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आजादी की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल का प्रदेश की जनता के नाम संदेश

उत्तराखंड

देहरादून: मेरे प्यारे उत्तराखण्ड निवासियों,            देश की आजादी की 70 वीं वर्षगांठ पर आप सभी को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। इस पावन अवसर पर, मैं स्वतंत्रता संग्राम के उन सभी ज्ञात-अज्ञात, अमर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं, जिनके त्याग व बलिदान से आजाद भारत का सपना साकार हुआ। आज का दिन, देश की बाहरी व आंतरिक सुरक्षा में सर्वोच्च बलिदान करने वाले वीर जवानों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी है। मैं शहीद राज्य आंदोलनकारियों को भी नमन करता हूं।

साथियों,
हमें आजादी यों ही नहीं मिली थी। एक ओर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नेतृत्व व उनके आदर्श थे, वहीं दूसरी ओर युवा क्रांतिकारियों का बलिदान था, जिससे 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत का उदय हुआ। नेहरू जी ने देश को एक दिशा दी और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी । सरदार पटेल ने हमें एकता के सूत्र में पिरोया, और बाबा साहब अम्बेडकर ने महान  और आदर्श संविधान दिया।

     साथियों,

जादी के बाद देश ने कृषि, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, अंतरिक्ष विज्ञान, सैन्य शक्ति सहित विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जहाँ हमने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, वहीं बहुत सी चुनौतियां भी हैं। विकास का लाभ गरीबों, वंचितों, किसानों तक पहुंचाना है। सच्चे मायनों में विकास के लिए शहर-गांव, उद्योग-खेती के बीच के गैप को दूर करना होगा। इस दिशा में सरकार द्वारा  अनेक महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं, परंतु हमारा लक्ष्य पहाड़ के गंावों को आर्थिक दृष्टि से उन्नत बनाना अभी भी दूर है और इस हेतु प्रयास करने की आवश्यकता है।

साथियों,

प्रधानमंत्री जी ने ‘मन की बात’ के माध्यम से हर आयु, वर्ग, क्षेत्र के लोगों के दिलों में राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का दृढ़ निश्चय पैदा किया है। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान किया जा सकता है।

            नए भारत के निर्माण के लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया व डिजीटल इंडिया के माध्यम से जन-अभियान प्रारम्भ किया गया है। इस नए प्रगतिशील भारत में उत्तराखण्ड को अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभानी है। राज्य में हमारे सामने बड़ी चुनौती, दुर्गम व दूर-दराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्वतीय कृषि पर विशेष ध्यान देना होगा। राज्य सरकार गम्भीरता से इस दिशा में काम कर रही है।

 शिक्षा एक शक्तिशाली अस्त्र है जिससे सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन लाए जा सकते हैं। क्वांटीटी एजुकेशन की बजाय क्वालिटी एजुकेशन पर बल देना होगा। हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो जो छात्रों को प्रेक्टीकल नोलेज दे और उनमें स्किल डेवलपमेंट करे। काॅलेज व विश्वविद्यालय, आधुनिक मांग के अनुसार रोजगारपरक कोर्स संचालित करें। हमें उत्तराखण्ड को शिक्षा का सबसे उत्तम केंद्र बनाने की ओर प्रयास करने होंगे।

मेरे युवा दोस्तों,

             किसी भी देश व समाज की शक्ति वहां के यूथ में निहीत होती है। राष्ट्र निर्माण में आप सभी का सक्रिय सहयोग जरूरी है। उत्तराखण्ड के युवा बहुत प्रतिभावान हैं। मैं अपने युवा दोस्तों से आह्वान करता हूं कि राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन, डिजीटल इंडिया, स्किल डेवलेपमेंट, स्टार्ट अप व मेक इन इंडिया कार्यक्रमों से जुड़कर देश के विकास में अपने सामथ्र्य व प्रतिभा का उपयोग करें। उत्तराखण्ड स्किल डेवलपमेंट मिशन, राज्य के 12 हजार से अधिक युवाओं को कृषि, फूड प्रोसेसिंग, आॅटोमोटिव, इलेक्ट्रोनिक्स, टूरिज्म, टेक्सटाईल सहित 39 क्षेत्रों में स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रशिक्षित कर रहा है।

युवाओं को उद्यम हेतु प्लेटफार्म उपलब्ध करवाने के लिए राज्य की स्टार्ट-अप पाॅलिसी लाई गई है। एक पेशेवर प्रबंधन, स्टार्ट-अप हब स्थापित किया जाएगा। नए आईडियाज से लैस युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी, वित्तीय, मार्केटिंग व अन्य आवश्यक सहयोग दिया जाएगा। लगन और कठिन परिश्रम सफलता की कुंजी है। ऊंची सोच रखें, परंतु पांव जमीन पर रहें। विकसित होती बाजार अर्थव्यवस्था का लाभ उठाएं, साथ ही भारतीय संस्कृति को भी न भूलें।

साथियों,, पर्वतीय क्षेत्रों से अगर पलायन को रोकना है तो सबसे पहले चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता का बहुत महत्व है। नीतिगत निर्णय लेते हुए हाल ही में मैदानी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में डाॅक्टर पर्वतीय क्षेत्रों में नियुक्त किए गए हैं। आर्मी के रिटायर्ड डाॅक्टरों की सेवाएं लिए जाने पर भी सहमति बनी है। टेली-रेडियोलाॅजी भी शुरू की जा रही है। आशा है कि इससे स्थिति में सुधार होगा।  ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कृषि व बागवानी को आजीविका से जोड़ना होगा। हाॅर्टीकल्चर, फ्लोरीकल्चर, जड़ी-बूटियों सहित नकदी फसलों से किसानों की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हो सकता है। लाभकारी खेती के लिए, खेती की लागत को कम करने के साथ ही उत्पादों की पहुंच बाजार तक सुनिश्चित कराना आवश्यक है। ग्रामीण युवाओं व महिलाओं के कौशल विकास की ओर अधिक प्रयास की जरूरत है, विशेषकर पहाड़ी जिलों में।

           उत्तराखण्ड में एक और बड़ी चुनौती सड़क दुर्घटनाओं को रोकना भी है। अधिक दुर्घटनाओं से पर्यटन पर विपरीत असर होता है। इसके लिए बेहतर क्वालिटी की सड़कों व के्रश बेरियर का निर्माण व उनका समुचित रखरखाव जरूरी है। ओवर लोडिंग, ओवर स्पीड, नशे में ड्राईविंग, अनफिट वाहनों पर रोक के लिए संबंधित अधिकारियों को मुस्तैद होकर काम करना होगा। हमारे लिए खुशी की बात है कि चारधाम आॅल वेदर रोड़ का शिलान्यास करने के बाद कम तेजी आई है व ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पर काम प्रारम्भ किया जा रहा है। चार धाम रेल सम्पर्क योजना से न केवल उत्तराखण्डवासियों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी बल्कि पर्यटन में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।  यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि इस वर्ष श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी और श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी उपस्थित रहे। इससे दुनिया में सुरक्षित उत्तराखण्ड का सकारात्मक संदेश गया। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु चार धाम व श्री हेमकुण्ड साहिब यात्रा पर आए।

उत्तराखण्ड की पहचान देश-दुनिया में देवभूमि के रूप में है। हमें इस पहचान को बनाए रखना है। महत्वाकांक्षी नमामि गंगे अभियान की सफलता उत्तराखण्ड की सक्रिय भूमिका के बिना सोची भी नहीं जा सकती है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि उत्तराखण्ड के निवासियों का गंगा को निर्मल व पवित्र रखने में विशेष स्थान है। यह खुशी की बात है कि प्रदेश का ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से ओडीएफ किया जा चुका है। अब हमें शहरी क्षेत्रों की स्वच्छता पर ध्यान देना है। हाल ही में स्वच्छता सर्वे में राज्य के शहरी क्षेत्रों को संतोषजनक रैंकिंग नहीं मिली है। राज्य सरकार ने एक वर्ष में देहरादून, हल्द्वानी आदि शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार लाने का लक्ष्य रखा है। हम सभी को सभ्य नागरिक की जिम्मेवारी को समझते हुए इसमें भागीदारी निभानी होगी। देहरादून का चयन स्मार्ट सिटी के लिए भी किया गया है। इसलिए देहरादून वासियों का दायित्व और भी बढ़ जाता है।

साथियों,

मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि उत्तराखण्ड देवभूमि होने के साथ ही वीर भूमि भी है। देश का आर्थिक विकास तभी सम्भव है, जब हमारी सरहदें सुरक्षितरहें और शांति व्यवस्था बनी रहे। उत्तराखण्ड में देश के लिए बलिदान की गौरवशाली परम्परा रही है। देश की रक्षा में उत्तराखण्ड के जवान, प्राणों की बाजी लगाने में हमेशा आगे रहे हैं। हमें अपने वीर जवानों पर नाज है। प्रत्येक विश्वविद्यालय में अमर शहीदों को समर्पित ष्ॅंसस व िटंसवनतष् बनाई गई हैं ताकि हमारे युवाओं को पे्ररणा मिले।

पांच साल बाद हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएंगे। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2019 तक पूर्ण साक्षरता, वर्ष 2022 तक सबको आवास व किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य रखा है। हम सभी मिल जुलकर ईमानदारी से कोशिश करें तो आजादी के 75 वर्ष बाद का भारत, ऐसा भारत होगा जहां सभी की बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी, सभी को आगे बढ़ने के तमाम अवसर और साधन उपलब्ध होंगे।

साथियों,
आईए, आज के दिन हम देश की एकता व अखण्डता की रक्षा का  संकल्प लें। अधिकारों पर कर्तव्यों को प्राथमिकता दें। हम जहां भी हैं, हमारे जो भी कर्तव्य व दायित्व हैं, उनका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करें। अपने अधिकारों की बात करने से पहले देश, राज्य व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उनका पालन करें। हम एक ऐसे नव भारत का निर्माण करें जिसमें सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर हों। साधन सम्पन्न व साधन हीन नागरिकों के बीच का अंतर कम हो। हमारी यही कोशिशें आजादी के नायकों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

          एक बार पुनः आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई व शुभकामनाएं।

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