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समुद्र और उसकी पारिस्थितिकी प्रणाली के क्षरण को रोकें: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने तेज आर्थिक विकास हासिल करने के लिए देश के लिए समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था की प्रचुर क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने की अपील की है।

यह देखते हुए कि समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था का उद्देश्य समुद्री आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से स्मार्ट, टिकाऊ और समावेशी विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना है, उपराष्ट्रपति ने महासागर संसाधनों के स्थायी दोहन के लिए उपयुक्त कार्यक्रम शुरू करने की इच्‍छा जताई।

श्री नायडू ने आज गोवा के डोना पाउला में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के (एनआईओ) वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि भारत आयात के माध्यम से अपनी तेल और गैस की अधिकांश आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। उन्‍होंने वैज्ञानिकों से समुद्री और महासागरीय ऊर्जा क्षेत्रों में अपने शोध को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “वैज्ञानिकों को समुद्री- हवा, लहर और ज्वार के स्रोतों से प्राप्त अक्षय ऊर्जा की क्षमता का अध्ययन करना चाहिए।”

श्री नायडू ने संस्थान से समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था से संबंधित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक नोडल केंद्र के रूप में कार्य करने की अपील की और कहा कि भारत की निरंतर वृद्धि के लिए समुद्री संसाधनों का दोहन करने के लिए महासागर केंद्रित प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। खनिजों के निष्कर्षण के लिए गहरे समुद्र में खनन, पानी के नीचे वाहनों और पानी के नीचे रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि “एनआईओ को समुद्र से प्राप्‍त दवाओं के विकास पर भी शोध करना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ क्षेत्रों जैसे समुद्र से खनिज, महासागर से ऊर्जा में केंद्रित दृष्टिकोण भारत को वैश्विक नेता बना सकता है और हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों में मदद कर सकता है। उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि ‘हालांकि, समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था के विकास के लिए समुद्र और इसके पारिस्थितिकी तंत्र के और अधिक क्षरण को रोकने के लिए, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों सहित सभी हितधारकों द्वारा हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए, ।

श्री नायडू ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग, संसाधन के क्षरण और समुद्री प्रदूषण के मद्देनजर हमें अपने महासागरों का संरक्षण और रखरखाव करना होगा क्योंकि समय समाप्त हो रहा है। उन्‍होंने सीएसआईआर-एनआईओ को जलवायु परिवर्तन के लिए समुद्र की विभिन्न प्रक्रियाओं को समझने के लिए इसके समुद्र अवलोकन अध्ययन के माध्यम से प्रमुख भूमिका निभाने की सलाह दी।

श्री नायडू ने समुद्र संबंधी समस्याओं के समाधान में समाज को विशेष सेवाएँ प्रदान करने के लिए एनआईओ की सराहना की। उन्होंने प्रसन्‍नता जताई कि संस्थान ने एक मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ एक विस्तारित महाद्वीपीय निधानी के लिए भारत के दावे को तैयार करने में मदद की।

उपराष्ट्रपति ने समुद्र विज्ञान के विभिन्न पहलुओं और अनुप्रयोगों पर एक प्रस्तुति में भी भाग लिया और एनआईओ में प्रयोगशालाओं और प्रदर्शनी दीर्घाओं का दौरा किया। उन्होंने विशेष रूप से संरक्षण के क्षेत्र में एनआईओ के वैज्ञानिकों और विद्वानों द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों की सराहना की।

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