31 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत जल सप्ताह- 2017 के उद्घाटन अवसर पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द का सम्बोधन

President of India inaugurates India water Week-2017
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: मुझे 5वें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन करते हुए प्रसन्नता हो रही है। मैं विशेषकर यूरोपीय यूनियन के देशों तथा दूसरी जगहों से आए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का स्वागत करना चाहू्ंगा। वह इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर भारतीय समकक्षों के साथ विचार-विमर्श करने में शामिल हो रहे हैं।

      हम सभी जानते हैं कि मानव जीवन के लिए जल आवश्यक है। वास्तव में मानव शरीर का 60 प्रतिशत हिस्सा जल है। यह कहा जा सकता है कि जल स्वयं जीवन है। जल के बिना किसी भी क्षेत्र में मानवीय गतिविधि पूरी नहीं हो सकती। आज विश्व इस विषय पर चर्चा कर रहा है कि क्या सूचना प्रवाह ऊर्जा प्रवाह से अधिक महत्वपूर्ण है। यह एक अच्छा प्रश्न है। लेकिन जल प्रवाह भी महत्वपूर्ण है। यह अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी और मानव समानता का मूल है। जलवायु परिवर्तन और संबंधित पर्यावरण चिंताओं को देखते हुए जल विषय के रूप में और महत्वपूर्ण हो गया है।

      भारत में हमारे कुछ अग्रणी कार्यक्रमों के केंद्र में जल है। मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत का आधुनिकीकरण जल प्रबंधन के आधुनिकीकरण पर निर्भर हैं। यह आश्चर्य नहीं है कि विश्व की 17 प्रतिशत आबादी वाले हमारे देश के पास विश्व के जल संसाधन का सिर्फ 4 प्रतिशत हिस्सा है।

      भारतीय कृषि और उद्योग के लिए समान रूप से जल का बेहतर और कारगर इस्तेमाल एक चुनौती है। इसके लिए हमें अपने गांव और शहरों में नए मानक स्थापित करने होंगे।

      भारत में 54 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, फिरभी राष्ट्रीय आय में उनका हिस्सा केवल 14 प्रतिशत है। कृषि को और मूल्य आकर्षक बनाने तथा किसान समुदाय की समृद्धि में सुधार के लिए सरकार ने अनेक नई परियेाजनाएं शुरू की है, इन परियोजनाओं में शामिल हैं:-

  1. ‘हर खेत को पानी’ – प्रत्येक खेत के लिए पानी: इसके लिए जल की आपूर्ति और उपलब्धता में वृद्धि आवश्यक।
  2. ‘प्रति बूंद’, अधिक फसल – इसके लिए उत्पादकता सुधार में टपक सिंचाई और संबंधित तरीकों का उपयोग आवश्यक।
  3. ‘ 2022 तक कृषि आय दुगुनी करना: इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार सिंचाई क्षेत्र का तेजी से विस्तार कर रही है और 99 लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा कर रही है। ऐसी 60 प्रतिशत परियोजनाएं सूखा प्रभावित क्षेत्रों में है।’

अब मैं भारत की औद्योगिकीकरण और जल की भूमिका पर बात करना चाहूंगा। ‘मेक इन इंडिया मिशन के अंतर्गत भारत जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। हम जीडीपी में वर्तमान 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी 2025 तक बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। उद्योग को बड़े स्तर पर जल की आवश्यकता होती है।  इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर, कम्प्यूटर तथा मोबाईल फोन बनाने के मामले में विशेष रूप से। यह सारे क्षेत्र मेक इन इंडिया के फोकस में हैं।

भारत में अभी 80 प्रतिशत जल का उपयोग कृषि कार्य में किया जाता है और उद्योग में जल का उपयोग केवल 15 प्रतिशत होता है। आने वाले वर्षों में इस अनुपात में बदलाव होगा। जल की कुल मांग भी बढ़ेगी। इसलिए औद्योगिक परियोजनाओं के ब्लू प्रिंट में सक्षम तरीके से जल के उपयोग और पुन: उपयोग को शामिल किया जाना चाहिए। इस समस्या के समाधान में व्यवसाय और उद्योग को भागीदारी करनी होगी। इसलिए मुझे खुशी है कि इस सम्मेलन में मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित हैं।’

मित्रों,

भारत का शहरीकरण पहले की तुलना में बहुत अधिक तेजी से हो रहा है। स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के अंतर्गत 100 आधुनिक सिटी बनाने या उन्नत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि स्मार्ट सिटी के मूल्यांकन के लिए जल का पुन: उपयोग, ठोस कचरा प्रबंधन तथा बेहतर स्वच्छता ढांचा और व्यवहार मानक हैं।

शहरी भारत में प्रतिदिन 40 बिलियन लीटर गंदा जल उत्पन्न होता है। इस जल के विषैले प्रभाव को कम करने और सिंचाई या अन्य कार्यों में इस जल के उपयोग के लिए प्रोद्योगिकी अपनाना महत्वपूर्ण है। यह शहरी नियोजन कार्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।

मैं जल अनुभव के बारे में भारत में क्षेत्रीय भिन्नता की ओर भी संकेत देना चाहूंगा। एक तरफ भू-जल संसाधनों का अंधाधुन दोहन किया जा रहा है, और हमारे उत्तरी और पश्चिमी राज्य जर्जर हो रहे हैं तो दूसरी और पूर्वी व पूर्वोत्तर राज्यों में नदियों के ऊफान और नियमित बाढ़ की चुनौती बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष इससे आबादी को नुकसान होता है और अनगिनत परिवारों में त्रासदी आती है।

ऐसी त्रासदियों से केवल बहुहितधारक और बहुपक्षीय दृष्टिकोण से निपटा जा कसता है। इस कार्य में जहां संभव हो नदियों को आपस में जोड़ने का लक्ष्य शामिल है। नदियों को स्वच्छ रखने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के उपयोग के उद्देश्य से नदी प्रणाली का प्रबंधन बेसिन व्यापी करना आवश्यक है। नमामि गंगे परियोजना एक अच्छी शुरूआत है। हमें ऐसी सोच को देश की अन्य नदी प्रणालियों तक और भारतीय उपमहाद्वीप विशेषकर देश की पूर्वी हिस्सों तक ले जाना चाहिए।

निष्कर्ष के रूप में, मैं आग्रह करूंगा कि जल का प्रबंधन स्थानीय स्तर पर किया जाना चाहिए। इस कार्य में गांव और पड़ोसी समुदाय को शसक्त बनाना चाहिए और उन्हें जल संसाधन प्रबंधन, आवंटन और मूल्य क्षमता के लिए सक्षम बनाया जाना चाहिए। 21वीं शताब्दी की किसी भी जल नीति में जल के मूल्य को शामिल करना होगा। समुदायों सहित सभी हितधारकों की सोच को व्यापक बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, हमें लोगों को जल परिमाण निर्धारित करने से आगे लाभ परिमाण निर्धारित करने की ओर बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

निश्चित रूप से लाभ परिमाण का निर्धारण गतिशील होगा। यह मैपिंग तथा मानव समाज में आजीविका के तौर-तरीकों के अनुमानों से जुड़ा होगा और यह विकसित होता रहेगा।

मित्रों

मानव सम्मान के लिए जल तक पहुंच एक पर्याय है। भारत में 6 सौ हजार गांवों तथा शहरी क्षेत्रों की आबादी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना केवल परियोजना प्रस्ताव नहीं है। यह पवित्र संकल्प है। सरकार ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरा होने पर 2022 तक सभी ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सप्लाई सुनिश्चित करने की रणनीतिक योजना बनाई है। उस वर्ष तक का लक्ष्य है 90 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में पाईप से पानी सप्लाई करना।

हम विफल नहीं हो सकते। सम्मेलन में विचार-विमर्श को यह सुनिश्चित करना होगा कि हम विफल नहीं होते। और मुझे विश्वास है हम विफल नहीं होंगे।

इन शब्दों के साथ भारत जल सप्ताह 2017 की अपार सफलता की कामना करता हूं।

Related posts

10 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More