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आमरण अनशन पर बैठे स्वामी सानंद ने सांसद निशंक का आग्रह भी ठुकराया, आज से जल भी त्यागा

उत्तराखंड

गंगा की अविरलता और गंगा के लिए विशेष कानून बनाने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे पर्यावरणविद् प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने देर शाम जल भी त्याग दिया। उन्होंने सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के आग्रह को भी अस्वीकार कर दिया।
प्रोफेसर अग्रवाल 22 जून से गंगा कानून की मांग को लेकर हरिद्वार के उपनगर कनखल के जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम में अनशन पर बैठे हुए हैं। उन्होंने मंगलवार की दोपहर दो बजे जल भी त्याग देने की चेतावनी दी थी।

उनकी चेतावनी को देखते हुए मंगलवार दोपहर हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक मातृसदन पहुंचे। काफी देर तक चली वार्ता के बीच प्रोफेसर अग्रवाल ने निशंक को कहा कि यदि बुधवार सुबह सवा सात बजे तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे अपना शरीर त्यागने के लिए जल भी छोड देंगे।

देर शाम सांसद निशंक ने पत्रकारों को बताया कि केंद्र सरकार ने स्वामी सानंद की मांगों को मनवाने के लिए एक अलग से आयोग बनाने की बात कही है। इसमें गंगा की अविरलता से लेकर पवित्रता को बरकरार रखने की बातों का अध्ययन किया गया है।

साथ ही इस पर विचार कर नई व्यवस्था लागू की जाएगी। सांसद निशंक देर शाम इस अधिसूचना की प्रति लेकर मातृसन पहुंचे। जहां स्वामी सानंद ने इसे खारिज कर दिया। उनका कहना था कि उनका इस अधिसूचना से कोई सरोकार नहीं है।

सांसद निशंक उन्हें अनशन खत्म करने के लिए मनाते रहे। मगर देर शाम प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने जल भी त्याग दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि उनके शरीर में अंतिम सांस रहने तक उनकी मांगों पर ठोस कदम उठाया जाता है तो वह अनशन खत्म कर सकते हैं।

इस दौरान स्वामी शिवानंद सरस्वती ने केंद्र और राज्य सरकार मामले में गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को कुछ हो जाता है तो केंद्र की मोदी सरकार को प्रकृति दंड देगी।

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने मंगलवार से ही जल त्यागने की घोषणा कर दी थी। घोषणा के अनुसार वे दोपहर को जल त्यागने वाले थे। परंतु निशंक के आश्वासन पर उन्होंने अपनी घोषणा को बुधवार सुबह सवा सात बजे तक टाल दिया था। मगर देर शाम अचानक उन्होंने फैसला बदलते हुए शाम को ही जल त्याग दिया।

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