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ई-सिगरेट पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए 1000 से अधिक डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

उत्तराखंड

देहरादून: भारत के 24 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक चिकित्सकेंा नेे इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें ईएनडीएस ई-सिगरेट, ई-हुक्का आदि भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन डॉक्टरों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह बहुत जरूरी है कि युवाओं के बीच ईएनडीएस महामारी बन कर फैल जाए, इससेपहले इस पर रोक लगाई जाए। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले ये 1061 डॉक्टर इस बात से बेहद चिंतित हैं कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मामले पर, व्यापार औरउद्योग संगठन ई-सिगरेट के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं।

 ई-सिगरेट को ई-सिग, वेप्स, ई-हुक्का, वेप पेन भी कहा जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) हैं। कुछ ई-सिगरेट नियमित सिगरेट,सिगार या पाइप जैसे दिखते हैं।  कुछ यूएसबी फ्लैश ड्राइव, पेन और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की तरह दिखते हैं। जो युवाअेंा को बेहद आकर्षित करने वाले होतेहै।

डॉक्टर के समूह ने 30 संगठनों द्वारा आईटी मंत्रालय को लिखे गए एक पत्र पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है औरइसलिए इसे खतरे में डालकर व्यावसायिक हितों की रक्षा नहीं की जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के 30 संगठनों ने इंटरनेट पर ईएनडीएस के प्रचार पर प्रतिबंध नलगाने के लिए आईटी मंत्रालय को लिखा था।

उल्लेखनीय है कि 28 अगस्त, 2018 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस परप्रतिबंध लगाने के लिए एक परामर्शिका जारी की थी। इस साल मार्च में एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा नियुक्त स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक पैनल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत कीहै। जिसमें ईएनडीएस पर 251 शोध अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि ईएनडीएस किसी भी अन्य तंबाकू उत्पाद जितना ही खराब हैऔर निश्चित रूप से असुरक्षित है।

टाटा मेमोरियल अस्पताल के उप निदेशक एंव हैड नेक कैंसर सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा,  यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि निकोटीन को जहर माना जाए।यह दुखःद है कि ईएनडीएस लॉबी ने डॉक्टरों के एक समूह को लामबंद किया है, जो ईएनडीएस उद्योग के अनुरूप भ्रामक, विकृत जानकारी साझा कर रहे हैं। मैंभारत सरकार की सराहना करता हूं कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के अपने लक्ष्य के अनुरूप, इसने निकोटीन वितरण उपकरणों (ईएनडीएस) के खिलाफ कड़ा रुखअपनाया है। भारत सरकार को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह कमजेार न हो ।”

डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि ई सिगरेट को सुरक्षित किसी भी पदार्थ की तरह से प्रचारित नही किया जाना चाहिए। एकमात्र तरीका पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ना है औरकिसी भी तंबाकू उत्पाद का उपयोग शुरू नहीं करना है। तंबाकू कंपनियां चाहती हैं कि नई पीढ़ी निकोटीन और धूम्रपान के प्रति आकर्षित हो और वह इसकी लत कीशिकार बनी रहे।

वायॅस आॅफ टोबेको विक्टिम के इस अभियान से जुड़े डाक्टरेां के नेटवर्क जिन्होने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है कि ‘‘ वे चिंतित है कुछ डाक्टर का वर्ग ही ईएनडीएसलाबी से बेहद प्रभावित हो रहे है। ’’ कुछ निहित स्वार्थ वाले डाक्टर अत्यधिक सम्मानित अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संघों की रिपोर्ट को गलत संदर्भ में ले रहे हैं। उदाहरणके लिए, वे कहते हैं कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने कहा है कि ई-सिगरेट नुकसान को कम करने का एक अवसर है, जबकि एएचए ने स्पष्ट रूप से कहाहै कि ई-सिगरेट में खतरनाक अत्यधिक नशे की लत वाली रसायन, के साथ ही विषाक्त पदार्थ, धातु और संदूषक भी हैं। केवल उपयोगकर्ता ही नहीं बल्कि आसपासके गैर-उपयोगकर्ता भी वेपिंग के माध्यम से इन हानिकारक रसायनों के संपर्क में आ सकते हैं।

एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि जब इन नए निकोटीन उत्पादों का धूम्रपान की तुलना में सुरक्षित होने का प्रचार किया जाए, तो लेागों को इस बारे में मूर्ख न बनाया जाए। एसोसिएशन की इस से प्रमाणित होता है कि  इन उत्पादों को धूम्रपान के सुरक्षित विकल्प के रूप में प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2017 से 2018 तक एक वर्ष में ई-सिगरेट काउपयोग हाई स्कूल के छात्रों में 78 प्रतिशत और मध्य विद्यालय के छात्रों में 48 प्रतिशत तक बढ़ा है। एफडीए की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अमेरिका मेंकिशोरों में पारंपरिक धूम्रपान का प्रचलन कम हो रहा है। यह 15.8 प्रतिशत से गिरकर 7.6 प्रतिशत हो गया है।

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