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कमजोर वर्गों के प्रति दया-भाव रखें और हमदर्दी के साथ उनका उपचार करें: उपराष्‍ट्रपति वैंकेया नायडू

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने युवा चिकित्‍सों और चिकित्‍सा व्‍यवसाय में कदम रखने वालों से कमजोर वर्गों के प्रति दया-भाव रखने तथा हमदर्दी और समझदारी के साथ उनका उपचार करने का अनुरोध किया। श्री नायडू ने उनसे इस व्‍यवसाय को व्‍यावसयिक आजीविका की तरह नहीं, बल्कि जनता की सेवा के मिशन की तरह लेने का अनुरोध किया।

उपराष्ट्रपति ने कर्नाटक के बेलागवी में आज केएलई डीम्ड यूनिवर्सिटी के 9वें दीक्षांत समारोह में युवा स्नातकों को संबोधित करते हुए उनसे देश के निर्धनतम व्‍यक्ति तक अच्‍छी चिकित्सा सुविधाएं सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल  किया।

स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि आबादी का एक बड़ा वर्ग नवीनतम नैदानिक और चिकित्सीय उपकरण प्राप्त करने और कैंसर और हृदय-रोगों जैसे कुछ असाध्य रोगों का इलाज कराने में असमर्थ है।

      उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं केवल किफायती ही न हों, बल्कि आम आदमी के लिए सुलभ भी हों।  उपराष्‍ट्रपति ने  निजी क्षेत्र से अनुरोध किया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक और अत्‍याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत सरकार के साथ सहयोग करें।

उन्‍होंने कहा, ‘जहां सरकार प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों के स्‍तर पर सुविधाओं की स्‍थापना कर रही है, वहीं निजी क्षेत्र को भी ग्रामीण क्षेत्रों में उन्‍नत नैदानिक एवं उपचार सुविधाएं स्‍थापित करने के लिए आगे आना चाहिए।’

निष्क्रिय जीवन शैली के कारण भारत में बढ़ रहे गैर-संचारी रोगों के मद्देनजर  श्री नायडू ने कहा कि खान-पान की खराब आदतों, शराब और तम्बाकू का सेवन, के कारण मोटापा, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और स्ट्रोक जैसे गैर-संचारी रोगों में वृद्धि हो रही है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि वह चाहते हैं कि इस भयावह प्रवृत्ति पर काबू पाने के लिए चिकित्सा बिरादरी लोगों विशेषकर युवाओं के बीच आधुनिक जीवन शैली और खान-पान की अस्वास्थ्यकर आदतों से उत्पन्न खतरों के बारे में पर्याप्त जागरूकता उत्‍पन्‍न करे।

चिकित्‍सक-रोगी के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों या मानवीयता घटते जाने की ओर  संकेत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्‍सक रोगियों के साथ पर्याप्त रूप से संवाद नहीं कर रहे हैं और अपना कर्तव्य यांत्रिक रूप से निभा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि चिकित्‍सक रोगियों के साथ एक प्रभावी सम्‍प‍र्क स्थापित करें।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि जनता को शिक्षा प्रदान करना उन्हें सशक्त बनाने का सबसे अच्छा तरीका होगा। उन्‍होंने केएलई सोसाइटी जैसे संस्थानों का आह्वान किया कि ग्रामीण लोगों को किफायती और अच्‍छी शिक्षा प्रदान करके सरकार के प्रयासों को पूर्णता प्रदान करें।

श्री नायडू ने जैव-नैतिकता, मानविकी और संचार कौशल जैसे विषयों को चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि युवाओं में उचित कौशल और दक्षता के साथ-साथ पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में निवारक स्वास्थ्य सेवा के आयामों विशेष रूप से योग, आहार और व्‍यायाम भी विकसित हो सकें।

इस अवसर पर केएलई डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति और सांसद (राज्य सभा), डॉ. प्रभाकर कोरे,विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. विवेक ए. साओजी, प्रबंधन बोर्ड के सदस्य, संकायों के डीन, संस्‍थाओं के प्रमुख,विश्‍वविद्यालय के अधिकारी, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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