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‘‘टेक्नोलाजी इन प्रिजन एडमिनिस्ट्रेशन’’ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: कारागारों की सुरक्षा तथा प्रशासनिक व्यवस्था के संचालन हेतु तकनीक के उपयोग के महत्व को बताते हुए मोबाइल फोन के उपयोग पर अंकुश लगाने हेतु जैमर सीसीटीवी तथा अन्य सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करते हुये प्रशासनिक व्यवस्था को दुरूस्त करने की अपेक्षा की तथा इस प्रशिक्षण सत्र में परस्पर अपने अपने राज्यों की स्थित तथा तकनीक के उपयोग के संबंध में विचारों का आदान-प्रदान कर एक दूसरे को लाभान्वित करने पर बल दिया गया। यह बात कारागार राज्यमंत्री श्री जय कुमार सिंह जैकी ने आज यहां गृह मंत्रालय भारत सरकार के ब्यूरो आफ रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट के सौजन्य से कारागार अधिकारियों हेतु ‘‘टेक्नोलाजी इन प्रिजन एडमिनिस्ट्रेशन’’ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कारागार मुख्यालय के सभागार में कही।

इस अवसर पर कारागार प्रशिक्षण संस्थान के अपर महानिरीक्षक (प्र0वि0) श्री वी0के0 जैन ने संस्थान के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुये संस्थान की गतिविधियों से अवगत कराया। श्री जैन ने यह भी कहा कि बीपीआर एण्ड डी0 गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से उ0प्र0 में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन 5 वर्ष बाद किया जा रहा है, जो अपर पुलिस महानिदेशक की अभिप्रेरणा से हो सका है। उ0प्र0 की कारागारों से नामित एवं अन्य राज्यों के अतिथि प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये उन्हें आगामी 03 दिनों में विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा दिये जाने वाले प्रशिक्षण के संबंध में बताया गया कि सभी उपस्थित अधिकारी इस महत्वपुर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपने विचारों तथा अनुभवों का आदान प्रदान कर इस कार्यक्रम को उपयोगी बनायें।

अपर पुलिस महानिदेशक कारागार श्री चन्द्र प्रकाश ने कहा उ0प्र0 की कारागारों में संरक्षा, तलाशी तथा बन्दियों की पेशी आदि में तकनीक का उपयोग किये जाने का उल्लेख करते हुये उपस्थित अधिकारियों को बताया कि विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा उन्हें इस 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षित किया जायेगा। वर्तमान में स्टाफ की कमी आदि विभिन्न कारणों से तकनीकी का उपयोग कर जेल प्रशासन को सुदृढ़ एवं चुस्त दुरूस्त बनाने की आवश्यकता है। तद्नुसार सभी उपस्थित अधिकारीगण अपने विचारों का आदान प्रदान करें। इस आदान प्रदान तथा व्यापक विचार विमर्श के पश्चात महत्वपूर्ण संस्तुतियों को उ0प्र0 की अधीनस्थ कारागारों को प्रेषित किया जायेगा तथा इन्हें देश के अन्य राज्यों को भी सम्यक विचार हेतु भेजा जायेगा।

प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में वरिष्ठ अधीक्षक जिला कारागार लखनऊ द्वारा उपस्थित अधिकारियों को उत्तर प्रदेश की कारागारों में बन्दियों की पेशी हेतु वीडियों कान्फ्रेंसिंग, सुरक्षा एवं तलाशी व्यवस्था हेतु स्थापित सीसीटीवी आदि विभिन्न उपकरणों के प्रयोग की जानकारी तथा आने वाली बाधाओं के संबंध में बताया गया तथा उनके निराकरण की व्यवस्था की जानकारी दी गयी। विभिन्न राज्यों से आये अधिकारियों से उनके राज्यों में स्थापित उपकरणों के उपयोग की जानकारी देने की अपेक्षा भी की गयी। बिहार तथा झारखंड के उपस्थित अधिकारियों द्वारा कारागारों में द्विस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत वाह्य सुरक्षा व्यवस्था पुलिस के अधीन होना बताया गया।

प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र में एनआईसी के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक श्री संजीव गहलौत द्वारा कारागार प्रशासन एवं प्रबन्ध व्यवस्था के लिये अत्यन्त उपयोगी एवं महत्वपूर्ण ई-प्रिजन कार्ययोजना का उ0प्र0 के कारागारों में संचालन किये जाने पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि अभी कारागारों में पीआईएमएस तथा वीएमएस दो माडयूल संचालित है, जिनमें बन्दियों का समस्त डाटा तथा मुलाकात की व्यवस्था का संचालन कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त शीघ्र ही हास्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम आदि विभिन्न 06 माड्यूल को क्रियान्वित कराया जा रहा है। इससे कारागार प्रशासन के कम्प्यूटरीकरण होने से प्रशासनिक व्यवस्था पारदर्शी तथा समयबद्ध हो जायेगी। सत्र में अन्य अधिकारियों के विचार भी उनके राज्य में संचालित व्यवस्था के आलोक में प्राप्त की गयी।

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