नई दिल्ली: वृक्षारोपण श्रम (संशोधन) विधेयक, 2017 पर चर्चा करने के लिए 11 अक्टूबर, 2017 को ऊटी, तमिलनाडु में दूसरी त्रि-पक्षीय बैठक बुलाई गई। बैठक श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में पहली त्रि-पक्षीय बैठक के दौरान वृक्षारोपण हितधारकों, मजदूर संघों और राज्य सरकारों द्वारा प्राप्त होने वाले सुझावों के आधार पर विधेयक के प्रारूप पर चर्चा की गई।
बैठक में श्री गंगवार ने कहा कि वृक्षारोपण श्रम अधिनियम, 1951 में संशोधन का उद्देश्य वृक्षारोपण मजदूरों और मालिकों की आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करना है। मंत्री महोदय ने कहा कि वे चाहते है कि संशोधन विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले उसके प्रावधानों पर चर्चा कर ली जाए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार मजदूरों के लिए बेहतर कामकाजी वातावरण सुनिश्चित करना चाहती है, जिसके तहत उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान किए जाने का विचार है।
श्रम एवं रोजगार सचिव श्रीमती एम. सत्यवती ने कहा कि वृक्षारोपण श्रम अधिनियम, 1951 के प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य कल्याणकारी सुविधाओं के प्रावधानों को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ये सुविधाएं, नियमों के तहत वृक्षारोपण मालिक स्वयं प्रदान करेंगे या केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, पंचायत या अन्य एजेंसियों की विभिन्न योजनाओं के जरिए प्रदान की जाएंगी। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करने की अंतिम जिम्मेदारी वृक्षारोपण मालिकों की होगी।
चर्चा के दौरान हितधारकों ने इस बात की प्रंशसा की कि पहली त्रि-पक्षीय बैठक में उन लोगों ने जो सुझाव दिए थे, उन्हें शामिल कर लिया गया है। विभिन्न राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रावधानों के लागू हो जाने से वृक्षारोपण मालिकों का वित्तीय बोझ कम हो जाएगा।
मजदूर संघों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने इस बात का उल्लेख किया कि कामगारों को न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संशोधन के साथ अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के क्रियान्वयन पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
बैठक से पूर्व श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने केन्द्र सरकार के अधिकारियों के साथ कुन्नूर के चाय बागान का दौरा किया, ताकि मजदूरों के लिए चलाई जाने वाली मौजूदा कल्याणकारी सुविधाओं का जायजा लिया जा सके।