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सीएसआईआर-सीमैप में औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती एवं व्यापार की संभावनाएं विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

कृषि संबंधितदेश-विदेश

सीएसआईआर-सीमैप किसानों की आय को दुगुनी करने के उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध होने के कारण संस्थान किसानों के लिए समय-समय पर आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन, प्राथमिक प्रसंस्करण एवं विपणन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को जानकारी पहुंचाई जाती रही है। आज दिनांक 05-07 दिसंबर, 2017 मध्य चलने वाले इस कार्यक्रम में देश के 14 राज्यों से 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया । इसी क्रम में सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ द्वारा एरोमा मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण का सुभारंभ हुआ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्धोग विभाग (एम एस एम ई) के अपर सचिव, श्री राम मोहन मिश्रा, आईएएस  थे । उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि भारतवर्ष के कृषकों की तरफ है जोकि औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती करके देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं । उन्होंने कहा कि अब कृषक परंपरागत फसलों के साथ सगंध फसलों का समायोजन करके फसल चक्र प्रणाली अपनाते हैं तो किसानों की आय दो गुनी आसानी से हो सकती है।

       इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सीमैप एक बहु आयामी शोध संस्थान केंद्र है जोकि किसानों की आर्थिक स्थिति कैसे मजबूत हो और मांग के अनुरूप बाज़ार को दृष्टिगत रखते हुए उन्हीं फसलों की खेती को आगे बढ़ाना है जो देश की आंतरिक मांग की आपूर्ति के साथ विश्व बाज़ार में नियति करके विदेशी मुद्रा को अर्जन करने में सक्षम हो । उन्होंने मेंथा का उदाहरण दिया और कहा कि आज भारतवर्ष का किसान पूरी दुनिया में खेती के क्षेत्रफल व उत्पादन में अग्रणी राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई है और इससे देश को हजारों करोड़ों रुपये का विदेशी मुद्रा का अर्जन हो रहा है। संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. आलोक कालरा ने एरोमा मिशन कार्यक्रम पर विशेष चर्चा की और कहा कि भारतवर्ष एक बहु विविधता एवं जलवायु तथा विश्व की उपजाऊ भूमियों में एक समृद्ध राष्ट्र है जहां पर औषधीय एवं सगंध पौधों की उपयुक्तता के अनुसार फसलों का चयन करके उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पादन किया जा सकता है और औद्धोगिक मांग के अनुरूप आपूर्ति भी की जा सकती है । उन्होंने आर्टीमिसिया एन्नुआ का उदाहरण देते हुए कहा कि देश में जब आर्टीमिसिया एन्नुआ की खेती प्रारम्भ हुई तो प्रजातियों में 0.1% आर्टिमिसीनिन घटक तत्व था अब सीमैप संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध के उपरांत नवीन प्रजातियों का विकास करके 1% से भी अधिक  आर्टिमिसीनिन घटक तत्व प्रदान करने वाली प्रजाति की खेती करके किसान भाई आर्थिक लाभ कमा सकते हैं । कार्यक्रम के पहले दिन के तकनीकी सत्र मे डॉ. आलोक कालरा द्वारा संस्थान तथा एरोमा मिशन की गतिविधियों एवं सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ. वी के एस तोमर, कंसल्टेंट, सीमैप ने मिंट की उन्नत कृषि तकनीकी पर विस्तार से प्रतिभागियों को जानकारी दी। डॉ. आर के श्रीवास्तव तथा सुगंधित घासों की उन्नत कृषि तकनीकी एवं महत्व की जानकारी दी डॉ. आर के लाल ने कैमोमिल एवं तुलसी के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को बताया। डॉ. सौदान सिंह ने नीबूघास व जावाघास के उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियाओं पर चर्चा  की । इस अवसर पर डॉ. आलोक कालरा, डॉ. वी के एस तोमर, (कंसल्टेंट) सीमैप, डॉ. संजय कुमार, डॉ. आर. के. श्रीवास्तव एवं डॉ. राम सुरेश शर्मा आदि उपस्थित थे.

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