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टिहरी झील में सी-प्लेन के लिए किया गया एमओयू

उत्तराखंड

देहरादून: टिहरी झील में सी-प्लेन के संचालन की दिशा में ठोस शुरूआत की गई है। सचिवालय में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में टिहरी झील में सी-प्लेन के संचालन हेतु वाटरड्रोम की स्थापना के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व राज्य सरकार के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। वाटर ड्रोम की स्थापना के लिए एमओयू करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है।
इसी प्रकार पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी में हवाई सेवाओं के सफल संचालन के लिए भी सीएनएस-एटीएम (कम्यूनिकेशन, नेवीगेशन, सर्विलांस एंड एयर ट्रैफिक मेनेजमेंट सर्विसेज) एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दोनों एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने इसे राज्य के लिए ऐतिहासित अवसर बताते हुए कहा कि टिहरी झील में सी-प्लेन के संचालन के लिए बड़ी शुरूआत हुई है। इससे टिहरी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। क्षेत्र में पर्यटन संबंधी गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी। जिससे स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों को लाभ होगा। पिछले कुछ समय में टिहरी की पहचान प्रमुख टूरिस्ट डेस्टीनेशन के तौर पर बनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ राज्य का दूरस्थ क्षेत्र है। इसका सामरिक महत्व भी है। नैनी सैनी में हवाई सेवाओं के संचालन से पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी बहुत सुविधा होगी। राज्य सरकार पिथौरागढ़ को डेस्टीनेशन के तौर पर विकसित कर रही है। वहां 50 हेक्टेयर में ट्ण्ूलिप गार्डन बनाया जाएगा। जो कि देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन होगा।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार की संयुक्त सचिव श्रीमती उषा ने बताया कि यह एमओयू भारत सरकार के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। वाटरड्रोम के लिए पहली बार किसी राज्य के साथ एमओयू किया गया है। उड़ान योजना के क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री जी व उत्तराखण्ड सरकार ने काफी सक्रियता दिखाई है। प्रदेश में हवाई सेवाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार ने हमेशा सहयोग दिया है। उड़ान योजना में एयरपोर्ट डेवलपमेंट की लागत का सौ प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
श्रीमती उषा ने कहा कि पिथौरागढ़ में हवाई सेवाओं के संचालन को बहुत गम्भीरता से लिया गया है। राज्य में 13 हेलीपोर्ट विकसित किए जाने हैं इनमें से 10 की डीपीआर दे दी गई है। जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट को भी विकसित किया जा रहा है। इसके टर्मिनल की क्षमता को 150 से बढ़ाकर 1800 किया जाएगा।
श्रीमती उषा ने बताया कि अगस्त माह में फिक्की के सहयोग से देहरादून में हेलीकाप्टर कान्क्लेव आयोजित किया जाएगा। उन्होंने पवन हंस की ओर से सीएसआर के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में 60 लाख रूपए की सहयोग राशि दिए जाने की बात भी कही।
सचिव नागरिक उड्डयन, उत्तराखण्ड सरकार श्री दिलीप जावलकर ने बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत सी-प्लेन संचालन के लिए टिहरी झील को चयनित किया गया है। योजना के तहत वाटरड्रोम की स्थापना व हवाई सेवाओं के संचालन के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व उत्तराखण्ड सरकार के मध्य त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके लिए टिहरी झील के निकट 2.5 हैक्टेयर भूमि का चयन कर लिया गय है। वाटरड्रोम की स्थापना ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की तरह की जाएगी। उड़ान योजना के तहत अवस्थापना पर होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति भारत सरकार से की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा योजना के अंतर्गत संचालित होने वाली हवाई सेवाओं के लिए एटीएफ पर वैट की दर को घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष टिहरी श्रीमती सोना सजवाण, विधायक श्री विनोद कण्डारी, श्री धन सिंह नेगी, श्री विजय सिंह पंवार, श्री शक्ति लाल शाह, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक श्री एस चड्ढा, अपर सचिव नागरिक उड्डयन उत्तराखण्ड सोनिका, डीएम टिहरी श्री वी.षणमुगम, मुख्यमंत्री के नागरिक उड्डयन सलाहकार कैप्टन दीप श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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