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राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 90वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित किया

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 90वें स्थापना दिवस के अवसर पर माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने लोगों को संबोधित किया।

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रयासों से देश आयातक राष्ट्र के बजाय निर्यातक राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया है।
  • ‘वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने’ के सरकारी लक्ष्य को प्राप्त करने में आईसीएआर की भूमिका महत्वपूर्ण।
  • आईसीएआर द्वारा विकसित बासमती चावल की पूसा बासमती 1121 किस्म से भारत को प्रति वर्ष मिल रही है 18 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की विदेशी मुद्रा।
  • ‘कृषि कौशल के जरिए युवाओं की सहायता से कृषि सेवाएं एवं व्यवसाय (अभ्यास)’- एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू करने पर किया जा रहा है विचार।
  •  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि अनुसंधान, शिक्षा एवं अग्रिम पंक्ति वाली प्रसार गतिविधियों का राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयन करते हुए कृषि आधारित 750 से भी अधिक स्टार्ट अप तथा कृषि-उद्यमी विकसित किए गए हैं।

माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 90वें स्थापना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित एनएससी कॉम्प्लेक्स में आयोजित स्थापना दिवस एवं पुरस्कार वितरण समारोह में परिषद के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों व देश के किसानों को बधाई देते हुए कहा कि ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने न केवल देश को आयातक राष्ट्र के बजाय एक निर्यातक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया, बल्कि खाद्यान के मामले में आप निर्भरता और पोषण संबंधी सुरक्षा भी दी। परिषद के कुशल वैज्ञानिकों के अनुसंधान परिणामों और किसान भाइयों की कड़ी मेहनत से आज देश में अनाज के भण्डार भरे पड़े हैं।’

उन्होंने कहा कि सरकार के मूल मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास’ को ध्यान में रखकर आईसीएआर ने कृषि अनुसंधान के अग्रणी संस्थान आईएआरआई, पूसा की तर्ज पर आईएआरआई, असम और आईएआरआई, झारखंड की स्थापना की।

‘वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने’ के सरकारी लक्ष्य को प्राप्त करने में भी आईसीएआर महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। परिषद के सुझाव को ध्यान में रखते हुए बजटीय आवंटन में भारी वृद्धि करने के अलावा सरकार ने डेयरी, कोऑपरेटिव, मछली पालन, पशु पालन, कृषि बाजार, लघु सिंचाई योजना, जल-जीव प्रबंधन के आधारभूत ढांचे एवं व्यवस्था में सुधार हेतु कई सक्षम फंड बनाए गए हैं।

माननीय कृषि मंत्री ने बताया कि बुवाई से पहले किसान भाई यह जान पाएं कि उनके खेत की मिट्टी की सेहत कैसी है, उस पर किस प्रकार की फसल उगानी चाहिए एवं कौन से पोषक तत्व किस मात्रा में चाहिए, इसके लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई है। इसके साथ ही सरकार के ‘हर खेत को पानी मिले’ लक्ष्य के मद्देनजर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत देश भर में लगभग 100 सिंचाई परियोजनाएं पूरी की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘ई-नाम’ शुरू किया गया। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को फसल लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित किया जाएगा। इस फैसले को लागू करने की दिशा में 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना या उससे अधिक की वृद्धि भी कर दी गई है।

माननीय कृषि मंत्री ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि आईसीएआर द्वारा विकसित तकनीकों एवं किसान भाइयों की कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप इस वर्ष खाद्यान उत्पादन 275.68 मिलियन टन रहा जो वर्ष 2013-14 में हासिल उत्पादन (265.04 मिलियन टन) के मुकाबले लगभग 10.64 मिलियन टन अधिक है। बागबानी फसलों का इस वर्ष रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है जो 300 मिलियन के आंकड़े को पार कर 305 मिलियन टन हो गया है। दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भी देश आगे बढ़ रहा है। इस वर्ष दालों का लगभग 23 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है जो कि आत्मनिर्भरता के काफी नजदीक है। इससे दलहन का आयात जो कि वर्ष 2016-17 में 10 लाख टन था वह 2017-18 में घटकर 5.65 लाख टन रह गया जिससे 9775 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई। आईसीएआर द्वारा विकसित बासमती चावल की पूसा बासमती 1121 किस्म से भारत को प्रति वर्ष 18 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की विदेशी मुद्रा मिल रही है। वर्ष 2011-14 के दौरान जहां इसके निर्यात से 62,800 करोड़ रुपये मिलते थे, वहीं वर्ष 2014-18 के चार सालों में इसके निर्यात से 71,900 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई है।

उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए देश के सभी 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 45 एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल तैयार किए गए हैं।

खेतों में पराली जलाने के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के निराकरण की दिशा में पहल करते हुए इस अपशिष्ट को बचाने के लिए मशीनें खरीदने में किसानों को 50 प्रतिशत और कस्टम हायरिंग केंद्रों को 50 प्रतिशत तक की छूट देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही आईसीएआर के 35 कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा व्यापक अभियान चलाया गया। 45,000 किसानों में जागरूकता उत्पन्न की गई, अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े कार्यकलापों पर 4708 हेक्टेयर क्षेत्र में 1200 सीधा या लाइव प्रदर्शन किए गए।

कृषि मंत्री ने बताया कि देश के युवाओं को कृषि शिक्षा की ओर आकर्षित करने के लिए स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम में छात्रों के कौशल विकास को अब पूरे एक साल के लिए शामिल किया गया है। इसके साथ ही ‘कृषि कौशल के जरिए युवाओं की सहायता से कृषि सेवाएं एवं व्यवसाय (अभ्यास)’- एक वर्षीय डिप्लोमा प्रारम्भ करने का प्रस्ताव है जिसमें नवयुवक कृषि की जानकारी प्राप्त कर पाएंगे और इससे उन्हें नौकरी पाने अथवा अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिलेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि अनुसंधान, शिक्षा एवं अग्रिम पंक्ति वाली प्रसार गतिविधियों का राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयन करते हुए कृषि आधारित 750 से भी अधिक स्टार्ट अप तथा कृषि-उद्यमी विकसित किए गए हैं जिनमें कृषि के विभिन्न क्षेत्रों के किसान उद्यमी भी शामिल हैं। इसके साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 24 संस्थानों में स्थापित कृषि व्यवसाय इन्क्यूबेशन केंद्रों में उद्यमियों को तकनीकी सहयोग प्रदान किया जा रहा है। अंत में उन्होंने कहा कि देश को परिषद के वैज्ञानिकों के प्रयासों और अपने किसान भाइयों की मेहनत पर पूरा भरोसा है और आशा है कि सभी मिलकर पहले से भी कहीं अधिक तेजी से कृषि विकास की राह पर आगे बढ़ेंगे।

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