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एमओआईएल को बिजली के वाहनों की बैटरियों में उपयोग के लिए मैंगनीज और रक्षा विनिर्माण के लिए टंगस्टन का योगदान करने की जरूरत है : इस्पात मंत्री श्री बीरेन्दर सिंह

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नई दिल्ली: एमओआईएल को अनिवार्य रूप से बिजली के वाहन आदि में उपयोग में आनेवाले बैटरियों की मैंगनीज आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के द्वारा मेक इन इंडिया में उल्लेखनीय योगदान देना चाहिए। इस्पात मंत्री श्री बीरेन्दर सिंह ने इस्पात मंत्रालय के तहत आनेवाले सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम (पीएसयू) एमओआईएल की अर्द्धवार्षिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किए। मंत्री महोदय ने पीएसयू को भारत में रक्षा उत्पादन हेतु विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत बनाने के लिए टंगस्टन, खनन एवं उत्पादन में क्षमताओं के निर्माण की योजना बनाने को कहा। इस बैठक में इस्पात सचिव डॉ. अरूणा शर्मा, इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं एमओआईएल के शीर्ष प्रबंधन के लोग शामिल थे।

श्री सिंह ने यह भी कहा कि ‘एमओआईएल को भारत में मैंगनीज अयस्क उत्पादन में अपनी शीर्ष स्थिति का लाभ उठाने के लिए अग्रिम एकीकरण की कार्यनीतिक योजना बनानी चाहिए। कंपनी विस्तार प्रयासों के अतिरिक्त फेरो-अलॉय उत्पादन सुविधाओं में बहुमत हिस्सेदारी लेने या अधिग्रहण करने पर विचार कर सकती है। भारत में ई-रिक्शा, ई-टैम्पों एवं ई-कारों के लिए प्रचुर संभावनाएं हैं, जिसका लाभ उठाने के लिए एमओआईएल को खुद को तैयार करना चाहिए। वास्ताव में कंपनी को इस्पात निर्माण, ड्राईज सेल बैटरीज एवं पेंट्स के अतिरिक्त मैंगनीज अयस्क के नए उपयोगों को ढूंढ़ने का अभिनव प्रयास करना चाहिए। अनुसंधान एवं विकास प्रयासों का लक्ष्य नई प्रौद्योगिकियों का विकास होना चाहिए बजाय इसके उन्नयन या दूसरों से प्रौद्योगिकियों को खरीदने के। कंपनी को निम्नतम गुणवत्ता के अयस्क समेत लाभदायक तरीके से अयस्क की प्रत्येक श्रेणी का उपयोग करने पर कार्य करने की आवश्यकता है। इस्पात मंत्रालय स्व-निर्भरता एवं स्वदेशीकरण के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास की प्रत्येक पहल का समर्थन करेगा। भारत में संसाधन आधार को मजबूत बनाने के लिए खनिज अवयव के उत्खनन की गतिविधियों में तेजी लाने की जरूरत है। श्री बीरेन्दर सिंह ने यह भी कहा कि एमओआईएल अयस्क ढुलाई के वैकल्पिक तरीकों के उपयोग की व्यावहार्यता की भी जांच कर सकता है, जो पर्यावरण अनुकूल तथा किफायती हो। खदानों के बंद होने की स्थिति में रेत की आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय किसानों के साथ सहयोग जैसे अभिनव माध्यमों से की जा सकती है। एमओआईएल का लक्ष्य नवप्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी विकास में इस स्तर पर उद्योग की शीर्ष कंपनी बनना होना चाहिए, जिससे कि विदेशों की दूसरी कंपनियां भी प्रौद्योगिकी समर्थन के लिए एमओआईएल की तरफ देख सकें।’

मंत्री महोदय ने कहा कि 300 मिलियन टन तक की इस्पात उत्पादन क्षमताओं के लिए मैंगनीज की आवश्यकता में वृद्धि और भारत में अयस्क की अपर्याप्त उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए, एमओआईएल को निश्चित रूप से विदेशों की मैंगनीज अयस्क परिसंपत्तियों को अधिग्रहित करने या उनमें हिस्सेदारी लेने की संभावना की भी तलाश करनी चाहिए।

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