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दलित उद्यमिता पर अनुसंधान के जरिए अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों के सशक्तिकरण के लिए डीएआईसी और डीआईसीसीआई के बीच सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत की मौजूदगी में डाक्‍टर अम्‍बेडकर अंतरराष्‍ट्रीय केन्‍द्र (डीएआईसी) तथा दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज (डीआईसीसीआई) के बीच आज नयी दिल्‍ली में एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए गए। सहमति पत्र पर डीएआईसी के निदेशक श्री अतुल देव सर्मा और डीआईसीसीआई के श्री मिलिंद काम्‍बले ने हस्‍ताक्षर किए ।

डीएआईसी और डीआईसीसीआई के संयुक्‍त प्रयासों की सराहना करते हुए श्री गहलोत ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का मुख्‍य उद्देश्य अनुसूचित जाति (एसी)/अनुसूचित जनजाति (एसटी)  महिलाओं और युवाओं के बीच दलित उद्यमिता, सशक्तिकरण , कौशल विकास क्षमता निर्माण तथा सामाजिक आर्थिक स्थितियों पर विभिन्‍न सरकारी योजनाओं के प्रभाव पर अनुसंधान के माध्यम से एससी और एसटी समुदायों का सशक्तिकरण करना है।

डीआईसीसीआई दलित उद्यमियों को एक साथ जोड़ने का काम करने के साथ ही उनके लिए एक संसाधन केन्‍द्र के रूप में भी काम करता है और इसके माध्‍यम से उनके  आर्थिक और सामाजिक समस्‍याओं के समाधान में मदद करता है। ऐसे में दलित समुदाय के आर्थिक और सामाजिक बदलाव के लिए अनुसंधान का काम देख रहे डीएआईसी का डीआईसीसीआई के साथ आना दलित समुदाय के उत्‍थान के लिए काफी महत्‍व रखता है।

इस संयुक्‍त उपक्रम के माध्‍यम से डीएआईसी यह देखने का प्रयास करेगा कि एससी और एसटी समुदाय किस हद तक अपने बूते अपना व्‍यवसाय शुरु कर पाया है। इन आंकडों से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आखिर किस वजह से दलित युवाओं में पर्याप्‍त उद्यमिता की भावना नहीं विक‍सित की जा सकी जिसके जरिए वह दुनिया में और लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकते।

डीएआईसी और डीआईसीसीआई के बीच सहयोग के मुख्‍य क्षेत्र इस प्रकार हैं :

  1. अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोगात्मक प्रयास करने के लिए डीएआईसी  और औद्योगिक संगठनों के बीच संबंधों को मजबूत करना।
  2. ज्ञान बैंक बनाने के लिए संयुक्त प्रयास, जिसका उपयोग विद्वानों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं की सुविधा के लिए किया जा सकता है।
  3. शैक्षिक सामग्री और प्रकाशनों का आदान-प्रदान करना।
  4. व्याख्यान कार्यक्रम, संगोष्ठी, संगोष्ठी, और अन्य प्रकार की शैक्षिक चर्चाओं का आयोजन करना तथा कर्मचारियों के लिए संयुक्‍त अनुसंधान कार्य करना, ताकि पाठ्यक्रम की समीक्षा तथा शिक्षण और अनुसंधान कौशल को निखारा जा सकें।
  5. संयुक्‍त रूप से सलाहकार सेवाएं देना।
  6. बेहतर अनुसंधान और नीतिगत सुझावों के लिए शिक्षा संस्‍थाओं में उद्योग के तकनीकी ज्ञान को शामिल करने के लिए जमीन तैयार करना।
  7. शैक्षणिक और नीतिगत अनुसंधान से  संबंधित गतिविधियों और स्टार्ट-अप के लिए क्षमता निर्माण के वास्‍ते उद्योगों और संस्थानों, मंत्रालयों, अनुसंधान केंद्रों और एजेंसियों द्वारा  डीएआईसी और डीआईसीसीआई की परियोजनाओं को प्रायोजित करने के लिए लिए एक सामान्य आधार तैयार करना
  8. डीएआईसी और डीआईसीसीआई दोनों को आपसी प्रयासों से बनाये गये ज्ञान उत्‍पादों पर बौद्धिक संपदा अधिकार होगा।
  9. मूल शैक्षिक अनुसंधानों के लिए परिसर में निशुल्‍क सुविधाएं उपलब्‍ध कराना।
  10. अनुभव-साझा करने और संस्थागत निर्माण गतिविधियों में भागीदारी।
  11. राष्ट्रीय स्‍तर पर शिक्षण गतिविधियों के रूप में नियमित क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना। उदाहरण के लिए, इसमें भारतीय प्रशासन प्रणाली की विशेष परियोजनाओं और गतिविधियों के लिए सीखने और समर्थन सेवाएं शामिल हो सकती हैं।
  12. भारतीय शिक्षाविदों, अधिकारियों और पेशेवरों के लिए विशेष रूप से सीखने के तरीकों, अनुसंधान और नीति विश्लेषण, प्रशासन, सामाजिक न्याय और सामाजिक तथा वित्तीय समावेशन के क्षेत्रों में प्रशिक्षण की व्‍यवस्‍था करना।
  13. कौशल विकास के उभरते रूझानों और रोजगार से संबंधित विषयों पर अनुसंधान सहयोग।
  14. श्रमिकों और वयस्कों के लिए दूरस्‍थ शिक्षा के लिए अभिनव शिक्षण कार्यक्रम विकसित करना।

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