27 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

कृषि की सरकारी उपेक्षा से भविष्य में होगा खाद्यन्न संकट

कृषि की सरकारी उपेक्षा से भविष्य में होगा खाद्यन्न संकट
उत्तराखंडकृषि संबंधित

हल्द्वानी: बीते बरसों से शासन-प्रशासन द्वारा तवज्जो न दिये जाने से कृषि भूमि का रकबा निरन्तर सिमटने की ओर अग्रसर है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश शासन काल में सरकारों द्वारा हरित क्रांति व सहकारिता को अभूतपूर्व प्राथमिकता दी गयी थी, किन्तु सहकारिता के शैशवकाल से ही सहकारिता के क्षेत्र में प्रोत्साहन न मिलने से काश्तकारों की आर्थिकी बिगड़ने लगी और शनै-शनै ग्रामीण स्तर पर बनायी गयी सहकारी समितियों का स्वरूप भी छिन्न-भिन्न होने लगा है। कृषि क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि मौजूदा हालातों के अलावा आधुनिक युग में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा की गलाकाट परिस्थितियां होने से किसान वर्ग लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है, और कृषि भूमि का व्यवसायीकरण किया जाने लगा है।

वर्तमान में भी इन परिस्थितियों के लिये जिम्मेदार विभागों द्वारा गंभीरता से सकारात्मक प्रयास किये जाने का अभाव देखा जा रहा है, परिणाम स्वरूप पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में कृषि भूमि का कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित होना जारी है, जिससे भविष्य में खाद्यान्न संकट के हालात उत्पन्न होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

कृषि क्षेत्र के उतार-चढ़ाव के इतिहास पर नजर डालें तो अनेक दिग्गज नेताओं ने प्रारंभ में सहकारिता से ही जुड़कर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था, किन्तु राजनीति में अपना खास मुकाम पाने के बाद सहकारिता की प्रगति पर अपेक्षित चिन्ता को तिलांजलि दे दी गयी।

सरकारी उपेक्षा के चलते बीते जमाने में उत्तराखण्ड के जंगल व पर्वतीय क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाली जड़ी बूटियों का अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा है, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता काल में मौसमी फल-सब्जी के उत्पादन से हजारों परिवारों की आजीविका चलती थी।

बीते सालों में पर्वतीय क्षेत्रों के पूर्वजों ने जहां एक हाड़तोड़ मेहनत से भूमि को कृषि योग्य बनाकर सहकारिता के क्षेत्र को बुलन्दियों तक पहुंचाया वहीं आधुनिक समय में कृषि प्रोत्साहन केवल फाइलों तक ही सीमित रहने से भूमि का व्यवसायिक उपयोग लगातार जारी है। वर्तमान में पहाड़ों से पलायन का मुख्य का कारण कृषकों को सुविधाएं न दिया जाना भी माना जा रहा है।

Related posts

7 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More