Online Latest News Hindi News , Bollywood News

बांध सुरक्षा विधेयक, 2018: बांध सुरक्षा व्यवहारों तथा संस्थानों के मानकीकरण और मजबूती की दिशा में एक कदम

देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13.06.2018 को अपनी बैठक में बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 को संसद में प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। इस विधेयक का उद्देश्य बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समान देशव्यापी प्रक्रियाएं विकसित करने में सहायता देना है।

भारत ने पिछले 50 वर्षों में बांधों तथा संबंधित अवसंरचनाओं में भारी निवेश किया है और बड़े बांधों की संख्या की दृष्टि से भारत का स्थान अमेरिका और चीन के बाद तीसरा है। देश में 5254 बड़े बांध हैं और 447 बांध बनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्‍त मझौले और छोटे हजारों बांध हैं।

यद्यपि बांधों ने कृषि के सतत विकास और भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से एकरूप कानून और प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। केंद्रीय जल आयोग बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति (एनसीडीएस), केंद्रीय बांध सुरक्षा संगठन (सीडीएसओ) तथा राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओ) के माध्यम से इस दिशा में प्रयास कर रहा है, लेकिन इन संगठनों के पास वैधानिक शक्तियां नहीं हैं और ये संगठन केवल परामर्शदायी भूमिका में हैं।

यह चिंता का विषय है, क्योंकि भारत के लगभग 75 प्रतिशत बड़े बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं और लगभग 164 बांध 100 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं। खराब रख-रखाव के कारण असुरक्षित बांध मानव जीवन, वनस्पति, सार्वजनिक तथा निजी संपत्तियों और पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकते हैं। भारत में बांध विफलताओं की 36 घटनाएं हुई हैं। इनमें राजस्थान में 11, मध्य प्रदेश में 10, गुजरात में 5, महाराष्ट्र में 4 और आंध्र प्रदेश में 2 तथा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं ओडिशा में एक-एक घटनाएं हुई हैं।

बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 के प्रावधानों से केंद्र और राज्यों में बांध सुरक्षा की संस्थागत व्यवस्थाओं को शक्तियां प्राप्त होंगी और इससे पूरे देश में मानकीकरण और बांध सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी। बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 में बांध सुरक्षा संबंधी सभी विषयों को शामिल किया गया है। इसमें बांध का नियमित निरीक्षण, आपात कार्य योजना, विस्‍तृत सुरक्षा के लिए पर्याप्‍त मरम्‍मत और रख-रखाव कोष , इंस्‍ट्रूमेंटेशन तथा सुरक्षा मैनुअल शामिल हैं। इसमें बांध सुरक्षा का दायित्‍व बांध के स्‍वामी पर है और विफलता के लिए दंड का प्रावधान है।

संस्थागत ढांचा

बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 के अंतर्गत बांध सुरक्षा के लिए संस्थागत ढांचे का प्रावधान है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति (एनसीडीएस)

विधेयक में बांध सुरक्षा पर राष्‍ट्रीय समिति गठित करने का प्रावधान है। यह समिति बांध सुरक्षा नीतियों को विकसित करेगी और आवश्‍यक नियमनों की सिफारिश करेगी।

2. राष्‍ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए)

   विधेयक नियामक संस्था के रूप में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है। यह प्राधिकरण देश में बांध सुरक्षा के लिए नीति, दिशानिर्देशों तथा मानकों को लागू करने का दायित्व निभाएगा।

  • यह प्राधिकरण बांध सुरक्षा संबंधी डाटा और व्‍यवहारों के मानकीकरण के लिए राज्‍य बांध सुरक्षा संगठनों और बांधों के मालिकों के साथ संपर्क बनाए रखेगा।
  • प्राधिकरण राज्‍यों तथा राज्‍य बांध सुरक्षा संगठनों को तकनीकी और प्रबंधकीय सहायता उपलब्‍ध कराएगा।
  • प्राधिकरण देश के सभी बांधों का राष्‍ट्रीय स्‍तर पर डाटा बेस तथा प्रमुख बांध विफलताओं का रिकॉर्ड रखेगा।
  • प्राधिकरण किसी प्रमुख बांध की विफलताओं के कारणों की जांच करेगा।
  • प्राधिकरण नियमित निरीक्षण के लिए तथा बांधों की विस्‍तृत जांच के लिए मानक दिशा-निर्देशों और नियंत्रण सूचियों को प्रकाशित और अद्यतन करेगा।
  • प्राधिकरण उन संगठनों की मान्‍यता या प्रत्‍यायन का रिकॉर्ड रखेगा, जिन्‍हें जांच, नए बांधों की डिजाइन और निर्माण का कार्य सौंपा जा सकता है।
  • प्राधिकरण दो राज्‍यों के राज्‍य बांध सुरक्षा संगठनों के बीच या किसी राज्‍य बांध सुरक्षा संगठन और उस राज्‍य के बांध के स्‍वामी के बीच विवाद का उचित समाधान करेगा।
  • कुछ मामलों में जैसे, एक राज्‍य का बांध दूसरे राज्‍य के भू-भाग में आता है तो राष्‍ट्रीय प्राधिकरण राज्‍य बांध सुरक्षा संगठन की भूमिका भी निभाएगा और इस तरह अंतर-राज्‍य विवादों के संभावित कारणों को दूर करेगा।

3. बांध सुरक्षा पर राज्‍य समिति (एससीडीएस)

विधेयक में राज्य सरकार द्वारा बांध सुरक्षा पर राज्य समिति गठित करने का प्रावधान है। यह समिति राज्‍य में निर्दिष्‍ट सभी बांधों की उचित निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रख-रखाव सुनिश्‍चित करेगी। समिति यह सुनिश्‍चित करेगी की बांध सुरक्षा के साथ काम कर रहे हैं। इसमें प्रत्‍येक राज्‍य में राज्‍य बांध सुरक्षा संगठन स्‍थापित करने का प्रावधान है। यह संगठन फील्‍ड बांध सुरक्षा के अधिकारियों द्वारा चलाया जाएगा। अधिकारियों में प्राथमिक रूप से बांध डिजाइन, हाईड्रो-मेकेनिकल इंजनीयरिंग, हाईड्रोलॉजी, भू तकनीकी जांच और बांध पुनर्वास क्षेत्र के अधिकारी होंगे।

  4. राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ)

विधेयक में निर्दिष्ट संख्या में बांध वाले प्रत्‍येक राज्‍य में राज्‍य बांध सुरक्षा संगठन स्‍थापित करने का प्रावधान है। यह संगठन फील्‍ड बांध सुरक्षा के अधिकारियों द्वारा चलाया जाएगा।

कर्तव्य और कार्य

विधेयक में प्रावधान है कि सभी निर्दिष्ट बांध उस राज्य के एसडीएसओ के क्षेत्राधिकार में आयेंगे जिस राज्य में बांध है। सीपीएसयू के स्वामित्व वाले निर्दिष्ट बांधों के लिए या जहां बांध दो और दो से अधिक राज्यों में विस्तारित हैं या राज्य स्वामित्व वाला कोई बांध दूसरे राज्य में है तो एनडीएसए को एसडीएसओ माना जाएगा।

अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सभी बांधों के लिए राज्य बांध सुरक्षा संगठनों को निम्नलिखित कार्य करने होंगे:

  • निरन्तर निगरानी
  • नियमित निरीक्षण
  • संचालन और रख-रखाव की निगरानी
  • आवश्यकता अनुसार जांच करना तथा डाटा एकत्रित करना
  • एनसीडीएस द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार प्रत्येक बांध को कमजोर और खतरनाक बांध की श्रेणी में रखना
  • निगरानी/निरीक्षण और अन्य गतिविधियों का लॉग बुक/डाटाबेस रखना
  • प्रमुख बांध घटनाओं को रिकार्ड रखना
  • सुरक्षा या समाधान उपायों के बारे में संबंधित बांध स्वामी को सलाह देना

बांध के स्वामियों को निम्नलिखित कार्य करने होंगे:

  • रख-रखाव तथा मरम्मत के लिए पर्याप्त कोष निर्धारित करना तथा एसडीएसओ की सिफारिशों को लागू करना।
  • बांध सुरक्षा से संबंधित सभी तकनीकी प्रलेखनों को संकलित करना और साथ-साथ बांध विफलता से प्रभावित संसाधनों/सुविधाओं पर सूचना संकलित करना।
  • अत्याधुनिक प्रबंधन साधनों को रखना।
  • बांध सुरक्षा के लिए उत्तरदायी व्यक्ति नियमों द्वारा निर्दिष्ट योग्यता और अनुभव रखेंगे और पर्याप्त प्रशिक्षण लेंगे।
  • बांधों के निर्माण या बदलावों के मामले में:
    • मान्यता प्राप्त संगठनों द्वारा जांच, डिजाईन और निर्माण का कार्य किया जाएगा
    • बीआईएस के प्रासंगिक मानक संहिताओं तथा दिशानिर्देशों को उपयोग
    • जांच, डिजाईन और निर्माण के लिए एनसीडीएस द्वारा निर्दिष्ट योग्यता प्राप्त अनुभवी और सक्षम इंजीनियर होंगे
    • स्वीकृति के लिए एनडीएसए/एसडीएसओ को डिजाईन सुरक्षा, संचालन मानकों तथा नीतियों को दिखाना
    • एनसीडीएस द्वारा निर्दिष्ट गुणवत्ता नियंत्रण उपाय करना
    • केवल सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति से ही नए बांध का निर्माण या बदलाव/वर्तमान बांध को विस्तारित करने का काम किया जा सकता है।
  • किसी जलाशय को शुरु में भरने से पहले भरने के मानक और प्रारम्भिक भराव योजना तैयार करनी होगी।
  • प्रारम्भिक भराव से पहले एसडीएसओ द्वारा सुरक्षा निरीक्षण
  • पर्याप्त कर्मियों के साथ ओएंडएम व्यवस्था स्थापित करना
  • अच्छे ढंग से प्रलेखित ओएंडएम मैनुअल सुनिश्चित करना

सुरक्षा निरीक्षण तथा डाटा संग्रह

  • प्रत्येक बांध के लिए अपने ओएंडएम व्यवस्था के भीतर एक बांध सुरक्षा ईकाई की स्थापना।
  • बांध के स्वामी बांध सुरक्षा ईकाई के माध्यम से बांधों का मॉनसून पूर्व तथा मॉनसून पश्चात निरीक्षण कराएंगे।
  • बाढ़ के दौरान और बाढ़ के बाद, भूकंप के बाद असामान्य व्यवहार पर विशेष निरीक्षण
  • इंजीनियर एसडीएसओ की सहमति से पूरी मॉनसून अवधि के दौरान तथा भूकंप/आपदा के बाद आपात अवधि के दौरान बांध पर तैनात रहेंगे।
  • बांध के स्वामी को प्रत्येक बांध के लिए न्यूनतम संख्या में बांध इंस्ट्रूमेंटेशन लगाने होंगे, रीडिंग का रिकॉर्ड रखना होगा और विश्लेषणों को एसडीएसओ को अग्रसारित करना होगा।
  • प्रत्येक बांध स्थल पर हाइड्रो-मौसम विज्ञान स्टेशन
  • तीस मीटर से ऊंचे के बांधों या जोन-III और उससे ऊपर के जोन में आनेवाले बांधों के लिए भूकम्प विज्ञान केन्द्र

आपात कार्य योजना तथा आपदा प्रबंधन

प्रत्येक बांध स्वामी को प्रत्येक बांध के संबंध में निम्नलिखित कार्य करने होंगे:

  • हाइड्रो-मौसम विज्ञान नेटवर्क तथा अंतर्वाह पूर्वानुमान प्रणाली की स्थापना
  • आपात बाढ़ चेतावनी प्रणाली की स्थापना
  • उपरोक्त प्रणालियों के लिए समय-समय पर जांच
  • अंदरूनी प्रभावों, बाह्य प्रभावों, बाढ़ चेतावनियों तथा विपरीत प्रभावों से संबंधित सूचना को अधिकारियों तथा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना।
  • प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली चलाने में एनडीएसए को सहयोग देना
  • निर्दिष्ट अंतराल पर जोखिम मूल्यांकन अध्ययन करना, ऐसा पहला अध्ययन पांच वर्षों के अंदर
  • पांच वर्षों के अंदर आपात कार्य योजना तैयार करना और नए बांधों के लिए प्रारम्भिक प्रभाव से पहले
  • आपात कार्य योजना में निम्नलिखित आपात कार्य हो सकते हैं- बांध विफलता की स्थिति में आनेवाली बाढ़ और बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्र, आबादी, ढांचे और प्रतिष्ठान, चेतावनी प्रक्रियाएं, जान-माल के नुकसान को टालने के लिए विपरीत परिस्थितियों से निपटने की अग्रिम तैयारी, परामर्श/डीएम एजेंसियों के साथ सहयोग।

विस्तृत बांध सुरक्षा मूल्यांकन

विधेयक में स्वतंत्र विशेषज्ञों के पैनल द्वारा विस्तृत सुरक्षा मूल्यांकन का प्रावधान है। पहले पांच वर्षों के अंदर सीएसई और उसके बाद एनसीडीएस द्वारा नियमित अंतरालों पर निर्दिष्ट ढांचे या डिजाईन मानक में बड़े बदलाव, बांध पर या जलाशय रीम पर असामान्य स्थिति की खोज, अत्यधिक जलीय या भूकम्प की अत्यधिक प्रभावशाली घटना के मामले में सीएसई अनिवार्य होगा।

दोष और दंड

बांध सुरक्षा प्रावधानों का पालन नहीं करने पर दोष/दंड का प्रावधान है।

  • यदि कोई व्यक्ति किसी अधिकारी/कर्मचारी के कार्य में बाधा डालता है या केन्द्र/राज्य सरकार या एनसीडीएस/एनडीएसए/एससीडीएस/एसडीएसओ के किसी निर्देश का पालन करने से मना करता है तो वैसे व्यक्ति को एक वर्ष जेल की सजा या दंड (जीवन नुकसान के लिए दो वर्ष)।
  • यदि किसी विभाग द्वारा दोषपूर्ण कार्य किया जाता है तो विभाग प्रमुख को दोषी माना जाएगा यदि उनकी जानकारी में अपराध होता है।
  • यदि दोषपूर्ण कार्य किसी कंपनी/कारपोरेट द्वारा किया जाता है तो कंपनी के व्यवसाय संचालन के लिए प्रभारी/उत्तरदायी प्रत्येक व्यक्ति को दोषी माना जाएगा।
  • केन्द्र/राज्य सरकार या एनसीडीएस/एनडीएसए/एससीडीएस/एसडीएसओ द्वारा की गई शिकायत को छोड़ कर दोषपूर्ण कार्य का कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More