Online Latest News Hindi News , Bollywood News

जल संरक्षण के लिए बेहतर जल प्रबन्धन की अति आवश्यकता है!

उत्तर प्रदेश

(1) संयुक्त राष्ट्र संघ की जल संरक्षण की महत्वपूर्ण पहल :-

                जल मानवता के लिए प्रकृति का अनुपम उपहार है जिसके अभाव में जीवन की कल्पना ही संभव नहीं है। दुनिया भर में भूजल का स्तर खतरनाक रूप से गिरता जा रहा है, जो विभिन्न विद्वानों के इसी कथन को बल प्रदान करता है कि जल ही तृतीय विश्वयुद्ध का कारण बनेना। ऐसे में यदि तीसरे विश्वयुद्ध की विभीषिका से मानवता को बचाना है तो सर्वप्रथम आज से अभी से जल संवर्धन हेतु ठोस कदम उठाने होंगे। इसी सत्यता को स्वीकार करते हुए पानी बचाने के लिए जागरुकता और लोगों को इसके लिए उत्तरदायी बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1992 के अपने अधिवेशन में 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रुप में प्रतिवर्ष मनाने का निश्चय किया। जिसके अन्तर्गत् सर्वप्रथम 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में जल दिवस के मौके पर जल के संरक्षण और रखरखाव पर जागरुकता फैलाने का कार्य किया गया। इस दिवस को विश्व भर में जल संरक्षण विषयक सरकारी, गैर-सरकारी, शैक्षिक संस्थानों आदि में सारगर्भित चर्चायें तथा समारोहों के माध्यम से लोगों का पानी बचाने के लिये जागरूक किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं। पानी को जिस तरह से बर्बाद किया जा रहा है उसे देखते हुए हर देश चिंतित है। हर देश में पानी के लिए टैक्स, बिल, बर्बादी करने पर सजा आदि का प्रावधान है लेकिन फिर भी लोग पानी की सही कीमत को नहीं समझ पाते।

(2) जल है तो मानव जाति का कल सुरक्षित है :-

                 आज गंदे और दूषित पानी की वजह से दुनिया भर में प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्यु पीलिया, डायरिया, हैजा आदि जानलेवा बीमारियों के कारण हो रहीं हैं। इसके साथ ही पानी के बिना अच्छे भोजन की कल्पना भी व्यर्थ है। पानी का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए सबसे अहम होता है। खेतों में फसल से लेकर घर में आंटा गूथने तक में पानी चाहिए। शहरों की बढ़ती आबादी और पानी की बढ़ती मांग से कई दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। जिन लोगों के पास पानी की समस्या से निपटने के लिए कारगर उपाय नहीं है उनके लिए मुसीबतें हर समय मुंह खोले खड़ी हैं। कभी बीमारियों का संकट तो कभी जल का अकाल, एक शहरी को आने वाले समय में ऐसी तमाम समस्याओं से रुबरु होना पड़ सकता है। जिस तरह पानी को बर्बाद करना बेहद आसान है उसी तरह पानी को बचाना भी बेहद आसान है। अगर हम अपने दैनिक जीवन की निम्न छोटी-छोटी बातों को अपनी दिनचर्या तो शामिल कर ले तो हम काफी हद तक पानी की बर्बादी को रोक सकते हैंः-

                1) नल से हो रहे पानी के रिसाव को रोकें। कपड़े धोते समय, शेव बनाते हुए या ब्रश करते समय नल खुला ना छोडं़े।

                2) वर्षा जल का संरक्षण करें।

                3) नहाते समय बाल्टी का प्रयोग करें ना कि शावर का।

                4) ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इसका मूल्य समझाएं।

                5) सब्जी धोने के लिए जिस पानी का प्रयोग होता है उसे बचाकर गमलों में डाला जा सकता है।

                6) कार या गाड़ी धोते समय बाल्टी में पानी लेकर कपड़े की मदद से हम कम पानी में अपनी गाड़ी को साफ कर             सकते है।

(3) विश्व के दो अरब से अधिक लोग स्वच्छ जल की कमी से जूझ रहे हैं :-

                पृथ्वी में जीवित रहने के लिए जल महत्वपूर्ण पेय पदार्थ है जो निरन्तर घटता जा रहा है। वर्ल्ड बैंक तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व के दो अरब से अधिक लोग स्वच्छ जल की कमी से जूझ रहे हैं तथा एक अरब लोगों के लिए अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त जल नहीं मिल पा रहा है। प्रतिदिन नदियों तथा झीलों का पानी प्रदूषित हो रहा है जो कि मनुष्य के उपयोग के लिए खतरनाक है। जल का एक प्रमुख स्त्रोत्र भूमि के अंदर से मिलने वाला पानी है जिसका स्तर निरन्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। विश्व की तेजी से बढ़ती जनसंख्या को दृष्टि में रखकर देखा जाये तो आने वाले कुछ वर्षों में मनुष्य के लिए स्वच्छ जल का मिलना दुर्लभ हो जायेगा।

(4) जल ही जीवन है :-

                किसी ने सही ही कहा है कि :

                पानी तो अनमोल है, उसको बचा के रखिये। बर्बाद मत कीजिये इस,े जीने का सलीका सीखिए।

                पानी को तरसते हैं, धरती पे काफी लोग यहाँ। पानी ही तो दौलत है, पानी सा धन भला कहां।

                पानी की है मात्रा सीमित, पीने का पानी और सीमित। तो पानी को बचाइए, इसी में है समृद्धि निहित।

                शेविंग या कार की धुलाई या जब करते हो स्नान। पानी की जरूर बचत करें, पानी से है धरती महान।

                जल ही तो जीवन है, पानी है गुणों की खान। पानी ही तो सब कुछ है, पानी है धरती की शान।

                पर्यावरण को न बचाया गया तो, वो दिन जल्दी ही आएगा। जब धरती पे हर इंसान, बस ‘पानी पानी’ चिल्लाएगा।

                रुपये पैसे धन दौलत, कुछ भी काम न आएगा। यदि इंसान इसी तरह, धरती को नोच के खाएगा।

                आने वाली पीढ़ी का, कुछ तो हम करें ख्याल। पानी के बगैर भविष्य भला, कैसे होगा खुशहाल।

                बच्चे, बूढ़े और जवान, पानी बचाएँ बने महान। अब तो जाग जाओ इंसान, पानी में बसते हैं प्राण।

(5) संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्ति प्रदान करके उसे ‘विश्व संसद’ का स्वरूप प्रदान करें :-

                विश्व भर में जल की कमी, ग्लोबल वर्मिंग, जैवविविधता के क्षरण तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों को एक मंच पर आना होगा। एक मंच पर आकर सभी देशों को सर्वसम्मति से तत्काल संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्ति प्रदान करके उसे ‘विश्व संसद’ का स्वरूप प्रदान करने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाना चाहिए। इस विश्व संसद द्वारा विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए जो भी नियम व कानून बनाये जाये, उसे ‘विश्व सरकार’ द्वारा प्रभावी ढंग से लागू किया जाये और यदि इन कानूनों का किसी देश द्वारा उल्लघंन किया जाये तो उस देश को ‘विश्व न्यायालय’ द्वारा दण्डित करने का प्राविधान पूरी शक्ति के साथ लागू किया जाये। इस प्रकार विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों तथा सम्पूर्ण मानव जाति को जल की कमी, ग्लोबल वार्मिंग, जैवविविधता के क्षरण, शस्त्रों की होड़, युद्धों की विभीषिका तथा जलवायु परिवर्तन जैसे महाविनाश से बचाने के लिए अति शीघ्र विश्व संसद का गठन नितान्त आवश्यक है।

(6) हमारा विद्यालय एक जागरूक विद्यालय की भूमिका निभा रहा है :-

                 हमारे विद्यालय के बच्चों एवं शिक्षकों ने विगत कई वर्षों से ऊर्जा तथा जल के संरक्षण पर ध्यान केन्द्रित किया है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल का विश्वास है कि उसके द्वारा व्यापक स्तर पर किये जा प्रयासों का प्रभाव उद्देश्यपूर्ण पर्यावरण के निर्माण में राज्य, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों पर पड़ रहा है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल अपने पर्यावरण प्रोजेक्ट के अन्तर्गत प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस का आयोजन करके जल संरक्षण के लिए सभी को प्रेरित करता है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के 18 कैम्पस में अध्ययनरत लगभग 56,000 छात्र, उनके अभिभावक तथा 3,000टीचर्स जल संरक्षण के लिए संकल्पित है। हमारा मानना है कि पृथ्वी पर जल प्रकृति की सबसे कीमती देन है। इसलिए पृथ्वी पर आने वाली पीढ़ियों के जीवन की रक्षा के लिए इसे संरक्षित करने का उपाय करना बहुत आवश्यक है अन्यथा हमें जल के कारण होने वाले तृतीय महायुद्ध की संभावना को झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।

(7) जल संरक्षण की दिशा में हमारे विद्यालय का योगदान :-

                सी.एम.एस. के छात्र समय-समय पर अपनी सामाजिक दायित्वों को समझते हुए पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने, जल संरक्षण करने, वृक्षारोपण करने आदि जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक करते आ रहे हैं। इसी कड़ी में विद्यालय के बच्चों द्वारा भूगर्भीय जल संसाधन को बचाने हेतु ‘वाटर मार्च’, गोमती नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने हेतु ‘जनजागरूकता अभियान’ आदि का आयोजन किया जाता रहा है। इसके साथ ही साथ सी.एम.एस. ने सेन्टर फॉर साइन्स एण्ड एनवारमेन्ट, नई दिल्ली के ‘ग्रीन स्कूल्स प्रोग्राम’ को अपनाया है। इसके साथ ही सी.एम.एस. के सभी 20 कैम्पसों को हराभरा बनाने के लिए प्रयत्न किये जा रहे हैं। साथ ही जल संरक्षण के प्रयासों के अन्तर्गत सी.एम.एस. के अधिकांश कैम्पसों में जुलाई 2012 से रेन हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट (वर्षा जल संचयन) प्रारम्भ किया गया है जिसके माध्यम से सी.एम.एस. प्रतिदिन लगभग 1 लाख लीटर पानी की बचत भी कर रहा है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More