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केन्द्रीय योग और नेचुरोपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएन) द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “मदर एंड चाइल्ड केयर” से संबंध में मीडिया रिपोर्टों के बारे में आयुष मंत्रालय का स्पष्टीकरण

देश-विदेश

नई दिल्ली: आयुष मंत्रालय के अधीन स्वायत्त निकाय केन्द्रीय योग और नेचुरोपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएन) के प्रकाशन “मदर एंड चाइल्ड केयर” के बारे में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे कुछ रिपोर्ट आ रही है। दुर्भाग्य से ऐसी अनेक रिपोर्टें गलत हैं और कुछ में तो तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसलिए आयुष मंत्रालय एतद् द्वारा निम्नलिखित स्पष्टीकरण जारी करता है-

  1. इस कथित पुस्तिका में योग और नेचुरोपैथी के क्षेत्रों में अनेक वर्षों के निदान अभ्यास से जुड़ी हुई प्रासंगिक और उपयोगी जानकारी का एक साथ समावेश किया गया है। इस पुस्तिका का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और नई बनी माताओं को एक सरल पुस्तिका के रूप में योग और नेचुरोपैथी के प्रसिद्ध स्वास्थ्य लाभों की जानकारी देना है।
  2. यह प्रकाशन 2013 से पूर्ववर्ती आयुष विभाग और सीसीआरवाईएन की यूनिटों के माध्यम से वितरण किया जा रहा है। यह रिपोर्ट कि इसे आयुष राज्य मंत्री ने कुछ दिन पहले जारी किया है, बिल्कुल गलत है।
  3. इस पुस्तिका में गर्भवती महिलाओं के लिए सामान्य दिशा-निर्देश शामिल हैं जो योग और नैचुरोपैथी के सिद्धांतों और अवधारणाओं पर आधारित हैं। अनेक नई-नई माताओं और परिवारों ने इस पुस्तिका की प्रशंसा की है कि इसमें गर्भावस्था के विभिन्न चरणों के बारे में प्रासंगिक जानकारी बहुत सरल रूप में उपलब्ध कराई गई है। इस पुस्तिका में उपलब्ध कराई गई जानकारी में निदान अनुभवों पर आधारित आहार योजना, सरल प्राकृतिक उपचार और गर्भावस्था के दौरान तनावमुक्त रहने की युक्तियां शामिल हैं।
  4. पुस्तिका के पृष्ठ संख्या 14 पर अनेक प्रकार की खाद्य वस्तुओं जैसे चाय, कॉफी, सफेद आटा उत्पादों, तली-भुनी और तैलीय वस्तुओं और मांसाहार से बचने की सलाह दी गई है। इसी पर चुनिंदा ध्यान दिया गया है। यह सुझाव कि मांसाहार से बचना चाहिए (क्योंकि योग और नेचुरोपैथी में अपनी प्रक्रिया में मांसाहारी भोजन की तरफदारी नहीं करती है) के बारे में कुछ रिपोर्टों में काफी प्रकाश डाला गया है और सफेद आटा उत्पादों और तले-भुनी वस्तुओं का उन्होंने कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
  5. कुछ नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पुस्तिका में यह सुझाव दिया गया है कि भारत में गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के बाद सेक्स नहीं करना चाहिए। यह बात सच्चाई से बहुत दूर है। वास्तव में “नो सेक्स” का पुस्तिका में कहीं भी उल्लेख नहीं है।
  6. जैसा कि यूनेस्को ने उल्लेख किया है कि योग में अनेक तकनीकियां शामिल हैं जो व्यक्तियों में आत्मानुभूति का निर्माण करने में मदद करने, व्यक्ति को अनुभव होने वाली किसी पीड़ा को कम करने और मुक्ति की स्थिति प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। अब पूरी दुनिया में यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि किसी विशेषज्ञ के पर्यवेक्षण में योग का अभ्यास करने से गर्भवती महिलाओं को बहुत लाभ प्राप्त हो सकता है। आयुष मंत्रालय का मीडिया सेल से यह आग्रह है कि सही परिप्रेक्ष्य में गर्भवती महिलाओं सहित आबादी के सभी वर्गों के लिए योग के निवारण स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए सीसीआरवाईएन के प्रयासों की समीक्षा करें और राष्ट्र के बड़े हित में ऐसे प्रयासों को समर्थन प्रदान करें।

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