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राष्ट्रपति ने भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (आईएएएस) तथा केंद्रीय इंजीनियरिंग सेवा (सड़क) के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया

उत्तराखंड

नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (आईएएएस) केंद्रीय इंजीनियरिंग सेवा(सड़क) के प्रशिक्षु अधिकारियों को आज राष्ट्रपति भवन में संबोधित करते हुए कहा कि मैं आप सभी को एक कठिन और प्रतिस्पर्धी परीक्षा और चयन प्रक्रिया ने आप की सफलता के लिए बधाई देता हूं। आईएएएस हमारे देश में एक बहुत सम्मानित संस्थान है यह 150 वर्ष लंबी विरासत है। हालांकि इस अवधि में अर्थव्यवस्था बदल गयी है, प्रौद्योगिकी  बदल गयी है, लेखाकंन प्रक्रिया बदल गयी है। लेकिन आईएएएस का दर्शन और सिद्धांत नही बदले हैं।

   राष्ट्रपति ने कहा कि आईएएएस अधिकारी  कार्यपालिका और विधायिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विधायिका को सौपी गयी सीएजी रिपोर्ट इस जवाबदेही को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संसदीय समितियों के लिये लेखा परीक्षा रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण इनपुट है। आईएएएस अधिकारी सार्वजनिक विश्वास और वित्तीय विवेक के संरक्षक हैं। उनके मन में हमेशा यह उद्देश्य रहता है कि लेखा परीक्षा का उद्देश्य शासन रणनीतियों में सुधार लाने वाला होना  चाहिए। आपके निष्कर्षों की विश्वसनीयता शासन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये लेखा परीक्षा की उपयोगिता को निर्धारित करेगी ।

   केंद्रीय इंजीनियरिंग सेवा (सड़क) एक प्रमुख योगदान करता है। जो भारत इतिहास में सड़क और राजमार्ग के विकास के रोमांचक चरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। हाल के वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों के रूप में हमारे शहरों के बीच, शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच सड़कों का तेजी से विस्तार हुआ है। इस  सेवा के अधिकारी देश की जुड़ाव क्रांति का हिस्सा हैं। अब चुनौती केवल अधिक निर्माण करने की नही है बल्कि बेहतर निर्माण और सुरक्षित निर्माण करने की हैं। सड़क और राजमार्ग परियोजनाओं में एक इंजीनियर के रूप में काम करते हुए आपके मन में यह तथ्य होना चाहिए कि आप अगली यात्रा के लिये नही बल्कि अगली पीढ़ी के लिये निर्माण कर रहे है। परियोजनाओं को डिजाइन करते समय सड़कों को अधिक टिकाऊ और सस्ती बनाने के लिये नयी तकनीकियों का उपयोग किया जाना चाहिए।

जैसे-जैसे देश में ऑटोमोबाइल यातायात बढ़ता है वैसे ही हमारी सड़कों और राजमार्गों पर दो पहिया वाहनों, कारों और वाणिक वाहनों की संख्या बढ़ती है। भारत में यातायात दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु की संख्या बहुत अधिक है। इसका समाधान अकेले इंजीनियर नही कर सकते लेकिन इन्हें कम करने के प्रति सचेत रहें। मुझे आप से उम्मीद है कि समर्पण के साथ अपने कतर्व्य का पालन करते समय आपको ईमानदारी और अनुशासन के उच्च मानकों को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों की सफलता की कामना की।

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