नई दिल्ली: इस अवसर पर केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन और राजमार्ग व शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत 27 परियोजनाएं इस साल तक पूरी हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि 1 करोड़ 88 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए अगले साल तक 285 नई सिंचाई परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। श्री गडकरी ने कहा कि बूंद-बूंद सिंचाई या ड्रिप सिंचाई और पाइपलाइन के जरिए सिंचाई सरकार के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में होंगी क्योंकि इससे बड़ी मात्रा में पानी की बचत होगी और इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण में निहित लागत भी घट जाएगी। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि जल, बिजली, परिवहन और संचार विकास के चार सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हर घर में सुरक्षित पेयजल और हर खेत में सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने की इच्छुक है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा सरदार सरोवर परियोजना के हालिया उद्घाटन का उल्लेख किया, जो 4 करोड़ से भी अधिक लोगों को पानी मुहैया कराएगी और 8 लाख हेक्टेयर भी से अधिक भूमि को सिंचाई सुविधा सुलभ कराने में मदद करेगी।
श्री गडकरी ने कहा कि बाढ़ और सूखे से लोगों को बचाने के लिए नदियों को आपस में जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने के लिए 30 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है जिनमें से तीन परियोजनाओं यथा केन-बेतवा, पार-तापी-नर्मदा और दमन गंगा-पिंजल परियोजनाओं पर काम तीन माह के भीतर शुरू हो जाएगा। मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार नदियों को आपस में जोड़ने के लिए एक बड़ा कोष बनाने की संभावनाएं तलाश रही है। श्री गडकरी ने कहा कि शोधित अपशिष्ट जल के उपयोग के लिए नए तरीके ढूंढ़ने होंगे। श्री गडकरी ने कहा कि उन्होंने एनटीपीसी के बिजली संयंत्रों में पुनरावर्तित (रिसाइकिल्ड) पानी का उपयोग करने की संभावना तलाशने के लिए विद्युत मंत्री से अनुरोध किया है। उन्होंने नदी के 70 फीसदी पानी का उपयोग करने के लिए अभिनव तरीकों की खोज करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया जो समुद्र में चला जाता है। पंचेश्वर परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय में सचिव जल्द ही लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए नेपाल का दौरा करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परियोजना पर काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। श्री गडकरी ने यह भी उम्मीद व्यक्त की कि ‘भारत जल सप्ताह’ के दौरान होने वाले विचार-विमर्श और चर्चाओं से कुछ अच्छे सुझाव सामने आएंगे।
केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार वर्ष 2022 तक देश के हर घर में सुरक्षित पेयजल और प्रत्येक खेत में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गंभीरतापूर्वक काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि भूजल का स्तर खतरनाक रूप से नीचे जा रहा है। हमने भूजल का दुरुपयोग किया है एवं इसे बर्बाद किया है। हमें पानी, नदियों एवं भूजल का सम्मान करना होगा और देश में बहने वाली नदियों को अविरल एवं निर्मल बनाना होगा।’
भारत जल सप्ताह – 2017 के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जल और ऊर्जा दो महत्वपूर्ण संसाधन हैं जिनका समुचित संरक्षण और इष्टतम उपयोग राष्ट्र के समेकित विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देश के 112 जिलों में 20 प्रतिशत से भी कम सिंचाई कवरेज है। उन्होंने यह भी कहा कि पानी की कमी और बाढ़ प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करने के लिए समयबद्ध उपायों की जरूरत है। मंत्री महोदया ने कहा कि सरकार ने भूजल के टिकाऊ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना का प्रस्ताव किया है जो विश्व बैंक से सहायता प्राप्त 6,000 करोड़ रुपये की योजना है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने ‘आईडब्ल्यूडब्ल्यू -2017’ में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया और आशा व्यक्त की कि पानी और ऊर्जा के बुनियादी मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित सत्र नीति निर्माताओं और राष्ट्र के लिए अत्यंत लाभदायक साबित होंगे।
भारत और 13 अन्य देशों के लगभग 1500 प्रतिनिधि इस पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में भाग ले रहे है। भारत जल सप्ताह-2017 की थीम है ‘समावेशी विकास के लिए जल एवं ऊर्जा’।
भारत जल सप्ताह (आईडब्ल्यूडब्ल्यू) का पांचवां संस्करण एक बहु-विषयक सम्मेलन और साथ-साथ आयोजित की जाने वाली प्रदर्शनी के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान थीम को रेखांकित करने के साथ-साथ बैठक के विचारार्थ क्षेत्रों के लिए उपलब्ध तकनीकों एवं सोल्यूशंस को दर्शाया जाएगा। इस आयोजन के तहत प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं :-
· जल, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा – सतत विकास के लिए अनिवार्य जरूरतें
· समावेशी विकास के लिए जल
· सतत ऊर्जा विकास – सर्वांगीण आर्थिक विकास की कुंजी
· जल एवं समाज
अनेक प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय हस्तियों के एक विशाल समूह को जल एवं विद्युत प्रबंधन, तकनीकी एवं सामाजिक कदमों के क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि उनके विशिष्ट क्षेत्रों में जल एवं ऊर्जा सुरक्षा हासिल की जा सके और भागीदारी आधार पर सृजित परिसंपत्तियों का समुचित प्रबंधन किया जा सके। इसके अलावा, इस दौरान विशेष सत्र भी आयोजित किये जाएंगे, जिसमें गणमान्य व्यक्ति, प्रतिनिधि, राजनीतिज्ञ और इस आयोजन से संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ भाग लेंगे। इस थीम से जुड़े कुछ विशिष्ट मसले सुलझाने के लिए विशेषज्ञ प्रोफेशनल निकायों और विचारकों (थिंक-टैंक) को इस दौरान कुछ अलग कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों ने प्रायोजक के रूप में अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है। केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/संगठनों/विभागों की ओर से कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और दामोदर वैली कॉरपोरेशन ने भी प्रायोजक के रूप में अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है।
इस सम्मेलन के साथ सह-अवस्थित बिजनेस टू बिजनेस प्रदर्शनी ‘इंडिया वाटर एक्सपो 2017’ का भी आयोजन 11 अक्टूबर से लेकर 14 अक्टूबर 2017 तक किया जाएगा, जिस दौरान ऐसी नवीनतम तकनीकों पर फोकस किया जाएगा, जो जल प्रबंधन से जुड़े मसलों को सुलझाने में मददगार साबित होंगी।
जल संसाधन किसी भी देश के विकास और समृद्धि के लिए अपरिहार्य माने जाते हैं। जीवन के सभी क्षेत्रों के साथ-साथ आर्थिक विकास में भी जल की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर ‘विश्व जल दिवस’ मनाता रहा है। वर्ष 2011 के दौरान जल संसाधन मंत्रालय ने यह निर्णय लिया था कि सिंगापुर और स्टॉकहोम में होने वाले आयोजनों की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर में तब्दील किया जाएगा।
जल एवं ऊर्जा दैनिक जीवन की बुनियादी आवश्यकताएं हैं। इसके साथ ही सामाजिक उत्थान के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास के लिए भी इन्हें सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बढ़ती जनसंख्या की ओर से ज्यादा मांग के साथ-साथ आर्थिक दर्जे में बेहतरी होने से उपलब्ध संसाधनों की मांग बढ़ती जा रही है और हमें कुछ इस तरह से निरंतर प्रयास करने होंगे, जिससे कि जल की समान मात्रा से ही बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसके परिणामस्वरूप जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता का संरक्षण करने एवं दक्ष तरीके से इसका अधिकतम उपयोग करने की जरूरत है। सामुदायिक संसाधन के रूप में जल का प्रबंधन न्यायसंगत तरीके से करने की आवश्यकता है। संबंधित मुद्दों की बेहतर समझ, समस्त हितधारकों के बीच पारस्परिक सहयोग एवं व्यापक तथा एकीकृत अवधारणा पर अमल के जरिए कारगर एवं दक्ष जल प्रबंधन संभव है।
भारत के जल संसाधनों पर केन्द्रित एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय वर्ष 2012 से ही एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के रूप में ‘भारत जल सप्ताह’ आयोजित करता रहा है। भारत जल सप्ताह के चार संस्करण अब तक वर्ष 2012, 2013, 2015 और वर्ष 2016 में आयोजित किये जा चुके हैं।
‘भारत जल सप्ताह’ के पूर्ववर्ती आयोजनों के दौरान पेश की गई सिफारिशें/प्रभावकारी उपाय केन्द्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्य सरकारों के समस्त संबंधित मंत्रालयों के विचारार्थ भेजे जा चुके हैं, ताकि उन पर समुचित तरीके से अमल किया जा सके।
किसानों एवं जल उपयोगकर्ता संघ (डब्ल्यूयूए), गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए ‘आईडब्ल्यूडब्ल्यू-2017’ को और ज्यादा सहभागितापूर्ण बनाने की योजना बनाई गई है। उद्घाटन समारोह के बाद पूर्ण सत्र आयोजित किया जाएगा। इस दौरान संबंधित थीम पेपर पर एक प्रस्तुति के साथ-साथ विदेशी भागीदार यूरोपीय संघ, प्लेटिनम स्पांसर नीदरलैंड की ओर से प्रस्तुति और आमंत्रित वक्ताओं द्वारा भी प्रस्तुतियां दिये जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा विश्व जल फोरम मार्च, 2018 में ब्राजील में आयोजित होने वाले आठवें विश्व जल फोरम पर एक छोटी प्रस्तुति देगा।
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