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वित्‍त मंत्री ने ‘भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड – फंसे हुए कर्ज के लिए नए प्रतिमान’ विषय पर वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए सम्‍मेलन को संबोधित किया

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नई दिल्ली: केन्‍द्रीय वित्‍त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी), 2016 कानून से पहले अस्‍त-व्‍यस्‍त शासन ने कुछ क्षेत्रों में घरेलू-निजी निवेश को प्रभावित किया, जिससे बैंकिंग प्रणाली में फंसे हुए कर्जों का स्‍तर काफी हद तक बढ़ गया, इसका विकास पर असर पड़ा। इन चिंताओं को दूर करने के लिए वित्‍त मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने न केवल इस संबंध में तेजी से कानून बनाया, बल्कि अभूतपूर्व गति से वह इसका कार्यान्‍वयन कर रही है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि आरंभिक दिनों में कुछ कठिनाइयां आएंगी। उन्‍होंने कहा कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर कठिनाइयों को दूर कर रही है। आरंभिक दिक्‍कतों के बावजूद, कोड के कार्यान्‍वयन के अनुमान से बेहतर नतीजे सामने आए हैं। यह प्रक्रिया शर्तों और नियमों द्वारा संचालित है तथा सरकार प्रक्रिया से निकटता बनाने से बच रही है और उसका कोई कृपा पात्र नहीं है। वित्‍त मंत्री वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के जरिए 5 दिसंबर, 2018 को न्‍यूयॉर्क, अमरीका में ‘भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड – फंसे हुए कर्ज के लिए नए प्रतिमान’ विषय पर सम्‍मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन आईबीबीआई ने न्यूयॉर्क, अमरीका में भारत के महावाणिज्य दूत के साथ संयुक्त रूप से किया था।

इस अवसर पर वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि केवल एकमात्र नकारात्‍मक पहलू यह है कि कुछ मामलों में अपीलों और उसके विरोध में अपीलों तथा मुकादमेबाजी के कारण, इस प्रक्रिया में देरी हुई है, लेकिन इसके बाद उच्‍चतम न्‍यायालय खड़ा हुआ। पूर्व में ऋणों की अदायगी करने के लिए ऋणदाताओं के अनिच्‍छुक होने का जिक्र करते हुए वित्‍त मंत्री ने जोर देकर कहा कि कोड ने भारत में ऋणदाताओं और ऋण लेने वालों के सम्‍बन्‍धों में महत्‍वपूर्ण बदलाव किया है। श्री जेटली ने कहा कि बड़ी संख्‍या में कर्जदार, जिन्‍हें यह डर होता है कि वे लाल रेखा के करीब पहुंचने वाले है, जिसके बाद वे एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्‍यूनल) में होंगे, वह अब दिवालिया घोषित होने से परहेज कर रहे हैं।

वित्‍त मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से, पिछले कुछ वर्षों में अब यह स्‍थापित हो गया है कि भारत तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था है, कुछ उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं से तेज और मेरा अपना विचार है कि भारत अगले कुछ दशक में कम से कम 7-8 प्रतिशत की विकास दर को बनाए रखेगा। कोड के अंतर्गत प्रक्रियाओं से निकलने वाले निवेश के अवसरों को उजागर करते हुए, श्री जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की भविष्‍य की संभावनाओं और कोड के अंतर्गत अपनाई जा रही निष्‍पक्ष प्रक्रियाओं को देखते हुए उन निवेशकों के लिए यह उत्‍तम अवसर है, जो भारत में निवेश के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। वर्तमान से बेहतर अवसर नहीं हो सकता, जिसकी पेशकश इस कोड के जरिए की गई है। श्री जेटली ने कहा कि इस तरह के निवेशों और भारत में होने के लिए यह सही समय है। कॉरपोरेट कर्जदाता जिनका समाधान निकाला जा रहा है, उनकी संख्‍या के बारे में वित्‍त मंत्री ने कहा कि कोड के जरिए लिए जाने के लिए उपलब्‍ध परिसंपत्तियों की संख्‍या काफी अधिक है।

आईबीबीआई के अध्‍यक्ष डॉ. एम.एस. साहू ने नये शासन की प्रमुख विशेषताओं की जानकारी दी, जो ऋणशोधन अक्षमता के समाधान के लिए जहां कहीं संभव हो वहां एक बाजार तंत्र और जहां जरूरी हो वहां निकासी प्रदान कर रहे हैं। वित्‍त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार श्री संजीव सान्‍याल ने कहा कि कोड ने भुगतान स्‍थगित कर कर्ज के पुनर्वित्‍तीयन और गैर मियादी ऋण की संस्‍कृति को बदल दिया है। न्‍यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्‍य दूत श्री संदीप चक्रवर्ती ने व्‍यवसाय को आसान बनाने के लिए जीएसटी और कोड सहित गहरे आर्थिक सुधारों के कारण पिछले पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में आए बदलाव की ओर ध्‍यान आकर्षित किया।

सम्‍मेलन को जिन अन्‍य प्रमुख वक्‍ताओं ने संबोधित किया, उनमें भारत के दूतावास में सचिव (आर्थिक) डॉ. अरूणीश चावला; भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता, शरदूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के कार्यकारी अध्‍यक्ष और नेशनल प्रेक्टिस हैड श्री शरदूल श्रौफ; आईबीबीआई के कार्यकारी निदेशक डॉ. ममता सूरी; भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता, शरदूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार श्री अनूप रावत; आईसीआईसीआई बैंक के कानूनी प्रमुख श्री नीलांजन सिन्‍हा; समाधान और पुनर्गठन विशेष स्थिति समूह, केपीएमजी के साझेदार प्रमुख श्री मनीष अग्रवाल; वर्दे पर्टनर्स के वरिष्‍ठ प्रबंध सहयोगी श्री अनीक मामिक; बेकर एंड मेकेंजी में साझेदार सुश्री देबरा ए. डंडेनीउ; प्राइवेट इक्विटी एंड डील्‍स; प्राइस वाटर हाउस कूपर्स प्राइवेट लिमिटेड के साझेदार और प्रमुख श्री संजीव कृष्‍णन; आईसीएआई शोधन अक्षमता प्रोफेशनल एजेंसी के निदेशक श्री संजय गुप्‍ता; कॉरपोरेट वित्‍त और पुनर्गठन, डेलॉयट इंडिया के साझेदार और राष्‍ट्रीय प्रमुख श्री सुमित खन्‍ना; दिवाला, मुकदमा वकील श्री कर्मवीर दहिया और फिक्‍की की उप महासचिव सुश्री ज्‍योति विज ने भी संबोधित किया।

सम्‍मेलन के बाद भारतीय शोधन अक्षमता व्‍यवस्‍था के प्रत्‍याशित साझेदारों के साथ बैठक हुई। इसमें किर्कलैंड, केकेआर, हार्टफोर्ड, वॉचटेल, लिप्‍टन, रोजन, केटीसी, देबेवॉयस, प्लिंपटन, एमएसडी, रफेल श्‍योरटी ग्रुप और भारतीय स्‍टेट बैंक सहित निधियन घरानों और कानूनी फर्मों ने हिस्‍सा लिया। इसमें भाग लेने वालों को प्रक्रिया सम्‍बन्‍धी निश्चितता, समय की निश्चितता और नतीजों की निश्चितता को लेकर उत्‍सुकता थी।

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