नई दिल्ली: यह प्रेस विज्ञप्ति राष्ट्रीय लेखा से जुड़े अनुमानों और हाल ही में जारी एनएसएस के 74वें दौर की तकनीकी रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों को तैयार करने में कॉरपोरेट सेक्टर के डेटाबेस (कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय,एमसीए) के उपयोग से संबंधित हालिया मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण देने के लिए जारी की गई है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय लेखा की 2004-05 सीरीज में निजी कॉरपोरेट क्षेत्र (पीसीएस) के लिए सकल मूल्य वर्द्धित (जीवीए), बचत इत्यादि के अनुमान तैयार करने के लिए 2500 कंपनियों के आरबीआई नमूना (सैंपल) अध्ययन का उपयोग किया जा रहा था। इस नमूने (सैंपल) की चुकता पूंजी (पीयूसी) का उपयोग संबंधित गतिविधि के लिए सभी कंपनियों की पीयूसी को बढ़ाने के लिए किया गया था। इस पद्धति की अपनी सीमाएं हैं जिन पर राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी संबंधी सलाहकार समिति (एसीएनएएस) ने राष्ट्रीय लेखा के आधार वर्ष को संशोधित करके 2011-12 करने के दौरान विधिवत विचार किया था। एसीएनएएस के अधीन गठित की गई एक उप-समिति ने एमसीए-21 कॉरपोरेट डेटाबेस का उपयोग करने की सिफारिश की थी और संबंधित रिपोर्टों की एक प्रति http://mospi.nic.in/sites/default/files/ publication_reports/final_Report_Goldar_subcommittee2mar15.pdf पर उपलब्ध है। तदनुसार, उपलब्ध कंपनियों के नतीजों के पीयूसी आधारित वैज्ञानिक परिवर्धन का उपयोग करने का निर्णय लिया गया, ताकि समग्र अनुमान तैयार किए जा सकें और प्रथम संशोधित अनुमान चरण के बाद सभी चरणों में इनका उपयोग किया जा सके। इस अवधारणा को उन कंपनियों के लिए पूरी तरह से ध्यान में रखा गया जो सक्रिय थीं और जिन्होंने राष्ट्रीय लेखा अनुमानों को जारी करने के समय संभवत: अपने-अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए थे। उपयुक्त नमूना (सैंपलिंग) तकनीकों का उपयोग कर संबंधित स्तर को इस तरह से बढ़ाना दरअसल सभी सैंपल सर्वेक्षणों में एक मानक आकलन प्रक्रिया है।
मंत्रालय ने वर्ष 2019-20 से सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) का वार्षिक सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया था, ताकि राष्ट्रीय लेखा अनुमानों में उपयोग के लिए उनकी स्थानिक और सामयिक विशेषताओं का उपयोग किया जा सके। एक प्रस्तावना के रूप में कई स्रोतों से प्राप्त प्रतिष्ठानों/उद्यमों की सूची संरचना का उपयोग करते हुए एनएसएस का 74वां दौर जुलाई 2016-जून 2017 के दौरान आयोजित किया गया। इस दौर या चरण में एनएसएस ने वर्ष 2013-14 में उल्लिखित एमसीए के फ्रेम/डेटाबेस से सर्विस सेक्टर की 3,49,500 कंपनियों में से 35,456 कंपनियों का चयन किया था। एनएसएस के 74वें दौर के सर्वेक्षण की तकनीकी रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों से यह जानकारी उभरकर सामने आई कि एमसीए में पंजीकृत कंपनियों में से 16.4 प्रतिशत कंपनियों का कोई अता-पता नहीं था अथवा वे बंद हो गई थीं और 21.4 प्रतिशत कंपनियों का गलत वर्गीकरण किया गया था।
जैसा कि पूर्ववर्ती अवसरों पर स्पष्ट हुआ है, किसी भी सर्वेक्षण के नतीजों की सराहना उस संदर्भ में करने की जरूरत है जिस संदर्भ में इसे कराया गया था। 74वें दौर के सर्वेक्षण का उद्देश्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी इकाइयों (यूनिट) की विशेषताओं का अध्ययन करना था, ताकि विभिन्न सेवाओं के आउटपुट एवं इनपुट से संबंधित सुदृढ़ दरों और अनुपातों को विकसित किया जा सके। उल्लेखनीय है कि कोई कंपनी जब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए-21) में पंजीकृत होती है तो उसे एक कॉरपोरेट पहचान संख्या (सीआईएन) मिलती है। संबंधित कंपनी की प्रमुख आर्थिक गतिविधि राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (एनआईसी) कोड पर आधारित सीआईएन में अंकित होती है। अत: पंजीकरण के समय किसी कंपनी की ऐसी सीआईएन हो सकती है जो एनआईसी कोड पर आधारित हो, लेकिन यह भी हो सकता है कि वह कंपनी वास्तव में किसी अलग एनआईसी कोड के साथ कोई आर्थिक गतिविधि संचालित करती हो। कुछ ही ऐसी कंपनियां होती हैं जो नवीनतम एनआईसी कोड के साथ अपनी सीआईएन को अपडेट करती हैं। अत: ऐसी स्थिति में सीआईएन में अंकित एनआईसी कोड की तुलना में संबंधित क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि बेमेल साबित हो सकती है। इसके अलावा, कई कंपनियों ने अपना परिचालन बंद कर दिया है और कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय संबंधित सूची से इनके नाम हटाने की कार्रवाई करता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 6.3 लाख निकाय विपंजीकृत कर दिए गए हैं।
एनएसएस के 74वें दौर की तकनीकी रिपोर्ट को इस पृष्ठभूमि में समझने की जरूरत है। एनएसएस ने 35,456 कंपनियों (संदर्भ आधार वर्ष 2013-14) का नमूना लिया था और उनके यहां दौरा किया था। सर्विस सेक्टर में सीआईएन के आधार पर जिन कंपनियों को कार्यरत नहीं पाया गया उन्हें संबंधित अध्ययन के दायरे से बाहर कर दिया गया और उन्हें ‘सर्वेक्षण से बाहर’ के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया। इसका मतलब यह नहीं है कि इन कंपनियों का कभी कोई वजूद ही नहीं रहा था।
चूंकि एनएसएस के 74वें दौर के महत्वपूर्ण निष्कर्षों का उपयोग आगामी कार्यों के लिए एक उपयुक्त आधार के रूप में किया जाना है, इसलिए नमूने (सैंपल) में शामिल 35,456 कंपनियों द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न की स्थिति से अवगत होने के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सहयोग से एक अभियान चलाया गया। संबंधित नमूना (सैंपल) के संदर्भ में वर्ष 2016-17 के लिए एमजीटी7 के तहत दाखिल वार्षिक रिटर्न की स्थिति का विवरण निम्नलिखित तालिका में दिया गया है:
तालिका 1: एमसीए की तुलना में एनएसएस के 74वें दौर में कंपनियों की स्थिति
74वें दौर में वर्गीकरण |
74वें दौर में संख्या |
वर्ष 2016-17 में एमसीए में | |||||
सक्रिय | अन्य* | कुल | |||||
संख्या | दाखिल किए गए रिटर्न | संख्या | दाखिल किए गए रिटर्न | संख्या | दाखिल किए गए रिटर्न | ||
|
19,317 | 18,818 | 17,612 | 260 | 56 | 19,078 | 17,668 |
ii. असम्मति (अर्थात सूचना देने से इनकार किया) | 2,428 | 2,242 | 1,845 | 120 | 9 | 2,362 | 1,854 |
iii. सर्वे के दौरान परिचालन बंद किया | 1,579 | 1,357 | 990 | 185 | 11 | 1,542 | 1,001 |
iv. चयनित इकाई या यूनिट एक बहु-प्रतिष्ठान उद्यम का एक प्रतिष्ठान है (मुख्यालय को छोड़कर) | 324 | 276 | 240 | 26 | 1 | 302 | 241 |
v. कवरेज से बाहर (अर्थात गलत वर्गीकृत) | 7,573 | 7,291 | 6,755 | 136 | 12 | 7,427 | 6,767 |
vi. दिए गए पते पर इकाइयां नामौजूद पाई गईं | 4,235 | 3,928 | 3,141 | 195 | 13 | 4,123 | 3,154 |
उप-योग | 35,456 | 33,912 | 30,583 | 922 | 102 | 34,834 | 30,685 |
vii. सीआईएन इत्यादि में परिवर्तन के कारण एमसीए में पता नहीं लग पाया | 622 | ||||||
कुल | 35,456 | 33,912 | 30,583 | 922 | 102 | 35,456 | 30,685 |
नोट:* इसमें ‘विलय’, ‘रूपातंरित’, ‘अवर्गीकृत’, ‘प्रक्रियाधीन’, ‘परिसमापन के तहत’, ‘भंग’, ‘निष्क्रिय’ जैसी स्थितियां शामिल हैं।
जैसा कि उपर्युक्त तालिका 1 से पता चलता है, 74वें दौर में शामिल 35,456 कंपनियों में से तकरीबन 34,834 (86.5 प्रतिशत) कंपनियों ने एमसीए डेटाबेस में अपने-अपने रिटर्न दाखिल किए थे और संभवत: सीआईएन इत्यादि में परिवर्तन के कारण केवल 622 कंपनियों के बारे में ही पता नहीं चल पाया था। निजी कॉरपोरेट क्षेत्र (पीसीएस) के संबंध में जीवीए आकलन के संदर्भ में, 74वें दौर में जिन 4235 यूनिटों के बारे में दिए गए पते पर पता नहीं चल पाया था उनमें से लगभग 3154 यूनिटों ने वास्तव में एमसीए के पोर्टल पर अपने-अपने रिटर्न ऑनलाइन दाखिल किए थे। इसी तरह जिन 7573 कंपनियों को ‘कवरेज से बाहर’ (अर्थात किसी भी सेवा के उत्पादन में संलग्न नहीं) के रूप में वर्गीकृत किया गया था उनमें से 6767 कंपनियों ने ऑनलाइन रिटर्न दाखिल किए थे। जिन 2428 कंपनियों को ‘असम्मति (अर्थात जिन्होंने एनएसएस के सर्वेक्षकों के संपर्क करने पर कोई भी सूचना नहीं दी)’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था उनमें से 1854 कंपनियों ने ऑनलाइन रिटर्न दाखिल किए थे। एक रोचक बात यह है कि 74वें दौर में जिन 19317 कंपनियों का वास्तव में सर्वेक्षण किया गया था उनमें से 17668 कंपनियों (91.5 प्रतिशत) द्वारा रिटर्न दाखिल किए गए थे।
अत: यह बात रेखांकित की जा सकती है कि एमसीए के अधीनस्थ कंपनियों द्वारा रिटर्न दाखिल करना एक निरंतर प्रक्रिया है। राष्ट्रीय लेखा से जुड़े अनुमानों के प्रयोजन के लिए एमसीए के अधीनस्थ कंपनियों द्वारा वास्तव में दाखिल किए गए रिटर्न को विधिवत रूप से ध्यान में रखा जाता है। एनएसएस के इस सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्षों से उन चुनौतियों के बारे में बेहतर ढंग से पता चलता है जिनका सामना सर्विस सेक्टर का वार्षिक सर्वेक्षण शुरू करने के दौरान करना पड़ेगा। इसके साथ ही इन प्रमुख निष्कर्षों से इन चुनौतियों का सामना करने और गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए उपयुक्त रणनीतियां तैयार करने में भी मदद मिलती है। हालांकि, यह बात दोहराई जाती है कि एनएसएस के 74वें दौर के सर्वेक्षण के निष्कर्षों का राष्ट्रीय लेखा से जुड़े अनुमानों पर मामूली असर पड़ेगा।