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मंत्रिमंडल ने 2018-19 के चीनी सीजन के लिए चीनी मिलों द्वारा देय उचित एवं लाभकारी मूल्य के निर्धारण को मंजूरी दी

कृषि संबंधित

नई दिल्ली: गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने आज 2018-19 के चीनी सीजन के लिए चीनी मिलों द्वारा देय उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के निर्धारण को मंजूरी दे दी। इसके तहत दस प्रतिशत बुनियादी रिकवरी दर के आधार पर 275 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य तय किया गया है। इस तरह दस प्रतिशत तक और उससे अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत बढ़ोतरी के संबंध में 2.75 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा। चीनी सीजन 2018-19 के लिए उत्पादन लागत 155 रुपये प्रति क्विंटल है।

दस प्रतिशत रिकवरी दर पर 275 रुपये प्रति क्विंटल का एफआरपी उत्पादन लागत के मद्देनजर 77.42 प्रतिशत अधिक है। इस तरह किसानों को उनके द्वारा किए गए खर्च से 50 प्रतिशत अधिक भुगतान करने का वायदा पूरा हो जाएगा। 2018-19 के चीनी सीजन में गन्ने के संभावित उत्पादन को ध्यान में रखते हुए गन्ना किसानों को होने वाला कुल भुगतान 83,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। सरकार अपने किसान अनुकूल उपायों के तहत यह सुनिश्चित कर रही है कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान कर दिया जाए।

किसानों के हितों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने यह भी फैसला किया है कि जिन चीनी मिलों में रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है, वहां किसी प्रकार की कटौती न की जाए। इन किसानों को मौजूदा मौसम के दौरान 255 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर गन्ने के लिए 261.25 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाएगा।

स्वीकृत एफआरपी चीनी सीजन 2018-19 में किसानों से चीनी मिलों द्वारा खरीदे जाने वाले गन्ने पर लागू होगी, जो 01 अक्टूबर, 2018 से प्रभावी होगी।

चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित क्षेत्र है, जहां लगभग पांच करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को रोजगार मिलता है। इसके अलावा लगभग पांच लाख मजदूर चीनी मिलों में सीधे रोजगार पाते हैं। इसके साथ खेत मजदूरी और यातायात जैसी विभिन्न सहयोगी गतिविधियों में भी लोगों को रोजगार मिलता है।

पृष्ठभूमिः

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर तथा राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद एफआरपी को निर्धारित किया गया है। अनुमोदित एफआरपी के लिए विभिन्न घटकों को ध्यान में रखा गया है, जिनमें उत्पादन लागत, मांग-आपूर्ति की स्थिति, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कीमतें, फसलों में आपसी मूल्य में समानता, प्राथमिक सह-उत्पादों की कारोबारी कीमतों के बिन्दु तथा सामान्य मूल्य स्तर पर एफआरपी का प्रभाव एवं कुशलता संबंधी संसाधन शामिल हैं।

किसानों को गन्ने का बकाया मूल्य देने के संबंध में उद्योगों की तरलता में सुधार के लिए सरकार ने पिछले कुछ महीनों के दौरान कई कदमों को लागू किया है। इनमें 20 एलएमटी के लिए चीनी मिलों के संबंध में न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) का प्रावधान और लगभग 1500 करोड़ रुपये के आधार पर गन्ने की पेराई के संबंध में 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वित्तीय सहायता शामिल है।

किसानों के बकाये का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार अतिरिक्त कदम उठा रही है। इसके तहत सरकार 7,000 करोड़ रुपये का एक समग्र पैकेज लाई है। इसमें 1200 करोड़ रुपये की लागत से 30 एलएमटी का बफर स्टॉक बनाने और देश में इथेनॉल क्षमता बढ़ाने के लिए 4400 करोड़ रुपये से अधिक की एक प्रमुख योजना शामिल है। इसके तहत अतिरिक्त चीनी सीजन में इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तरह गन्ना किसानों को उनके बकाये का भुगतान समय पर किए जाने की सुविधा हो जाएगी। इस योजना के लिए सरकार लगभग 1332 करोड़ रुपये की सबवेन्शन ब्याज लागत वहन करेगी।

सरकार ने चीनी बिक्री का न्यूनतम मूल्य 29 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित करने का निर्णय लिया है। इससे भी गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करने में सहायता होगी।

उपरोक्त उपायों के जरिए चीनी मिलों की तरलता में सुधार हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की जो बकाया धनराशि 21.05.2018 को 23,232 करोड़ रुपये की ऊंचाई पर थी वह 17,824 करोड़ रुपये हो गई है। आशा की जाती है कि आने वाले महीनों में इसमें और कमी आएगी।

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