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नमामि गंगे कार्यक्रम में अगले वर्ष दिसंबर तक महत्‍वपूर्ण प्रगति देखने को मिलेगी: गडकरी

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नई दिल्ली: केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने स्‍वच्‍छ गंगा राष्‍ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) पर आज नई दिल्‍ली में एक संवादमूलक वेबसाइट शुरू की ताकि कॉर्पोरेट गंगा संरक्षण के लिए सामाजिक जिम्‍मेदारी को हाथ में ले सकें। इस वेब पेज के जरिए कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्‍मेदारी (सीएसआर) कोष के अंतर्गत हाथ में ली जा सकने वाली संभावित परियोजनाओं और गतिविधियों का विवरण आसानी से प्राप्‍त हो सकता है। यह वेब पेज एनएमसीजी की वेबसाइट www.nmcg.nic.in पर उपलब्‍ध है। श्री गडकरी ने इस अवसर पर एनएमसीजी सूचना पत्र का शुरूआती अंक जारी किया।

     इस अवसर पर श्री गडकरी ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम में अगले वर्ष दिसम्‍बर तक महत्‍वपूर्ण प्र‍गति दिखाई देगी और कार्यक्रम का बड़ा हिस्‍सा मार्च 2019 तक समाप्‍त हो जाएगा। श्री गडकरी ने निजी क्षेत्र का आह्वान किया कि वे सीएसआर ग‍तिविधियों के अंतर्गत नमामि गंगे की विभिन्‍न परियोजनाओं को हाथ में लेकर अपने संसाधनों, पहुंच और अनुभव के साथ गंगा संरक्षण के विशाल कार्य में शामिल हों। उन्‍होंने धार्मिक संस्‍थानों और एनजीओ का आह्वान किया कि वे गंगा नदी के किनारे बसे गांवों को गोद लेकर उन्‍हें आदर्श गंगा ग्राम के रूप में विकसित करें। श्री गडकरी ने जानकारी दी कि नमामि गंगे की 184 परियोजनाओं में से 46 परियोजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं और शेष परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्‍न चरणों में हैं।

     श्री गडकरी ने कहा कि निर्मल गंगा सरकार की सर्वोच्‍च प्राथमिकता है, उन्‍होंने कहा कि गंगा नदी के तट पर बसे 97 शहरों का 1750 एमएलडी सीवेज कचरा गंगा नदी में चला जाता है। इन सभी शहरों में राज्‍य सरकारों, नगर निगम और कॉर्पोरेट कंपनियों की मदद से सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) स्‍थापित करने की जरूरत है। श्री गडकरी ने जानकारी दी की प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 14 अक्‍तूबर 2017 को पटना में 140 एमएलडी के चार एसटीपी स्‍थापित करने की आधारशिला रखेंगे। उन्‍होंने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय ऐसे नवप्रवर्तनशील तरीके अपना रहा है जिससे नदी में सीवेज का पानी बिलकुल न गिरे। श्री गडकरी ने कहा कि गंगा के तट पर एनटीपीसी की 23 विद्युत परियोजनाएं हैं और हम इन विद्युत परियोजनाओं को एसटीपी का दोबारा प्रयोग में आने लायक पानी बेचने की योजना बना रहे हैं। इस पानी का इस्‍तेमाल ट्रेनों की धुलाई के लिए किया जा सकता है और किसान सिंचाई के लिए भी इसे इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस तरीके से हम गंगा में सीवेज का पानी बिल्‍कुल नहीं गिरने देने की अवस्‍था तक पहुंच सकते हैं।

इस अवसर पर स्‍वच्‍छ गंगा राष्‍ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) और राज्‍य स्‍तर की अमल में लाने वाली एजेंसियों (हरि‍द्वार के लिए उत्‍तराखंड पेयजल निगम और उत्‍तर प्रदेश के लिए उत्‍तर प्रदेश जल निगम) ने सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण और रख-रखाव के लिए निजी क्षेत्र के रियायत पाने वालों के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। वाराणसी 50 एमएलडी के एसटीपी निर्माण, उसके संचालन और रख-रखाव का कार्य 153.16 करोड़ की अनुमानित लागत पर एस्‍सेल इन्‍फ्रा प्रोजेक्‍ट्स लिमिटेड के नेतृत्‍व वाले संकाय को सौंपा गया है। हरिद्वार में, एचएनबी इंजीनियर्स प्राइवेट लि‍मिटेड को 171.53 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत पर 82 एमएलडी (जगजीतपुर में 68 एमएलडी और सराय में 14 एमएलडी) की क्षमता के सीवेज शोधन का ठेका प्राप्‍त हुआ है। परियोजनाओं के जरि‍ए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अशोधित सीवेज गंगा नदी में न बहे, इससे भारत के प्रमुख नमामि गंगे कार्यक्रम को गति मिलेगी। इन दो नए/हरित क्षेत्र के एसटीपी का निर्माण जल्‍द ही शुरू होगा। दोनों परियोजनाएं शत-प्रतिशत केन्‍द्रीय सहायता प्राप्‍त है। विश्‍व बैंक के समूह का सदस्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍त निगम (आईएफसी) एनएमसीजी का कारोबार सलाहकार सहयोगी है।

समझौते पर हस्‍ताक्षर होना निर्मल गंगा के स्‍वप्‍न को हकीकत में बदलने की दिशा में एक प्रमुख कदम है क्‍योंकि भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि हाईब्रिड एन्यूइटी आधारित पीपीपी मोड को सीवरेज क्षेत्र में अपनाया गया है। एनएमसीजी का कार्य यहीं पर नहीं रूकता है। हाईब्रिड एन्यूइटी मोड (एचएएम) के अंतर्गत सीवेज शोधन परियोजना का दूसरा भाग तैयारी के चरण में है। एचएएम के अंतर्गत मंजूर आगामी परियोजनाओं में इलाहबाद में नैनी, झूंसी और फाफामऊ में एसटीपी (72 एमएलडी), कानपुर के साथ लगे उन्‍नाव, शुक्‍लागंज और बिठूर (21.4 एमएलडी) में एसटीपी, बिहार में दीघा और कंकड़बाग (150 एमएलडी), कोलकाता और हावड़ा (141 एमएलडी) में एसटीपी, फर्रूखाबाद (30 एमएलडी) में एसटीपी, भागलपुर (65 एमएलडी) में एसटीपी शामिल हैं। इनमें से 10 परियोजनाओं के लिए टेंडर दस्‍तावेज तैयार किए जा रहे हैं। एनएमसीजी ने कानपुर, इलाहाबाद,पटना और कोलकाता में सीवेज शोधन ढांचे के समाकलन के लिए डिजाइन और कार्य सम्‍पादन सलाहकार की सहायता के लिए रणनीतिक परामर्शदाताओं की नियुक्ति की है।

सीवरेज क्षेत्र में यह सफलता एक मिसाल है क्‍योंकि इससे बेहतर जवाबदेही, स्‍वामित्‍व और अधिकतम कार्य सम्‍पादन के कारण सीवेज ढांचा परिसम्‍पत्तियों का  निरंतर कार्य निष्‍पादन सुनिश्चित होगा। परिणामोन्‍मुखी दृष्टिकोण अपनाते हुए हाइब्रिड एन्‍यूइटी मोड की सबसे महत्‍वपूर्ण विशेषता यह है कि एन्‍यूइटी और संचालन तथा रखरखाव भुगतान दोनों ही एसटीपी के कार्य-निष्‍पादन से जुड़े हैं जैसा कि पहले नहीं होता था जब ईपीसी अथवा डीबीओडी मोड के अंतर्गत परियोजनाओं को लागू किया जाता था।

नमामि गंगे सूचना पत्र के जरिए एनएमसीजी का उद्देश्‍य कार्यक्रम से जुड़े सभी विभागों/ साझेदारों को संगठन के क्रियाकलापों और उपलब्धियों से पूरी तरह अवगत कराना है। यह तिमाही सूचना पत्र एनएमसीजी के बारे में सूचना का प्रसार करने का प्रभावी तरीका है। आकर्षक डिजाइन के साथ इस न्‍यूज़ बुलेटिन में सफल घटनाओं, व्‍यक्ति के अध्‍ययनों, रूपरेखाओं, तस्‍वीरों, ग्राफिक, साक्षात्‍कार, विशेषज्ञों की राय आदि का समावेश है।

इस अवसर पर केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्‍य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉक्‍टर सत्‍यपाल सिंह मौजूद थे।

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