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हिंदी ब्लॉगिंग में लखनऊ के डाक निदेशक केके यादव के परिवार की तीन पीढ़ियाँ सक्रिय

उत्तर प्रदेश

न्यू मीडिया के इस दौर में सोशल मीडिया और ब्लॉगिंग लोगों के लिए अपनी बात कहने का सशक्त माध्यम बन चुका है। राजनीति की दुनिया से लेकर फिल्म जगत, साहित्य से लेकर कला और संस्कृति से जुड़े तमाम नाम ब्लॉगिंग से जुडे हुए हैं। 21 अप्रैल 2003 को हिंदी का प्रथम ब्लॉग ’नौ दो ग्यारह’ बना था, तबसे इसने कई पड़ावों को पार किया है। लखनऊ में  दो दर्जन से ज्यादा लोग हिंदी ब्लॉगिंग से सक्रिय रूप में जुड़े हुये हैं। ब्लॉगिंग  क्षेत्र में लखनऊ का एक ऐसा भी परिवार है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ ब्लॉगिंग से जुडी हैं। लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव, उनकी पत्नी आकांक्षा यादव और बिटिया अक्षिता ब्लॉगिंग के क्षेत्र में नित नए आयाम रच रहे हैं।  श्री यादव के  पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव भी ब्लॉगिंग से जुड़े हुए हैं।  सार्क देशों के सर्वोच्च ‘परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान’ से सम्मानित एवं नेपाल, भूटान और श्रीलंका सहित तमाम देशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले श्री यादव जहाँ अपने साहित्यिक रचनाधर्मिता हेतु “शब्द-सृजन की ओर” (http://kkyadav.blogspot.in/) ब्लॉग लिखते हैं, वहीं डाक विभाग को लेकर “डाकिया डाक लाया” (http://dakbabu.blogspot.in/) नामक उनका ब्लॉग भी चर्चित है।

 वर्ष 2015 में हिन्दी का सबसे लोकप्रिय ब्लॉग ‘शब्द-शिखर’ (http://shabdshikhar.blogspot.com) को चुना गया और इसकी मॉडरेटर  आकांक्षा यादव को  हिन्दी में ब्लॉग लिखने वाली शुरूआती महिलाओं में गिना जाता है। ब्लॉगर दम्पति कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव को  ‘दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति’,  ‘परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान’ के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नवम्बर, 2012 में ”न्यू मीडिया एवं ब्लॉगिंग” में उत्कृष्टता के लिए ”अवध सम्मान से भी विभूषित किया जा  चुका  है। इस दंपती ने वर्ष 2008 में ब्लॉग जगत में कदम रखा और  विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लॉग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लॉगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लॉगिंग को भी नये आयाम दिये। नारी सम्बन्धी मुद्दों पर प्रखरता से लिखने वालीं आकांक्षा यादव का मानना है कि न्यू मीडिया के रूप में उभरी ब्लॉगिंग ने नारी-मन की आकांक्षाओं को मुक्ताकाश दे दिया है। आज एक लाख  से भी ज्यादा हिंदी ब्लॉग में लगभग एक तिहाई ब्लॉग महिलाओं द्वारा लिखे जा रहे  हैं।

ब्लॉगर दम्पति यादव की 12  वर्षीया सुपुत्री अक्षिता (पाखी) भी नन्ही ब्लॉगर के रूप में सक्रिय हैं।इनकी प्रतिभा को देखते हुए भारत सरकार ने  वर्ष 2011 में उसे “राष्ट्रीय बाल पुरस्कार” से सम्मानित किया, वहीं अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका में उसे  “परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से भी सम्मानित किया गया। उसका ब्लॉग  ‘पाखी की दुनिया’  (http://pakhi-akshita.blogspot.in/)  को 100 से ज्यादा देशों में देखा-पढा जाता है।

हिंदी ब्लॉगिंग की दशा और दिशा पर पुस्तक लिख रहे चर्चित ब्लॉगर कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि,  आज ब्लाॅग सिर्फ जानकारी देने का माध्यम नहीं बल्कि संवाद, प्रतिसंवाद, सूचना विचार और अभिव्यक्ति का भी सशक्त ग्लोबल मंच है। आज हर आयु-वर्ग के लोग इसमें सक्रिय हैं, शर्त सिर्फ इतनी है कि की-बोर्ड पर अंगुलियाँ चलाने का हुनर हो ।

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