आलू की खेती उत्तर प्रदेश में सर्दी के मौसम में की जाती है। इस में कार्यरत अग्रणी संस्थान केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ ने गतवर्षों की भांति इस वर्ष भी नवीन विकसित ब्लाइट कास्ट (पैन इण्डिया माडल) से पिछैता-झुलसा बीमारी का पूर्वानुमान लगाया है। मौसम की अनुकूलता के कारण आलू की फसल में पिछैता-झुलसा बीमारी की संभावना व्यक्त की गई है।
इस संबध में जानकारी देते हुए उद्यान विभाग के निदेशक एस.पी. जोशी की तरफ से बताया गया कि जिन किसान भाइयों ने अभी तक आलू की फसल में फफूदनाशक दवा का पत्तियों पर झिड़काव नहीं किया है या जिन किसानों की आलू की फसल में पिछैता-झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है उन सभी किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरो थेेलोनील युक्त फफूदनाशक दवा का ऐसी आलू की प्रजातियों पर छिड़काव करें जो जल्दी से बीमारी की चपेट मे आ जाते हैं। दो से ढाई किलोग्राम दवा 1000 लीटर में घोल कर प्रति हेक्टेयर छिड़काव कराना जरुरी है।
साथ ही साथ यह भी सलाह श्री जोशी ने दी कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी है उनमें साइमोइक्सेनील मैनकोजेब का 03 कि0ग्रा0 1000 लीटर में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। इसी प्रकार फेनोमेडोन ़ मैनकोजेब 03 कि0ग्रा0 1000 लीटर में घोलकर एक हेक्टेयर पर छिड़काव करना है अथवा डाई मेथामार्फ एक कि0ग्रा0 ़ मैनकोजेब 02 कि0ग्रा0 1000 लीटर में घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। बार-बार फफूदनाशक का छिड़काव न करें।
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