36 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

ईपीएफ और एमपी अधिनियम के तहत छूट के लिए नई अर्हता शर्त मंजूर की गई

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्‍तात्रेय की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय बोर्ड (ईपीएफ) की 216वीं विशेष बैठक आज नई दिल्‍ली में आयोजित की गई।

  बोर्ड ने अनेक महत्‍वपूर्ण निर्णय लिये।

      बोर्ड ने सरकार द्वारा कर्मचारी नामांकन अभियान (ईईसी) की तिथि तीन माह बढ़ाने के निर्णय को ध्‍यान में रखा, जिसकी शुरुआत 01 अप्रैल, 2017 से हो रही है। ईईसी का उद्देश्‍य ऐसे कर्मचारियों का नामांकन करना है, जो इससे वंचित रह गये थे। इसका एक अन्‍य उद्देश्‍य नियोक्‍ताओं को प्रोत्‍सा‍हन देना है, जिनमें प्रशासकीय शुल्‍क की माफी, एक रुपया सालाना की दर से नाममात्र का हर्जानाऔर कटौती नहीं किये जाने की स्थिति में कर्मचारी के हिस्‍से की छूट शामिल हैं।

      एक महत्‍वपूर्ण निर्णय के तहत केन्‍द्रीय बोर्ड (ईपीएफ) ने आंगनवाड़ी, आशा के स्‍वयंसेवकों, मिड-डे मील के कार्यकर्ताओं को ईपीएफओ के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ देने के लिए एक अधिसूचना जारी करने पर विचार करने की सिफारिश केन्‍द्र सरकार से की।

      बोर्ड ने सीधे नेट बैंकिंग सेवाओं के जरिये पेगव प्‍लेटफॉर्म और एसबीआई एवं राष्‍ट्रीयकृत बैंकों के अलावा निजी क्षेत्र के बैंकों समेत सभी बैंकों को भी नियोक्‍ताओं से अंशदान इकट्ठा करने और कर्मचारियों को भुगतान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया। इससे नियोक्‍ताओं के लिए लेन-देन की लागत घटने की आशा है और इसके साथ ही ईपीएफओ के साथ लेन-देन करने में नियोक्‍ताओं/कर्मचारियों को और ज्‍यादा विकल्‍प मिलेंगे। समूहक के जरिये अंशदान इकट्ठा करने के लिए सभी बैंकों से प्रतिस्‍पर्धी बोलियां आमंत्रित की जा सकती हैं।

      ईपीएफ और एमपी अधिनियम के तहत प्रतिष्‍ठानों को छूट देने के लिए एक नई अर्हता शर्त को मंजूरी दी गई। इस अधिनियम के तहत किसी प्रतिष्‍ठान को छूट के योग्‍य मानने पर तभी विचार किया जाएगा जब 5 वर्षों की न्यूनतम अवधि के लिए एक गैर-छूट प्राप्त प्रतिष्ठान के रूप में उसका ईपीएफओ के साथ अनुपालन रहेगा और इसके साथ ही छूट मांगने के समय संबंधित प्रतिष्‍ठानों में कम से कम 500 कर्मचारी होने चाहिए और उनके पास कम से कम 100 करोड़ रुपये का कोष (कॉर्पस) भी होना चाहिए। बोर्ड ने निर्णय लिया कि यह नियम भावी प्रतिष्ठानों और मौजूदा प्रतिष्ठानों दोनों पर ही लागू होगा। इस मसले पर अलग से विचार किया जाएगा।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More