37 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र में वस्‍तुस्थिति को सामने लाएं: उपराष्‍ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्लीः भारत के उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि अर्थव्‍यवस्‍था को बेहतर बनाने के लिए रियल एस्‍टेट डेवलपरों और बिल्‍डरों को अचल परिसम्पत्ति अथवा रियल एस्‍टेट क्षेत्र में वस्‍तुस्थिति‍ को सामने लाना चाहिए। श्री नायडू आज यहां दो दिवसीय क्रेडाई सम्‍मेलन का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में भोजन और वस्‍त्र की तरह आवास भी एक बुनियादी आवश्‍यकता है और न्‍यायपालिका ने संविधान के अनुच्‍छेद 21 में जीवन के अधिकार की व्‍यापक व्‍याख्‍या की है, ताकि आश्रय के अधिकार को इसमें शामिल किया जा सके। उन्‍होंने यह भी कहा कि प्रत्‍येक व्‍यक्ति को प्रौद्योगिकी, नवाचार और उद्यमिता को संयुक्‍त अथवा संघटित करके अचल परिसम्‍पत्ति अथवा रियल्‍टी क्षेत्र में हो रहे बदलाव को अपनाने की जरूरत है। उन्‍होंने यह भी कहा कि त्‍वरित शहरीकरण के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर बड़े पैमाने पर लोगों का आगमन होने के कारण भी मकानों की भारी कमी हो गई है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि मकानों की भारी कमी की समस्‍या को हल्‍का करने के लिए सरकार ने किफायती मकानों को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि किफायती मकानों को बढ़ावा देने के लिए शहरी क्षेत्र में सस्‍ती भूमि के अभाव और मंजूरी मिलने में होने वाली देरी जैसी चुनौतियों से निपटने की जरूरत है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि वैसे तो सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से किफायती अथवा सस्‍ते मकानों के निर्माण को काफी बढ़ावा मिला है, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि निजी क्षेत्र एवं रियल एस्‍टेट डेवलपर किफायती मकानों को बढ़ावा देने में और भी ज्‍यादा बड़ी भूमिका निभाएं।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत को विकास की गति तेज करने के लिए कड़ी मेहनत से अर्जित अपने राजकोषीय अनुशासन से कतई समझौता नहीं करना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि प्रतिचक्रीय नीतियों को अपनाने से सतत विकास की गति तेज करने में मदद नहीं मिलेगी। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि रियल एस्‍टेट डेवलपरों को कामगारों के परिवारों के लिए दो महत्‍वपूर्ण चीजों यथा स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा पर अपना ध्‍यान केन्द्रित करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इन दोनों ही पहलुओं को सर्वोच्‍च प्राथमिकता देनी चाहिए और इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कामगार एवं उनके परिवार किसी भी तरीके से अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित न हों।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More