों को नीलामी ब्‍लॉकों को तैयार करने, औसत विक्रय मूल्‍य प्रकाशित करने, नीलामी के पश्‍चात निगरानी में मदद करने तथा मंजूरी प्रक्रिया में सहायता प्रदान कर रहा है।

अपने उत्‍तरदायित्‍व को पूरा करने के क्रम में आईबीएम के कार्यालयों का स्‍थानांतरण हुआ है। रायपुर और गांधी नगर में नए कार्यालयों की स्‍थापना की गई है तथा गुवाहाटी स्थित उप क्षेत्रीय कार्यालय का उन्‍नयन कर इसे क्षेत्रीय कार्यालय का दर्जा दिया गया है। कोलकाता और उदयपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों का उन्‍नयन किया गया है और इन्‍हें मंडल कार्यालय (पूर्व) तथा मंडल कार्यालय (उत्‍तर) बनाया गया है। कौशल विकास के उद्देश्‍य से उदयपुर में ससटेनेबल डेवलपमेंट फ्रेमवर्क संस्‍थान, हैदराबाद में रिमोर्ट सेंसिंग केन्‍द्र तथा कोलकाता में इंस्‍टीटयूट ऑफ ससटेनेबल माइनिंग की शुरूआत की गई है। वाराणसी में कौशल विकास केन्‍द्र शीघ्र ही प्रारंभ होगा।

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