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चैत्र नवरात्रि: आज करें नवरात्रि के अनुष्ठान का समापन देवी सिद्धिदात्री की इस आरती से

अध्यात्म

जयपुर। देवी दुर्गा का नवम् रूप श्री सिद्धिदात्री हैं, आज नवरात्र के नौवे दिन इनकी पूजा की जाती है। इनको आठ सिद्धियां अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्‍ति, प्राकाम्‍य, ईशित्‍व और वशित्‍व का ज्ञान है जिस कारण इनको सिद्धिदात्री कहा गया। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी भौतिक और आध्‍यात्‍मिक कामनाओं की पूर्ति होती है। मां दुर्गा के इस अंतिम स्वरूप की आराधना के साथ ही नवरात्र के अनुष्ठान का समापन हो जाता है।

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तो की रक्षक तू दासो की माता
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि,
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!! कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम,
जभी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम!!
तेरी पूजा मैं तो न कोई विधि है,
तू जगदम्बें दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरि न करे जो,
तेरी मूर्ति को ही मन मैं धरे जो!!
तू सब काज उसके कराती हो पूरे,
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया,
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया !!
सर्व सिद्धिदाती वो है भागयशाली,
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहाँ वास तेरा,
महानंदा मंदिर मैं है वास तेरा!!
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता,
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता !!

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