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योग में प्रशिक्षण के लिए आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ कार्य समूह की बैठक आज से

देश-विदेश

नई दिल्ली: आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन-डब्ल्यूएचओ ‘योग में प्रशिक्षण के लिए मानक’ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन दस्तावेज की समीक्षा के लिए आज से 28 फरवरी तक नई दिल्ली में तीन दिवसीय कार्य समूह की बैठक का संयुक्त आयोजन कर रहे हैं। बैठक का समन्वय मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) कर रहा है। परम्परागत और पूरक चिकित्सा पद्धति की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभाव को मजबूत बनाने के लिए अपनी वैश्विक रणनीतिक हिस्से के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन योग में प्रशिक्षण के लिए मानक दस्तावेज तैयार कर रहा है। इस मानक दस्तावेज को विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय के बीच हुए परियोजना सहयोग समझौते में शामिल किया गया है। यह समझौता 2014-2023 की अवधि में डब्ल्यूएचओ की रणनीति के अंतर्गत परम्परागत और पूरक चिकित्सा पद्धति में सहयोग के लिये किया गया था।

      प्रारूप दस्तावेज के रूप की समीक्षा योग के 16 विशेषज्ञ करेंगे। 16 विशेषज्ञों में 11 अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ हैं, जो अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ब्राजील, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाइलैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया के हैं। तीन दिन की बैठक में चार सत्र आयोजित किए जाएंगे। सभी तकनीकी सत्रों का समन्वय डब्ल्यूएचओ सचिवालय के विशेषज्ञ करेंगे।

      इस बैठक का उद्देशय योग के प्रशिक्षण में चुनौतियां, प्रारूप दस्तावेज के दायरे और ढांचे की समीक्षा और उस पर विमर्श, प्रारूप दस्तावेज पर विचार-विमर्श, भविष्य के लिए आवश्यक सूचना/डाटा का दायरा और मानक और दस्तावेज को और अधिक विकसित करने के लिए कार्य प्रक्रिया और समय-सीमा पर विचार करना है। इस मानक दस्तावेज का उपयोग योग चिकित्सा के मूल्यांकन, उपयोग में प्रवृत्तियों की पहचान, सेवा मॉडलों के लिए भुगतान ढांचे का विकास, योग अभ्यास के लिए नियामक ढांचे की स्थापना में किया जाएगा।

      विश्व स्वास्थ्य संगठन परम्परागत चिकित्सा पद्धति रणनीति 2014, 2023 लांच किया है, ताकि स्वास्थ्य और रोगी की अवस्था में सुधार के व्यापक विजन में योगदान के लिए मदद दी जा सके। इस रणनीति के दो महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं- पहला, स्वास्थ्य आरोग्य और जन केन्द्रित स्वास्थ्य सेवा में परम्परागत और पूरक चिकित्सा पद्धति के संभावित योगदान को बढ़ाने में सदस्य देशों को समर्थन देना तथा परम्परागत तथा पूरक चिकित्सा पद्धति के सुरक्षित और प्रभावी इस्तेमाल को उत्पादन के नियमन, अभ्यास तथा अभ्यासकर्ताओं के माध्यम से प्रोत्साहित करना है। ये लक्ष्य तीन रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करके हासिल किए जा सकते हैं। ये उद्देश्य हैं- (1) ज्ञान आधार बनाना और देश की नीतियां तैयार करना। (2) नियमन के माध्यम से सुरक्षा गुणवत्ता और प्रभाव को मजबूत बनाना तथा (3) सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रोत्साहित करना। विश्व स्वास्थ्य संगठन की परम्परागत चिकित्सा पद्धति रणनीति 2014-2023 के अंतर्गत 13 मई, 2016 को डब्ल्यूएचओ और आयुष मंत्रालय के बीच परियोजना सहयोग समझौता (पीसीए) पर हस्ताक्षर किया गया। सहयोग के क्षेत्रों में डब्ल्यूएचओ प्रकाशन का विकास, योग में प्रशिक्षण के लिए मानक, आयुर्वेद, यूनानी तथा पंचकर्म में चिकित्सा सेवा के लिए मानक शामिल हैं।

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