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सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट का करीब 54 % अनुसूचित जातियों के लिए स्कालरशिप पर खर्च किया जाता है

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट का करीब 54 % अनुसूचित जातियों के लिए स्कालरशिप पर खर्च किया जाता है
देश-विदेश

नई दिल्ली: सरकार ने सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए

अनेक उपाय शुरू किए हैं। इस दिशा में एकात्मकता, समता और सामाजिक समरस्ता दिशा-निर्देशक सिद्धांत हैं। यह बात आज डॉ. भीमराव अम्बेदकर की जयंती के सिलसिले में “प्रमुख सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों” के बारे में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कही। सामाजिक न्याय और अधिकारिता न्याय मंत्री श्री रामदास अठावले भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

श्री गहलोत ने पत्रकारों को बताया कि अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (अपिव)/विमुक्त,घुमंतु और अर्द्ध-घुमंतु जातियों के विद्यार्थियों के लिए 14 स्कालरशिप योजनाएं डिजिटल भुगतान के अंतर्गत संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ 3.54 करोड़ विद्यार्थियों को मिल रहा है। छात्रवृत्ति की समस्त राशि विद्यार्थियों के बैंक खातों में अंतरित की जा रही है और अजा विद्यार्थियों के 60 प्रतिशत बैंक खाते आधार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि छात्रवृत्तियों, विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों, प्रशिक्षण सुविधाओं, परिसरों, संस्थानों के निर्माण/उन्नयन के लिए पूंजी प्रदान करने आदि उपायों के जरिए अनुसूचित जातियों से सम्बद्ध विद्यार्थियों का शैक्षिक सशक्तिकरण किया जा रहा है। भारत सरकार का यह विश्वास है कि सब के लिए शिक्षा सशक्तिकरण की कुंजी है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अलग अलग तरह की सात छात्रवृत्तियां कार्यान्वित करता है, जिनमें मैट्रिक-परवर्ती और मैट्रिक-पूर्ववर्ती छात्रवृत्तियां, टॉप क्लास स्कालरशिप, राष्ट्रीय विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति,अनुसूचित जातियों के लिए यूजीसी द्वारा संचालित राष्ट्रीय फेलोशिप, अस्वच्छ व्यवसायों में लगे व्यक्तियों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक स्कालरशिप, अनुसूचित जातियों और अपिव के लिए निशुल्क कोचिंग (70 : 30 अनुपात में) और योग्यता उन्नयन छात्रवृत्तियां शामिल हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अपने बजट का करीब 54 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए छात्रवृत्तियों पर खर्च करता है।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार अनुसूचित जातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और इसीलिए अनुसूचित जातियों की प्रगति और उन्हें लक्षित लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के माध्यम से नीतियां और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां (अत्याचारों की रोकथाम) अधिनियम, 1989, में संशोधन किया गया और संशोधित अधिनियम 26.01.2016 से लागू किया गया। अब यह अधिदेशित किया गया है कि अजा/अजजा के प्रति अत्याचारों से संबंधित मामलों की सुनवाई आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी।

अधिनियम के अंतर्गत संशोधित नियम, 2016, पिछले वर्ष 14 अप्रैल से प्रवृत्त हो गए हैं। नए अपराधों और प्रचलित अपराधों के मामले में पीड़ितों के लिए राहत में वृद्धि की गई है। पहली बार इन अपराधों में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार को शामिल किया गया है। सामूहिक बलात्कार के मामले में राहत राशि बढ़ा कर 8.25 लाख रुपये कर दी गई है और बलात्कार के मामले में राहत राशि पूर्ववर्ती 1.20 लाख से बढ़ा कर 5 लाख रुपये की गई है। विशेष अदालतों की संख्या 194 पर पहुंच गई है। 32 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में जिला सत्र अदालतों को विशेष अदालत निर्दिष्ट किया गया है। 5 राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रति किए गए अपराधों की शिकायतों के पंजीकरण के लिए विशेष पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं।

अनुसूचित जातियों के कौशल विकास और उद्यमिता के संदर्भ में श्री गहलोत ने कहा कि अनुसूचित जातियों के लिए 2014-15 में उद्यम पूंजी निधि कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसकी विशिष्टता यह है कि इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति के उद्यमियों को 50 लाख रुपये से लेकर 15 करोड़ रुपये तक के उच्चतर ऋण प्रदान किए जाते हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अभी तक 65 अनुसूचित जाति उद्यमियों को 236.66 करोड़ रुपये की ऋण राशि मंजूर की जा चुकी है, जो सौर ऊर्जा, जल शोधन संयंत्रों, खाद्य प्रसंस्करण और पेय पदार्थों, होटल आदि से सम्बद्ध हैं। उन्होंने बताया कि 9 परियोजनाओं में लाभार्थियों ने ऋणों की अदायगी प्रारंभ कर दी है और अन्य अजा उद्यमियों को भी इस स्कीम का कई गुना लाभ हुआ है।

जहां तक कौशल विकास का सवाल है, सभी राज्य सरकारों द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी), राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) द्वारा प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है और 2014-15 से 2016-17 की अवधि में करीब 1.5 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसके अंतर्गत 48.42 प्रतिशत लोगों को दिहाडी/स्व-रोजगार प्राप्त हुआ।

श्री गहलोत ने कहा  कि उद्यमशीलता के तहत अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों में आर्थिक गतिविधियों हेतु लिए गए ऋण  पर दी गई सब्सिडी से 17 लाख से भी ज्‍यादा लोग लाभान्वित हुए हैं। पिछले तीन वर्षो के दौरान उद्यमशीलता के लिए निगमों द्वारा 12 लाख से भी ज्‍यादा लाभार्थियों को ऋण दिए गए हैं।

उन्‍होंने जानकारी दी कि हाल ही में वरिष्‍ठ नागरिकों को उपादान वं जीवन के लिए उपयोगी उपकरणों के वितरण हेतु एक नई योजना ‘राष्‍ट्रीय वयोश्री योजना’ आरंभ की गई है जो कि  उनकी उम्र से संबंधित शारीरिक क्षति‍ को दूर करने तथा उन्‍हें देखभाल  करने वालों या परिवार के अन्‍य सदस्‍यों पर कम से कम निर्भरता के साथ एक सम्‍मानजनक और उत्‍पादक जीवन जीने में मदद करेगी। देश में अपनी तरह की इस पहली महत्‍वाकांक्षी  योजना के तीन वर्षों की अवधि में 5 लाख 20 हजार वरिष्‍ठ नागरिकों को लाभ पहुंचने की उम्‍मीद है।

मंत्री महोदय ने कहा कि अनुसूचित जाति उपयोजना स्‍कीम को विशेष केंद्रीय सहायता के तहत गरीबी रेखा से नीचे की अनुसूचित जातियों के उत्‍थान के लिए राज्‍यों को शत प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। आर्थिक कार्यकलाप हेतु लिए गए ऋण पर अधिकतम 10 हजार रुपये प्रति व्‍यक्ति की सब्सिडी प्रदान करने के लिए सहायता का उपयोग किया जाता है। गत तीन वर्षों के दौरान सब्सिडी घटक से लगभग 17 लाख व्‍यक्ति लाभान्वित हुए हैं। 50 प्रतिशत अथवा इससे अधिक अनुसूचित जाति जनसंख्‍या बहुल गांवों में बुनियादी ढांचों (सौर ऊर्जा, पीने का पानी, सड़क आदि) की सुविधा प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत अनुसूचित जातियों के कौशल विकास के लिए नि‍धियां जारी की जाती है।

उन्‍होंने कहा कि डॉ. अम्‍बेदकर की स्‍मृति में उनके मंत्रालय ने 2014-15 में निम्‍नलिखित तीन योजनाएं आरंभ कीं: (1) खानाबदोश समुदाय के छात्रों को पढ़ाई जारी रखने में सुविधा प्रदान करने के लिए विमुक्‍त, खानाबदोश एवं अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों (डीएनटी) के लिए पूर्व एवं छात्रवृत्ति योजना, (2)  आर्थिक रूप से निर्बल वर्ग के छात्रों को उच्‍चतर शिक्षा जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति के रूप में सहायता प्रदान करने हेतु डॉ. अम्‍बेदकर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसी) के लिए मैट्रिक-उपरांत छात्रवृत्ति योजना एवं (3) अन्‍य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) एवं आर्थिक रूप से पिछडे़ वर्गों (ईबीसी) के लिए विदेशों में पढ़ाई करने के लिए डॉ. अम्‍बेदकर ब्‍याज सब्सिडी योजना। इस योजना का उद्देश्‍य जरूरतमंद ओबीसी एवं ईबीसी छात्रों को विदेशों में उच्‍चतर शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए सहायता करना है।

श्री गहलोत ने आगे कहा कि डॉ. अम्‍बेदकर चिकित्‍सा सहायता योजना के तहत चिकित्‍सा सहायता गंभीर  बीमारी से पीडि़त उन मरीजों को प्रदान की जाती है जिन्‍हें किडनी, हृदय, यकृत, कैंसर और मस्तिष्‍क  अथवा अन्‍य जीवनघातक बीमारियों के संबंध में सर्जरी की आवश्‍यकता होती है, जिनमें आर्गन ट्रांसप्‍लांट तथा स्‍पाइनल सर्जरी भी शामिल है और यह इलाज  अनुसूचित जातिएवं अनुसूचित जनजाति के उन व्‍यक्तियों को प्रदान किया जाता है जिनकी वार्षिक  पारिवारिक आय प्रति वर्ष 2,50,000/- रुपये से कम है। पिछले तीन वर्षों के दौरान,इस कार्यक्रम के अंतर्गत168 मरीजों को सहायता प्रदान की गई है।

मंत्री महोदय ने अंतरजातीय विवाहों के माध्‍यम से सामाजिक एकीकरण के लिए डॉ. अम्‍बेदकर योजना का उल्‍लेख करते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्‍य , नवविवाहित दम्‍पत्त्यिों द्वारा अंतरजातीय विवाह करने का साहसिक कदम उठाने की प्रशंसा करना तथा इस दम्‍पत्ति को वित्‍तीय प्रोत्‍साहन प्रदान करना है ताकि वे अपने विवाहित जीवन की शुरुआत  आसानी से कर सकें। प्रत्‍येक दम्‍पत्ति को 5 लाख रुपये की धनराशि दो किस्‍तों में जारी की जाती है। पिछले तीन वर्षों के दौरान, इस कार्यक्रम के अंतर्गत 121 दंपत्तियों को सहायता प्रदान की गई है।

उन्‍होंने यह भी जानकारी दी कि महान संतों की जयंती/पुण्‍य तिथि मनाने के लिए डॉ. अम्‍बेदकर योजना के तहत मान्‍यता प्राप्‍त कॉलेजों/ विश्‍वविद्यालयों/संस्‍थानोंऔर पंजीकृत एनजीओ, जो कम से कम दो वर्षों से अस्तित्‍व में हैं, को उन महान संतों की जयंती मनाने के लिए सहायता अनुदान प्रदान करने केलिए तैयार किया गया है, जिन्‍होंने सामाजिक न्‍याय को बढ़ावा देने, असमानता और भेदभाव को मिटाने तथा समाज के दुर्बल  वर्गों की स्थितियों में सुधार लाने के लिए अथक प्रयास किए हैं।  पिछले दो वर्षो के दौरान, 43 एनजीओ को अनुदान जारी किया गया है।

उन्‍होंने कहा कि डॉ. अम्‍बेदकर से संबंधित निम्‍नलिखित स्‍थानों जैसे जन्‍मभूमि : महू, शिक्षा  भूमि : 10 किंग हेनरी रोड लंदन, दीक्षा भूमि : नागपुर, परिनिर्वाण भूमि : 26 अलीपुर रोड,नई दिल्‍ली और चैत्‍य भूमि : दादर मुंबई को भारत सरकार द्वारा ‘पंचतीर्थ’  घोषित किया गया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि डॉ. अम्‍बेदकर फाउंडेशन ने डॉ. अम्‍बेदकर से जुड़े प्रमुख स्‍थानों के विकास के लिए एक योजना को अंतिम रूप दिया। महद में मेमोरियल के विकास के लिए 13,36,000,00/- रुपये की राशि मंजूरी दी गई है। महाड सत्‍याग्रह का नेतृत्‍व 20 मार्च 1927 को डॉ. बी.ए.आर अम्‍बेदकर ने किया था ताकि सार्वजनिक टैंक से पानी का उपयोग करने के लिए दलित लोगों को अनुमति दी जा सके। महाराष्‍ट्र के चिंचोली  में संग्रहालय भवन के लिए डीएम नागपुर को 4,36,90,685 रुपये  की राशि जारी की गई है।

उन्‍होंने बताया कि अनुसूचित जाति उपयोजना/जनजातीय उपयोजना राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार द्वारा भावना में लागू की गई है। अनुसूचित जाति के कल्‍याण के लिए आवंटन को 2016-17 के बजट अनुमान के 38,833 करोड रुपये से बढ़ाकर 2017-18 में 52,393 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित करता है। अब अनुसूचित जाति उपयोजना की निगरानी और कार्यान्‍वयन का दायित्‍व सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय को सौंप दिया गया है।

श्री गहलोत ने कहा कि उनका मंत्रालय मैला ढोने वालों को  इस अमानवीय प्रचलन से मुक्‍त करने के लिए उन्‍हें 40 हजार रुपये की एक मुश्‍त सहायता प्रदान करता है और उन्‍हें मेहतर पुनर्वास योजना के तहत वैकल्पिक रोजगार की सुविधा प्रदान करने के लिए कौशल प्रशिक्षण एवं निम्‍न दरों पर ऋण भी उपलब्‍ध कराता है। पिछले तीन वर्षों के दौरान 11598 लोगों को एक मुश्‍त सहायता प्रदान की गई है तथा 13,827 लोगों ने कौशल विकास प्रशिक्षण शुरू किया है।

उन्‍होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रत्‍येक शाखा को वित्‍त मंत्रालय द्वारा एक उद्यमी के रूप में कम से कम एक अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के युवक की सहायता करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है जिससे कि उनके बीच अधिक रोजगार का सृजन किया जा सके।

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